
अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: बात-बात पर लाठीचार्ज और अपने अधिकारों के लिए उठी जनता की आवाज को कुचलना बीजेपी-जेजेपी सरकार की आदत बन चुकी है। इस सरकार ने किसान, नौजवान, कर्मचारी, पंच और सरपंच से लेकर महिलाओं तक किसी को नहीं बख्शा। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने पंचकूला में प्रदर्शन कर रहे 4 हजार सरपंचों पर दर्ज की गई एफआईआर को वापिस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि पंचायतों पर थोपी गई ई-टेंडरिंग व्यवस्था सही नहीं है। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। इसलिए ई-टेंडरिंग के नाम पर पंचायती राज में भी भ्रष्टाचार का एक अड्डा स्थापित करना चाहती है। 

पंचायत प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने उनकी आवाज को लाठी के जोर पर दबाने की कोशिश की। पंच-सरपंचों की मांग मानने की बजाए सरकार ने उनके ऊपर एफआईआर दर्ज कर दी। सरकार के इस अलोकतांत्रिक रवैये और बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था  के खिलाफ 6 मार्च को पहले काँग्रेस विधायक दल की बैठक होगी उसके बाद कांग्रेस पार्टी महामहिम राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपेगी। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और तमाम विधायक भी मौजूद रहेंगे। 

हुड्डा ने याद दिलाया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों को विकास कार्य करवाने की पूरी स्वतंत्रता और फंड मुहैया करवाए गए थे। इसी वजह से हरियाणा के प्रत्येक गांव में पक्की गलियां और तमाम विकास कार्य हुए। लेकिन, बीजेपी-जेजेपी चुने हुए प्रतिनिधियों की बजाए पंचायती राज व्यवस्था को ठेकेदारों के हवाले करना चाहती हैं। खुद सरकार के भीतर नई नीति को लेकर एक राय नहीं है। सत्ताधारी पार्टियों के नेता कुछ कह रहे हैं और उनके मंत्री कुछ बोल रहे हैं। हर मोर्चे पर विफल होने के चलते बीजेपी-जेजेपी में जमकर अंतर्कलह देखने को मिल रहा है।

नीतिगत फैसलों को लेकर अंदरूनी विवाद बताता है कि यह सरकार पूरी तरह दिशाहीन और विफल है। पुरानी पेंश स्कीम के मुद्दे पर बोलते हुए हुड्डा ने कहा कि इसको लेकर कमेटी बनाकर या उसकी मीटिंग करके सरकार सिर्फ टाइमपास कर रही है। अगर वह ओपीएस लागू करना चाहती है तो एक झटके में और एक लाइन में यह फैसला लिया जा सकता है। जिस तरह राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल की कांग्रेस सरकारों ने यह फैसला लिया, प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पहली ही कैबिनेट मीटिंग में कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ दिया जाएगा।
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