Athrav – Online News Portal
दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

दिल्ली ब्रेकिंग: कांग्रेस महासचिव व सांसद प्रियंका गांधी ने मनरेगा कानून के स्थान पर नया विधेयक लाने पर जताया विरोध-वीडियो सुने


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने मनरेगा कानून के स्थान पर नया विधेयक लाए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। ‘विक सित भारत-जी राम जी बिल’ को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक ग्रामीण गरीबों के रोजगार के कानूनी अधिकार को कमजोर करेगा और राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इसे बिना चर्चा के जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए और मांग कि यह विधेयक वापस लिया जाए।लोकसभा में बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि गहन जांच और व्यापक चर्चा के लिए इस बिल को कम से कम संसद की स्थाई समिति के पास भेजा जाना चाहिए। प्रियंका गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण भारत को रोजगार देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सक्षम रहा है। यह ऐसा क्रांतिकारी कानून है, जिसे बनाते समय सदन के सभी राजनीतिक दलों ने सहमति जताई थी। इसके तहत गरीब से गरीब लोगों को 100 दिन का रोजगार मिलता है। उन्होंने श्रमिकों की मेहनत का उल्लेख करते हुए कहा कि मनरेगा मजदूर दूर से ही पहचाने जाते हैं; उनके चेहरे पर झुर्रियां होती हैं और हाथ पत्थर की तरह कठोर होते हैं।प्रियंका गांधी ने सरकार पर मांग आधारित व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा की सफलता का आधार इसकी मांग के आधार पर संचालित होने की प्रकृति है। इसका मतलब है कि जहां रोजगार की मांग है, वहां 100 दिनों का रोजगार देना अनिवार्य है। केंद्र से पूंजी (फंड) का आवंटन भी जमीनी स्तर की मांग पर आधारित होता है।

उन्होंने कहा कि नए विधेयक में केंद्र को यह अधिकार दिया गया है कि वह पहले से निर्धारित कर ले कि कितनी पूंजी किस राज्य को भेजी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम संविधान के 73वें संशोधन की अनदेखी करता है, जो ग्राम सभाओं को जमीनी परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार देता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे संविधान की मूल भावना यह है कि हर व्यक्ति के हाथ में ताकत होनी चाहिए, लेकिन नया विधेयक उसी मूल भावना के विपरीत है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि वित्तीय मॉडल में बदलाव से राज्यों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा सकती हैं। जहां मनरेगा में 90 प्रतिशत अनुदान केंद्र से मिलने का प्रावधान है, वहीं नए विधेयक के माध्यम से केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा है, लेकिन उसकी जिम्मेदारी घटाई जा रही है। इसके तहत ज्यादातर प्रदेशों में अब केंद्र से केवल 60 प्रतिशत अनुदान ही आएगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर बहुत भार और इसका सबसे ज्यादा असर उन राज्यों पर होगा, जो पहले से ही केंद्र से बकाया जीएसटी राशि का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने विधेयक की विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसमें काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने की बात कही गई है, लेकिन मजदूरी बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है।उन्होंने अंत में कहा कि कोई भी विधेयक किसी की निजी महत्वाकांक्षा, सनक और पूर्वाग्रहों के आधार पर न तो पेश होना चाहिए और न ही पास होना चाहिए।

Related posts

रोजगार दो, न्याय दो-जय जवान’ अभियान के माध्यम से प्रत्येक युवा तक पहुंचेगी हरियाणा युवा कांग्रेस : नितिन सिंगला

Ajit Sinha

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिया बड़ा तोहफा, 2008 के बाद पहली बार बढ़ा दिल्ली में कृषि भूमि का सर्कल रेट 

Ajit Sinha

सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी बीजेपी-जेजेपी, विधान सभा में देना होगा घोटालों पर जवाब- हुड्डा

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x