अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: बाईपास रोड स्थित यूनिवर्सल अस्पताल के अनुभवी चिकित्सकों ने पुलिस के जवान हरीसिंह के पैर की ब्लॉक हुई नसों को खोलकर उन्हें जीने की नई उम्मीद प्रदान की। नसें व हृदय रोग विशेषज्ञ डा. शैलेष जैन ने बताया कि दिल्ली निवासी हरी सिंह उनके पास पैर में घाव की शिकायत लेकर आए थे, जो घाव काला पड़ गया था। जांच में पता चला कि उसके पैर की रक्त वाहिनी दो जगह से बंद है। पेट से जो रक्त वाहिनी पैर की तरफ आती है वहां रक्तवाहिनी सौ प्रतिशत बंद थी और उसके बाद जाँघ से घुटने के बीच रक्त वाहिनी 100 प्रतिशत बंद पड़ी थी। इसके लिए दो रास्ते थे। पहला या तो पेट को काटकर बड़ा आपरेशन कर रक्तवाहिनी जोड़ी जाए या दूसरा रास्ता दूसरे पैर से रक्तवाहिनी लेकर जोड़ा जाए। अगर रक्तवाहिनी का बाईपास आपरेशन नहीं किया जाता तो मरीज का पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ता।
इस आपरेशन के अंदर पहले एक पैर से दूसरे पैर पर रक्तवाहिनी को जोड़कर एक नया रास्ता बनाया गया, उसके बाद जांघ से घुटने के ऊपर एक नई रक्तवाहिनी जोड़कर तीसरा रास्ता बनाया गया। इसे डबल बाइपास तकनीक बोलते हैं। डबल बाइपास तकनीक के द्वारा पहले दूसरे पैर से इस पैर के अंदर रक्त आता है फिर इस पैर से रक्त दूसरी रक्तवाहिनी के माध्यम से घुटने के नीचे जाता है। मरीज का घाव जो काला पड़ गया था अब वह बिलकुल ठीक है और मरीज का पैर कटने से बच गया। डा. शैलेष जैन ने बताया कि यह मरीज दिल्ली फरीदाबाद के काफी अस्पतालों में दिखाकर परेशान हो चुका था। जब यूनिवर्सल अस्पताल में आया तो पहले इसकी एंजोग्राफी की गई। एंजोग्राफी में पाया गया कि रक्तवाहिनी दो जगह से बंद है उन दोनों रक्तवाहिनियों को खोलने के लिए डा. शैलेष जैन ने अपनी टीम से संपर्क किया और उसके बाद आपरेशन करके सफलतापूर्वक मरीज का पैर कटने से बचा लिया। उन्होंने बताया कि यूनिर्वसल अस्पताल एक ऐसा अस्पताल है जहां एंजोग्राफी, एंजोप्लास्टी, हार्ट सर्जरी तथा कोई भी नस ब्लाक जो वह पैर की हो, पेट की या दीमाग की हो, उसको खोलने की पूरी सुविधा उपलब्ध है। हास्पीटल की मेडिकल डायरेक्टर डा. नीति अग्रवाल ने टीम को सफलता के लिए बधाई दी। आपरेशन के अंदर डा. शैलेष जैन, कार्डिलोजिस्ट डा. रहमान, डा. पवन तथा फिजिशियन डा. पारितोष मिश्रा शामिल रहे।
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