अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो० गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों! आज की इस प्रेस वार्ता में मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। साथियों पिछले 3-4 दिन से सरकार और सरकार के ढोल बजाने वाले महंगाई की दर का एक गलत और झूठा ढोल बजा रहे हैं, आज उस ढोल की पोल खोलने मैं आपके सामने आया हूं। पिछले 3-4 दिन से ये बताया जा रहा है कि देश में डब्लूपीआई, जिसको होलसेल प्राईस इंडेक्स कहते हैं, वो नेगेटिव हो गया, सीपीआई भी थोड़ा कम हो गया, तो महंगाई से देश को राहत मिल गई, ये बड़े-बड़े अक्षरों में ढोल बजाया जा रहा है और कई जगह उस ढोल को बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा भी जा रहा है। आज मैं उसी आंकड़ों की ढोल की पोल खोलने आपके साामने आया हूं। नेगेटिव होलसेल प्राईस इंडेक्स कुछ एसेंशियल कमोडिटीज में हुआ, पर मैं आपसे पूछता हूं कि क्या एक भी एसेंशियल कमोडिटी की कीमत में कोई कमी आई, आंकड़े छोड़ दीजिए, आंकड़ों की बात अभी 5 मिनट बाद करूंगा। वेजीटेबल्स, फ्रूट्स, ऑयल्स, सीरियल्स इसमें डब्लूपीआई या तो नेगेटिव आया और नेगेटिव भी छोटा-मोटा नहीं, डबल डिजिट नेगेटिव, पर क्या सब्जियों के दाम आपको कम होते दिखे या देश में किसी और व्यक्ति को कम होते दिखे? क्या अनाज के दाम किसी को कम होते दिखे? पेट्रोल नेगेटिव डब्लूपीआई में था, क्या पेट्रोल और एलपीजी, जिसका कि नेगेटिव डब्लूपीआई है क्या पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का दाम एक पैसा भी किसी ने कम होता देखा? आंकड़ों की बात आंकड़ों से करूंगा और आंकड़ों को ही डिफ्यूज करूंगा और सारे आंकड़े भारत सरकार के हैं।तो क्या हो रहा है सूट-बूट की सरकार या तो खुद बेनेफिट हो रही है या अपने कुछ मित्रों को बेनेफिटेड कर रही है होल सेलर्स को, अंतिम कंज्यूमर को कोई फायदा नहीं मिल रहा। मैं बात को शुरू आगे करूं उससे पहले आपको डब्लूपीआई और सीपीआई का मौलिक अंतर बता देता हूं। डब्लूपीआई – होलसेल प्राईस इंडेक्स, रिटेलर कंज्यूमर को जो चीज बेचता है, उससे पहले जो भी प्राईस में डिफरेंस आता है वो डब्लूपीआई में कैप्चर होता है। जैसे कोई प्रोड्यूसर किसी होलसेलर को बेचेगा वो डब्लूपीआई में आएगा, पर अगर दुकानदार आपको या मुझे बेचेगा वो सीपीआई में आएगा। तो अब हो क्या रहा है देश में – मई 2023 में आंकड़ा आया कि डब्लूपीआई माइनस 3.48 परसेंट है और सीपीआई प्लस 4.25 परसेंट है, मतलब डब्लूपीआई लगभग माइनस 3.5 प्रतिशत और सीपीआई पॉजिटिव 4.25 प्रतिशत और मैं कुछ जरूरी वस्तुओं के डब्लूपीआई रखता हूं आपके सामने।सब्जियों में माइनस 20.1 प्रतिशत, आलू माइनस 18.7 प्रतिशत, ऑयल सीड्स, जिससे कि ईटेबल ऑयल बनता है उसमें माइनस 15.6 प्रतिशत, वेजिटेबल ऑयल्स एंड फैट्स, जिसको हम घी कहते हैं, वो -29.5 प्रतिशत ये डब्लूपीआई, मतलब जो प्रोड्यूसर है उसके यहां से दाम कम हो रहे हैं और यही सारी चीजें हैं सीपीआई है फूड एंड बेवरेज्स का 3.29 प्रतिशत अर्थात अगर मैं किसान हूं तो मैं जो फसल पैदा कर रहा हूं, सब्जियां उत्पादित कर रहा हूं या ऑयल सीड्स का उत्पादन कर रहा हूं मेरे लिए दाम घट रहे हैं और मैं ही वो किसान अपने परिवार के कंजम्पशन के लिए वो चीज बाजार से लेने जाता हूं तो दाम बढ़ जाते हैं तो कौन बेनेफिट हो रहा है मोदी जी। इसमें न तो किसान बेनेफिट हो रहा है, न फायनल कंज्यूमर बेनेफिट हो रहा है या तो आप बेनेफिटेड हो रहे हों या होलसेलर्स बेनेफिट हो रहे हैं और आप मूक दर्शक बनकर बैठे हो और आपके ढोल बजाने वाले ढोल बजा रहे हैं।दूसरा पेट्रोल की बात करते हैं। क्रूड पेट्रोलियम का डब्लूपीआई और सारे सरकारी आंकड़े हैं जो कच्चा तेल है उसका डब्लूपीआई मई 2023 में माइनस 27 प्रतिशत रहा, मतलब 27 प्रतिशत कम हुआ मई 2023 में मई 2022 के मुकाबले, एलपीजी माइनस 24.3 प्रतिशत मतलब एलपीजी के दाम लगभग 24.5 प्रतिशत मई 2023 में, मई 2022 के तुलना में गिरे, पेट्रोल माइनस 9.4 प्रतिशत, हाई स्पीड डीजल माइनस 17 प्रतिशत और वहीं सीपीआई कहता है फ्यूल एंड लाईट में प्लस 4.64 परसेंट की वृद्धि हुई, मतलब कच्चा तेल सरकार खुद मान रही है, ये मेरा आंकड़ा नहीं है, ये जो सरकार ने प्रेस रिलीज जारी की 14 जून को उसका आंकड़ा है, जिसके बाद ढोल बजाए गए, उस आंकड़े के अनुसार एलपीजी में 24.3 प्रतिशत की कमी हुई मई 2023 में, मई 2022 की तुलना में, उसके अनुसार पेट्रोलियम में 27 प्रतिशत की कच्चे तेल की कमी हुई पर हमको क्या 1 पैसा भी पेट्रोल, डीजल, एलपीजी सस्ती हुई, 1 पैसा भी। वहां पर 27 प्रतिशत की कमी है एलपीजी में, 24.5 प्रतिशत की कमी एलपीजी में, 27 प्रतिशत की कमी कच्चे तेल में, 9.4 की कमी पेट्रोल में, 17.03 प्रतिशत की कमी एचएसडी में और फायदा क्या कंज्यूमर को मिला? और मैं नहीं कह रहा, सरकार भी कह रही है कि कुछ नहीं मिला, उल्टा दाम बढ़ रहे हैं।फिर आगे चलते हैं साहब। टैक्सटाइल और अपैरल्स और ये वो कपड़े हैं जो आप और मैं पहनते हैं, वो वाले कपड़े नहीं जिसमें मोदी, मोदी, मोदी लिखा हुआ है वो वाला जैकेट भी नहीं, वो वाले कपड़े जो कॉमन, आम और साधारण व्यक्ति पहन रहे हैं। टैक्सटाइल की कीमतों में डब्लूपीआई में मई 2023 में माइनस 8.28 प्रतिशत अर्थात लगभग 8.25 प्रतिशत की कमी होती है, अपैरल में मात्र 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी है और अगर हम सीपीआई देखें उसका तो क्लॉथिंग एंड फुटवेयर में 6.5 प्रतिशत से ज्यादा, एग्जेक्टली बताऊं तो 6.64 परसेंट की बढ़ोतरी होती है। मतलब प्रोड्यूसर सस्ते में होलसेलर को माल बेच रहा है, पर वही माल रिटेलर हमको सस्ते में नहीं बेच रहा है, उल्टे भाव बढ़ाकर बेच रहा है तो फायदा किसका हो रहा है, इस प्रोसेस में कौन पैसा कमा रहा है? प्रोड्यूसर कच्चे तेल का जो एक्सपोर्टर है वो कच्चा तेल भारत सरकार को सस्ते में दे रहा है, एलपीजी का जो प्रोड्यूसर है वो भारत सरकार की जो पीएसयूज़ हैं उनको गैस सस्ते में दे रहा है, टैक्सटाइल में 8.25 प्रतिशत की कमी हुई है प्रोड्यूसर से लेकर होलसेलर तक, पर वही टैक्सटाइल का प्रोडक्ट हमको 6.5 से ज्यादा में मिल रहा है, एग्जेक्टली बताऊं तो 6.64 परसेंट और ढोल बजाने वाले कह रहे हैं साहब महंगाई कंट्रोल में आ गई, ये कैसा कंट्रोल है?इस बावत हमारे 4 स्पेशिफिक सवाल हैं। 4 very specific questions. और ये जो मैंने टेबल बनाई है, ये टेबल मैं आप सबको दूंगा, ये डब्लूपीआई का आंकड़ा है इस टेबल में, सीपीआई का आंकड़ा है इस टेबल में और दोनों आंकड़े मई 2023 के आंकड़े हैं जो भारत सरकार ने प्रेस रिलीज में 14 जून को जारी किए हैं। अब इस बावत हमारे 4 स्पेशिफिक सवाल हैं।
1. मोदी जी जब होलसेल मार्केट में कीमतें कम हो रही हैं तो 140 करोड़ देशवासियों ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया आपको वोट देकर कि आप उनको उस चीज का बेनेफिट नहीं दे रहे हो। तो मान लो इस बॉटल का प्रोड्यूसर मैं हूं, होलसेल प्राईस में मार्केट में इस बॉटल की कीमत कम हो रही है और मुझे ये बॉटल महंगे भाव में मिल रही है, पानी की बॉटल तो इसमें डबल प्रॉब्लम में कौन आया – मैं आया और डबल प्रोफिट कौन कमा रहा है – होलसेलर कमा रहा है, कई जगह होलसेलर भारत सरकार है, वो कमा रही है।
2.दूसरी बात जब सब्जी, आलू और ऑयल सीड्स के भावों में, होलसेल मार्केट में 20.12 प्रतिशत, 18.7 प्रतिशत और 15.6 प्रतिशत की कमी हुई तो मोदी जी वही किसान अगर वो सब्जी, वो ऑयल सीड्स से बना हुआ तेल, उस आलू को अपने परिवार के कंजम्पशन के लिए खरीदता है तो वो लगभग 3.25 प्रतिशत ज्यादा क्यों देता है महंगाई 3.29 प्रतिशत क्यों है? क्या ये विधि है मोदी जी किसानों की आय दुगुनी करने की कि किसानों से उनके प्रोडक्ट सस्ते में खरीदों, होलसेलर्स उस प्रोडक्ट को रखें और रिटेलर्स वो प्रोडक्ट अंतिम कंज्यूमर्स को 3.29 प्रतिशत के महंगे भाव में बेच रहा है तो क्या ये विधि है? इससे तो किसान की आय दुगुनी नहीं, आधी रह जाएगी, क्योंकि उसका प्रोडक्ट सस्ते में खरीदा जा रहा है और वही प्रोडक्ट वो सेल्फ कंजम्पशन के लिए प्रयोग कर रहा है तो उसके लिए उसको ज्यादा पैसा देना पड़ रहा है।
3.जब क्रूड पेट्रोलियम और एलपीजी के होलसेल में भाव 27 प्रतिशत और 24.3 प्रतिशत गिरे, ये मैं नहीं कह रहा, भारत सरकार का आंकड़ा है तो 1 पैसे की भी दाम में एलपीजी, डीजल और पेट्रोल में कमी हमारे लिए क्यों नहीं हुई? तो वही कहावत हो गई कि मीठा-मीठा गप-गप, कड़वा-कड़वा थू-थू, जो मीठा-मीठा वहां से कमी हो रही है वो मेरा और हमको अगर उसका बेनेफिट चाहिए तो आपको और हमको कुछ नहीं मिलेगा।
4.ये सूट-बूट की सरकार मूकदर्शक बनी हुई क्यों बैठी है? जब होलसेल प्राईस इंडेक्स नेगेटिव में है और मैंने आपको उन कमोडिटीज का भी विवरण दिया जो आपके, मेरे, हम जैसे करोड़ों साधारण भारतवासी और देशवासियों के प्रयोग में लाई जाती है, उन वस्तुओं के दाम अगर होलसेल मार्केट में कम हो रहे हैं और रिटेल मार्केट में उन्हीं वस्तुओं के दाम बढ़ते हैं और मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरी हुई, मूक दर्शक बनी हुई बैठी है। ऐसी क्या बाध्यता है आपके ऊपर? ऐसा आपके ऊपर किसका कंपलशन है कि ऑयल सीड्स के दाम कम हो रहे हैं और हमारे लिए जो खाने का तेल है उसके दाम कम नहीं हो रहे हैं। कौन बेनेफिटेड हो रहा है, आपको और मुझे पता है कि देश में ऑयल का मार्केट कौन रेगुलेट और कंट्रोल कर रहा है, ये उन हम दो और हमारे दो में से एक आदमी है और मोदी जी मूक दर्शक बनकर बैठे हैं। कच्चे तेल की कीमत में 27 प्रतिशत की कमी हो जाती है, हमारे लिए पेट्रोल और डीजल 1 पैसा भी कम क्यों नहीं होता? एलपीजी में 24.3 प्रतिशत की कमी हो जाती है, हमारे लिए 1 पैसा भी कम उस सिलेंडर कें भाव में क्यों नहीं होता? इन सवालों का जवाब उन ढोल बजाने वालों को भी और मोदी जी को भी पूछना चाहूँगा, लेकिन वित्त मंत्री जी से मैं कुछ नहीं पूछूंगा, वित्त मंत्री जी कह देंगी भाई मुझे नहीं पता, क्योंकि मैं तो सब्जियां खाती नहीं हूं, मैं तो दाल और चावल खाती हूं तो उनसे मैं कुछ नहीं पूछूंगा, पर मोदी जी आप तक अगर हमारी आवाज जा रही है तो आप हमें बताइए कि ऐसी क्या बाध्यता है कि जब डब्लूपीआई नेगेटिव में चला गया देश में तब भी जो एसेंशियल कमोडिटी और एसेंशियल कमोडिटी के भाव होलसेल मार्केट में नेगेटिव में गिर रहे हैं और 1 परसेंट, 2 परसेंट, 3 परसेंट नहीं, 25 परसेंट, 27 परसेंट, 20 परसेंट उस समय हमारे लिए भाव 1 पैसे भी कम क्यों नहीं हुआ इसका जवाब दीजिए? आंकड़ों का जवाब आंकड़ों से दीजिए और देशवासियों का सवाल कि जब डब्लूपीआई गिर रहा है तो मेरे लिए सब्जी के दाम, खाने के तेल के दाम, पेट्रोल-डीजल के दाम, वस्त्रों के दाम, अपैरल्स के दाम मेरे लिए क्यों नहीं गिर रहे हैं? इसका जवाब दीजिए।
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