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डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी बोले, देश में कितनी पीड़ा है, कितनी मंदी है, टमाटर में कितनी तेजी है, कीमतों की क्‍या हालत है.

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता व सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब जानते हैं दोस्‍तों कि देश में कितनी पीड़ा है? कितनी मंदी है? टमाटर में कितनी तेजी है? कीमतों की क्‍या हालत है? जीडीपी की क्‍या हालत है? रोजगार की क्‍या हालत है? और उस सबके बीच में और जाहिर है कि जब जीडीपी कम होगी, तो फिर जीएसटी भी कम होगी। उस सब के बीच में ये प्रयत्‍न किया गया है कि Prevention of Money-laundering Act जिसको PMLA कहते हैं, उसका एक और नया आयाम ढूंढा जाए दुरुपयोग करने का और मैं आपको अभी विस्‍तार से समझाऊंगा कि ये क्‍या हुआ है अभी?

सरकार शायद दो निशाने साधना चाहती है, बाजार की कमर तोड़ना एक तरफ और विपक्ष के सभी अंगो को मरोड़ना, दुष्‍प्रभावित करना, जो ऑलरेडी पीएमएलए से अन्‍य क्षेत्रों में हो रहा है। जैसा हम जानते हैं कि जुलाई 7 में एक नोटिफिकेशन द्वारा पीएमएलए को लागू किया गया, जीएसटी विषयों में और जैसा हम जानते हैं कि ये पीएमएलए का जो भयानक, व्‍यापक एक ढांचा बनाया गया है, उसमें सैकड़ों एजेंसीज़ को ज्‍वाइन किया जाता है, आज की तारीख में 15 एजेंसीज हैं वहां पर। Competition Commission of India, National Investigation Agency, Serious Fraud Investigation Office, State Police, Ministry of External Affairs 15 नाम हैं सूची में, मैं सब नाम नहीं ले रहा हूं।आज बहाना दिया गया है कि ये आवश्‍यक है देश के लिए, लेकिन अब इसके कुछ रोचक पहलू देखें आप। जब जीएसटी काउंसिल की मीटिंग हुई 11 तारीख को यानी कल, तो कम से कम 9 और उसमें कई बहुत बड़े विशाल प्रदेश हैं, जिन्‍होंने पूरे पुरजोर तरीके से इसका विरोध किया। इसका विरोध किया कई कारणों से, मुख्‍य कारण ये है कि पहली बात अभी ट्रेड, आयात-निर्यात बहुत ज्‍यादा कमी, मंदी पर चल रहा है। आज सच्‍चा, सरल, बिजनेस का आदमी वैसे ही कमर तोड़े हुए चल रहा है, उसके ऊपर बोझ बहुत ज्‍यादा है।अब आप पीएमएलए के द्वारा, वो जितने भी छोटे बिजनेस हैं और कई छोटे बिजनेस 1 करोड़ से ज्‍यादा होते हैं, उन सबकी कमर तोड़ने के अलावा, उनको नियंत्रित करना चाहते हैं, अपने से भयभीत रखना चाहते हैं, उसको दबाना चाहते हैं और आज आप जीएसटी के विषय में इंफॉर्मेशन शेयरिंग, इस नए कानून द्वारा या नए नोटिफिकेशन द्वारा शुरू कर रहे हैं। हम जानते हैं दोस्‍तों कि ईडी अभी नहीं कई सालों से, किस प्रकार से दुरुपयोग कर रही है अधिकार क्षेत्रों का, अब वो दुरुपयोग जीएसटी के क्षेत्र में, छोटे बिजनेसेज़ की तरफ भी जाएगा। इसके बिना भी दिन-प्रतिदिन कोविड के पहले और कोविड के बाद ये छोटे बिजनेसेज़, जिनको आप एमएसएमई भी कहते हैं, दिन-प्रतिदिन अपनी पीड़ा व्‍यक्‍त करते थे, कंप्‍लेंट करते थे। अब सोचिए जब इनका थोड़ा-थोड़ा रिकवरी का टाईम आया है तो एक और बोझ डाल दिया गया है, बोझ से याद आया एक बहुत बड़ा भय डाल दिया गया है।ये हम समझते हैं कि टैक्‍स आतंकवाद के अलावा और कुछ नहीं है, टैक्‍स आतंकवाद, Tax Terrorism. कई लोग जीएसटी पे नहीं करते हैं, कई लोगों को जीएसटी से कोई मतलब नहीं है, जीएसटी उनके पूरे आयाम में, पूरे बिजनेस में आता नहीं है। अब आपसे ईडी बार-बार ये भी प्रश्‍न पूछ सकती है कि आप जीएसटी अवॉयड कैसे कर रहे हैं, जबकि जीएसटी लागू नहीं होता हो और वो लाखों छोटे बिजनेसेज़ जो जीएसटी की परिधि में नहीं हैं, वो भी भयभीत होकर अब रहेंगे। दूसरा या तीसरा पहलू, एक तो हुआ ट्रेड का, एक हुआ भय का, तीसरा हुआ छोटे बिजनेसज का।
चौथा – क्‍या इसके बारे में कोई भी विचार-विमर्श हुआ देश में, संसद में, संसद का पिछला सत्र इतना पहले नहीं था, हाल में था। किसी रूप से विचार-विमर्श, आदान-प्रदान हुआ। अरे भाई आदान-प्रदान कहां होगा, जीएसटी काउंसिल में नहीं हुआ, संसद में कहां होगा, बाहर कहां होगा, सिविल सोसायटी में कहां होगा?अचानक चुपचाप इसको ले आए 7 जुलाई को एक गजट नोटिफिकेशन द्वारा। क्‍यों – क्‍योंकि आप पूरी तरह से आश्‍वस्‍त थे, माननीय सरकार कि अगर इसको हम विचार-विमर्श में, पब्लिक डोमेन में रखते तो काफी इस पर गुस्‍सा आता, काफी झगड़ा और विरोध होता, उस सबको आपने जल्‍दबाजी में, Tearing hurry में करके, खत्‍म करके एक मामले को अंतिम चरण देने का प्रयत्‍न किया है।ये बड़ा स्‍पष्‍ट है कि इसमें कोई भी आम कारण नहीं है, bona fide कारण नहीं है। एक या दो बहुत ही जबरदस्‍त, अजीबो-गरीब, विकृत कारण दिया जा रहे हैं। एक है Tax evasion, दूसरा है Terror funding। ये लगता है मुझे कि ये दोनों वाक्य इस सरकार के फेवरिट हो गए हैं, हुबहू यही वाक्‍य आपको डीमोनेटाइजेशन के वक्‍त इस्‍तेमाल किए गए थे। माननीय प्रधान मंत्री की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नहीं, अध्‍यादेश में, नोटिफिकेशन में। Tax evasion and Terror funding, ये तीन में से 2 कारण थे डीमोनेटाइजेशन के। पीएमएलए को आए हुए अब कितने वर्ष हो गए, कितने दशक हो गए। इतने दशकों से सेल्‍स टैक्‍स में, जीएसटी में पीएमएलए के जो पूर्व जितने भी ढांचे हैं, वो लागू नहीं हो रहे थे, तो अभी अचानक इसको क्‍यों इजाद किया गया।मैं अपने ही प्रश्‍न का उत्तर देना चाहता हूं आपको। चुनाव आ रहे हैं, राजनैतिक एक एरीना खुला है, उसमें आतंक कैसे फैलाओ? ये मेरे अगर राजनैतिक प्रतिद्वंदी हैं तो उनको डराकर, धमकाकर कैसे रखो? आप मेरे विरुद्ध लड़ रहे हैं तो आपको दबाऊं कैसे? एक नया औजार ढूंढों, एक नई तकनीक निकालो, ये आपको उस व्‍यापकता में देखना पड़ेगा और इस सबका आपका एक्‍चुअल आंकड़ा उपलब्धि का क्‍या है – आपका आंकड़ा है 24 कन्‍विक्‍शंस, 24 कन्‍विक्‍शंस अभी हुए हैं इस तरह की चीजों मे। कई दशकों में अगर 24 कन्विक्‍शंस हुए हैं तो मैं समझता हूं कि इतना बड़ा ढांचा सिर्फ प्रताड़ना के लिए, हारासमैंट के लिए, दुरुपयोग के लिए ही हो सकता है और वो दूसरी बात हमने अलग से बात कर ही ली है कि बिजनेस अगर आप कर रहे हैं और जीएसटी की गड़बड़ी भी कर रहे हैं तो आपको सिर्फ पर्चा करके बीजेपी, भाजपा का मेंबर बनना है बस। वहां आपके सब कुकर्म धुल जाएंगे, साफ हो जाएंगे।अंत मैं दोस्‍तों ये उस परिपेक्ष्‍य, उस संदर्भ में भी देखना है कि क्‍या एक संदर्भ में, एक पूरे समाज और राजनैतिक ढांचे में क्‍या उपयोग या दुरुपयोग हुआ है ईडी की मशीनरी का? अभी कल-परसों की बात है, मैं भी उसमें पेश हुआ था, श्री रणदीप सुरजेवाला जी के लिए, वो याचक थे। उच्‍चतम न्‍यायालय ने कहा है कि ये बार-बार, जानबूझकर के क्‍या आपको दुनिया भर में सिर्फ एक ही आदमी मिला है, क्‍या सिर्फ एक ये ही आदमी है जो ईडी का डायरेक्‍टर हो सकता है? एक बार मना किया हमने, दूसरी बार बना दिया, दूसरी बार मना किया, तीसरी बार बना दिया। तो आपको इस परिपेक्ष्‍य में देखना है और ये परिपेक्ष्‍य है Control freak सरकार, नियंत्रण सरकार, प्रताड़ना सरकार, डरा-धमकाकर रखने वाली सरकार और आप बार-बार जीएसटी की बात करते हैं। आज रियल जीडीपी में कितना कम हुआ है? हमारे पास जो आंकड़े हैं और मेरे कोल्‍लीग्‍स ने इसी पोडियम से आपको ब्रीफ भी किया है। पिछले 4 सालों में औसतन विकास दर, हमारे जो फिगर हमने दिए यहां से… उस पर 3.4 प्रतिशत है average annual growth rate.

आप इतना हल्‍ला कर रहे हैं जीएसटी पर क्‍यों – क्‍योंकि मैं आपको डरा-धमकाकर जीएसटी निकालूंगा पीएमएलए द्वारा और आपकी ग्रोथ रेट पर ध्‍यान नहीं दे रहे हैं आप, इसलिए मैं अंत करूंगा अपनी बात, जो बात मैंने कही, उस पर जो प्रश्‍न उठते हैं, उनको सारांश में, संक्षेप में आपके सामने रखता हूं।

1. एक ऐसा नया नोटिफिकेशन दस्‍तावेज अचानक, बिना विचार-विमर्श के कैसे आया, क्‍यों आया, आपकी पीठ पीछे क्‍यों आया, लुका-छुपी में क्‍यों आया?
2. क्‍या इसका एक ही कारण है कि आपके डर और भय को ज्‍यादा व्‍यापक बनाना, जो अभी से ही चल रहा है, कई सालों से दुरुपयोग, उसकी व्‍यापकता को बढ़ाना?
3. क्‍या इसलिए किया कि चुनाव अब निकट भविष्‍य में हैं, क्‍या चुनाव जिसमें कि ऐसे छोटे या मध्‍यम वर्ग के बिजनेस आते हैं, उनको नियंत्रण करने का एक नया तरीका चाहिए था 2024 के चुनाव के पहले?
4.क्‍या इसका विशेष प्‍यार और विशेष संदेश सिर्फ विपक्ष के लिए रखा जाएगा, विशेष आंख और इतनी जल्‍दबाजी की क्‍या जरूरत थी, जो इतने सालों से चल रहा था, अचानक इस महीने लाने की आवश्‍यकता क्‍या थी?

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