अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : एक सौ एक साल पुराने इंद्रप्रस्थ गुरूकुल ने सिर्फ छात्राओं के लिए स्वामी श्रद्धानंद ग्लोबल स्कूल शुरू किया है जिसका उद्घाटन एचआरडी स्टेट मिनिस्टर सतपाल मलिक ने किया। मिनिस्टर सतपाल मलिक ने कहा शिक्षा के पाठ्यक्रम में जल्द बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार इसके लिए नई शिक्षा नीति बना रही है। वहीं इस मौके पर मंत्री साहब ने मनुष्यों को बन्दर की औलाद कहने वाले वैज्ञानिको को करारा जबाब देते हुए कहा कि वैज्ञानिक ही बंदरो की संतान होंगे, हम सब तो है ऋषि मुनियों की औलाद है। पाठ्यक्रम में जो मनुष्यों को आदि मानव पढाया जाता है वो गलत है।
24 दिसबंर 1916 में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा बनाएं गए आरावली की पहाडी पर इंन्द्रप्रस्थ गुरूकुल ने अपने एक सौ एक साल पूरे होने के बाद स्वामी श्रद्धानंद के सपने को पूरा करने की कोशिश की है कि स्वामी का सपना था कि लडकियों को भी समाज में शिक्षा मिलनी चाहिए इसी सपने को सकार करने के लिए गुरूकुल ने स्वामी श्रद्धनंद ग्लोबल स्कूल शुरू किया है जिसमें सिर्फ लडकियों को ही पढाया जाएगा, इस स्कूल का उद्घाटन मुम्बई के पूर्व पुलिस कमीश्रर, बागपत से सांसद एवं एचआरडी स्टेट मिनिस्टर सतपाल मलिक ने किया। इस अवसर पर मंत्री का गुरूकुल की ओर से भव्य स्वागत किया गया।
गुरूकुल द्वारा छात्राओं के लिए की गई नई पहल और नए स्कूल की शुभकामनाएं देते हुए मंत्री सतपाल मलिक ने कहा कि गुरूकुल ने छात्राओं के लिये स्कूल खोलकर बडा ही सराहनीय कार्य किया है। वहीं मंंत्री सतपाल मलिक ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारे देश की शिक्षा में बहुत बदलाव की जरूरत है जिसके लिए जल्द शिक्षा में बडा बदलाव किया जाएगा , जिसके लिए केन्द्र सरकार नई शिक्षा नीति तैयार कर रही है,, वहीं मलिक ने दावा करते हुए कहा कि देश के भविष्यों को बर्षो से गलत शिक्षा पाठ्यक्रम के द्वारा दी जा रही है जिसमें हमारे पूर्वजों को बंदर बताया जा रहा है और हमें उन बंदरों की संतान बताया जा रहा है,, हमें आदिकाल के नाम पर बंदरों की औलाद पढाया जा रहा है जो कि गलत है, जिन वैज्ञानिकों ने हमें बंदर की संतान बताया है उन्हें में बता दूं कि हम ऋषि मुनियों की संतानें है न कि बंदरों कि, जो हमें ये बता रहे हैं वो ही वैज्ञानिक जरूर बंदरों की औलाद होंगे। मंत्री साहिब ने इस अवसर पर कहा कि गंगा नदी की सफाई का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा ।वहीं, गुरूकुल के आचार्य ऋषिपाल ने बताया कि अभी स्कूल में 7वीं कक्षा तक ही छात्राओं की पढाई करवाई जा रही है जो कि सीबीएसई के पैट्रन पर है जिसमें आधुनिक शिक्षा के साथ – साथ प्राचीन शिक्षा भी दी जाएगी । आचार्य ने कहा कि भविष्य में इस स्कूल को छात्राओं का गुरूकुल बनाने की भी कोशिश रहेगी।