अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माणों लेकर ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम ज़ोन के सम्बंधित विभाग के अधिकारी के असमंजस के स्थिति में है , एक मंत्री कहता है बन रहे अवैध दुकानों को तोड़ दो, दूसरा मंत्री कहता है उन अवैध निर्माणों को छोड़ दो, ऐसी स्थिति में नगर निगम अधिकारियों की तो बल्ले-बल्ले है,क्यूंकि ओल्ड नगर निगम के संबंधित विभाग के अधिकारी व एक पार्षद पहले से ही आपस में मिले हुए है,ऐसी जानकारी मिली है। ओल्ड क्षेत्र में ज्यादतर अवैध दुकानें नगर निगम अधिकारियों की मिली भगत से इस समय बन रही है। खबर के अनुसार सराय के मुख्य मार्केट में एक लाइन में लगभग 10 से अधिक दुकानें अवैध रूप से बनाई जा रही है,जो कि अभी भी निर्माणाधीन है, और धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रही है। गत 25 अप्रैल कोओल्ड नगर निगम के अधिकारी भारी पुलिस बल को लेकर बन रहे अवैध दुकानों को तोड़ने के लिए गई थी।
इसे तोड़ने के लिए प्रदेश के मंत्री ने कहा था, जब वहां निगम की टीम भारी पुलिस के साथ पहुंची तो, एक बड़े मंत्री ने निगम अधिकारी फोन पर न तोड़ने को कहा,और निगम की टीम वापिस आ गई। असल एक पार्षद व नगर निगम के संबंधित अधिकारी की मिलीभगत से बन रही यह सभी अवैध दुकानें। निर्माण कर्ता को पहले से ही यह पता था कि ओल्ड नगर निगम की टीम आज का मतलब गत 25 अप्रैल को उसकी निर्माणाधीन दुकानों को तोड़ने के लिए आएगी। निगम की टीम उसके अवैध निर्माणाधीन को न तोड़े, इसके लिए निर्माणकर्ता ने अपने निर्माणाधीन दुकानों के आगे लाइन में गाड़ियां लगा दी, गाड़ी की संख्या लगभग 7 से 8 होगी। यह गाड़ियां सुबह से ही लगा दी गई थी, जबकि निगम की टीम दोपहर में पहुंची थी। यानी की नगर निगम की टीम जब वहां पहुंची तो इससे पहले उनके पहुंचने की सूचना निर्माण कर्ता तक पहुंच चुकी थी। और अपने बन रहे अवैध दुकानों को बचाने के लिए एक लाइन से लगभग 7-8 गाड़ियां लगा दी। इससे लगेगा की बड़े मंत्री बात भी रह गई , और प्रदेश के एक मंत्री की भी बात रह गई की वह तोड़ने गए पर बड़े मंत्री ने मना कर दिया , ऐसी स्थिति में मैं क्या कर सकता हूँ। यानी की यह अवैध दुकानों को बचाने की सोची समझी साजिश है। हो सकता है अवैध दुकानों को बनवाने में लाखों की लेने देने तय हो, इसकी जांच तो हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही एंटी करप्शन ब्यूरो ,फरीदाबाद व अन्य किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच तो करवा ही सकते है। यह सिर्फ लगभग 10 दुकानें नहीं है, आगे इसके ऊपर अवैध कई दुकानें बननी है। इसमें तो सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान सरकार को है,अगर सरकार तोड़फोड़ की कार्रवाई करती है तो निर्माणकर्ता का नुकसान है। इस मामले में निगम के संबंधित विभाग के एक अधिकारी से कई बार पक्की जानकारी लेने की कोशिश गई, पर उन्होंने कई बार तो अपना फोन नहीं उठाया , जब एकाद बार फोन उठा भी लिया तो इस मामले से बचते हुए नजर आए। इस खबर का साफ़ मतलब है कि गलत काम का उजागर करना, जांच करना, कार्रवाई करना यह सरकार और नगर निगम का काम हैं। इस खबर पर आगे अथर्व न्यूज़ की नजर रहेगी।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments