नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोगों का बहुत-बहुत स्वागत है। कल निर्मला सीतारमन ने एक बयान दिया और आज प्रमुखता से अखबारों में छपा भी है, कि उन्होंने कहा है कि पेट्रोल और डीजल के ऊपर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी वो इसलिए कम नहीं कर सकते, क्योंकि ऑयल बांड यूपीए के टाइम के ऊपर जो कथित शुरुआत की गई थी, उसकी वजह से वो पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज कम नहीं कर सकते। इस वाक्य में उतनी ही सच्चाई है, जितनी सच्चाई मध्य प्रदेश के एक मंत्री के वक्तव्य में सच्चाई होगी या नहीं होगी, ये आप खुद देंखें, जिसमें उन्होंने ये कहा कि आज की महंगाई पंडित जवाहरलाल नेहरु के 1947 के भाषण की वजह से हो रही है। तो जितनी सच्चाई मध्यप्रदेश के उस मंत्री के उस वक्तव्य में है, उतनी ही सच्चाई निर्मला सीतारमन के वक्तव्य में है।
आज हम सबसे पहले तो ये कहना चाहते हैं। जो महंगाई पेट्रोल और डीजल की बढ़ रही है और उसकी वजह से जो दूसरी महंगाई बढ़ रही है, उसका सिर्फ और सिर्फ एक कारण ये है कि पेट्रोल-डीजल और पेट्रोलियम प्रोडक्टस के ऊपर टैक्स 3 गुना बढ़ा दिए गए। अभी मैं आंकड़ों के द्वारा आपको बताऊंगा और वो सब आपको हम देंगे। कि पेट्रोल-डीजल और पेट्रोलियम प्रोडक्टस पर टोटल टैक्स तीन गुना बढ़ा दिए गए और सब्सिडी 12 गुना कम कर दी गई। 12 गुना सब्सिडी कम की गई है पेट्रोल-डीजल के अंदर। आज हम ये रिकॉर्ड के साथ कहना चाहते हैं और कांग्रेस पार्टी ये आरोप लगाना चाहती है केन्द्र सरकार के ऊपर, कहना चाहती है कि आम जनता की जेबों के ऊपर बोझ केवल इसलिए यह मोदी सरकार डाल रही है कि उन्होंने सब्सिडी को 12 गुना कम कर दिया और टैक्स 3 गुना बढ़ा दिया, जिसकी वजह से आज पेट्रोल और डीजल की मार साधारण जनता पर पड़ रही है।
अब मैं आंकड़ों के माध्य़म से आपको बताऊंगा, लेकिन निर्मला सीतारमन जी आप तो केवल भाजपा की उस बात को फोलो करते हैं, जिसमें आप कहते हैं कि झूठ से बैर नहीं, सच की खैर नहीं। तो सच की तो कोई खैर नहीं और झूठ से कोई बैर नहीं और झूठ को गले लगाकर जिस तरीके से मोदी जी का भाषण हुआ, उसी को लेकर ये आगे चले।
आप लोगों को मैं बताना चाहता हूं कि पेट्रोल-डीजल से वर्ष 2020-21 में सेंट्रल गवर्मेंट को 4 लाख 53 हजार करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन हुआ है पेट्रोल और डीजल से। बावजूद इसके आप ये सोच सकते हैं कि कोरोना काल के दौरान पेट्रोल-डीजल की बिक्री कम हुई है, बावजूद इसके 4 लाख 53 हजार करोड़ रुपए और कांग्रेस का जो आखिरी वर्ष था, 2013-14, उस साल के ऊपर हम लोगों का 1 लाख 72 हजार करोड़ के करीब का हमारे समय का टैक्स कलेक्शन था। 1 लाख 52 हजार करोड़ का टैक्स कलेक्शन था 2013-14 में, जो कि 3 गुना बढ़कर 4 लाख 53 हजार करोड़ का हो गया। हमारे समय के ऊपर 1 लाख 52 हजार करोड़ का था, जो अब बढ़कर 4 लाख 53 हजार करोड़ का हुआ है और सब्सिडी हमारे आखिरी वर्ष के अंदर 1 लाख 47 हजार करोड़ थी। 1 लाख 47 हजार करोड़ की सब्सिडी थी और अब सब्सिडी इस वर्ष कितनी है – सिर्फ 12 हजार 231 करोड़। सिर्फ 12 हजार। हमारे समय के ऊपर इससे 12 गुना ज्यादा 1 लाख 47 हजार करोड़ की सब्सिडी थी और 12 गुना सब्सिडी घटाकर 12 हजार करोड़ के पर ये लेकर आए हैं, जिसकी वजह से आज साधारण जनता के ऊपर पेट्रोल-डीजल के महंगे दामों की मार पड़ रही है। तो ये बड़ा स्पष्ट है कि जिस तरीके से इन्होंने लॉकडाउन शुरु होते ही पहले 5 मार्च, 2020 को 3 रुपए पेट्रोल और डीजल के ऊपर इन्होंने एक्साइज बढ़ाया। फिर 5 मई को 2 महीने के अंदर-अंदर ही डीजल पर 13 रुपए और पेट्रोल पर 10 रुपए एक्साइज बढ़ा दी। तो एक्साइज जिस तरह से बढ़ाते गए और बढ़ाते गए और अब उसकी हालत ये हो गई है कि पिछले 15 महीनों के अंदर पेट्रोल 32 रुपए 25 पैसे बढ़ा है और डीजल 27 रुपए 58 पैसे बढ़ा है। ये हम इस चीज को आप लोगों के सामने रखना चाहते हैं। लेकिन ये ऑयल बांड की बात करते हैं असल में ये क्यों बढ़ रहा है – यह एक बड़ी सोच का विषय है कि यह रेट क्यों बढ़ाने की जरुरत पड़ रही है, सरकार क्यों इसे बढ़ा रही है – सरकार साधारण जनता के ऊपर जो बोझ डाल रही है, वो कहीं से बोझ तो कम हो रहा है, जो साधारण जनता के ऊपर डाला जा रहा है और वो सीधे- सीधे कॉर्पोरेट टैक्स के कलेक्शन में जो कमी आ रही है, सरकार उसकी भरपाई साधारण जनता के साथ में कर रही है। आपको याद होगा कि सितंबर 2019 को जो कॉर्पोरेट टैक्स का बेस रेट था, इस सरकार ने उसको कम करके 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया और नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया। लिहाजा उसका असर ये हो रहा है कि जो टोटल कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन है, वो 1 लाख करोड़ रुपए कम हो गया। 1 लाख करोड़ रुपए केवल कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन कम हो गया। 5 लाख 57 हजार करोड़ का 2019-20 में था, जो कम होकर 4 लाख 57 हजार करोड़ का एक लाख करोड़ का कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन कम हो गया। तो उस कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन की कमी जो हुई है, उसकी भरपाई करने के लिए साधारण जनता के ऊपर बोझ डाला जा रहा है और साधारण जनता के ऊपर टैक्स पर टैक्स लगाकर उन लोगों से वसूला जा रहा है।
हम कॉर्पोरेट सेक्टर को रियायत देने के लिए खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार को अपनी अफिसेंशी बढ़ानी है और जो अनाप-शनाप खर्चे सरकार जो इस कोरोना काल के अंदर कर रही है, अगर उसको रोके तो कॉर्पोरेट सेक्टर को भी मदद हो सकती है और साधारण जनता की जेब पर बोझ नहीं पड़ सकता है। ये सरकार को हम लोग बताना चाहते हैं।
कॉर्पोरेट टैक्स के बारे में और डिटेल जो नोट हम आपको देंगे, उसके अंदर दिया हुआ है विस्तार से कि कैसे कॉर्पोरेट टैक्स जो उसका टोटल जीडीपी का कंपोनेंट है कॉर्पोरेट टैक्स का, वो कैसे कम हुआ है। जैसे कॉर्पोरेट टैक्स 2017-18 में टोटल जीडीपी का 3.34 प्रतिशत था और अब 2020-21 में वो 3.34 प्रतिशत से घटकर 2.32 प्रतिशत टोटल जीडीपी का हुआ है। तो जो टोटल जीडीपी के अनुपात के अंदर जो कॉर्पोरेट टैक्स था, उसके अंदर बहुत भारी गिरावट आई है और उसका कारण जैसे मैंने आपको बताया कि 2019 सितंबर में किस तरह से कॉर्पोरेट सेक्टर के, कॉर्पोरेट सेक्टर के कॉर्पोरेट बेस रेट को कम किया गया और जिसका खामियाजा साधारण जनता की जेबों के ऊपर पड़ रहा है। अब हम मुख्य मुद्दे पर आते हैं, जिसकी शुरुआत की थी ऑयल बांड के ऊपर। ऑयल बांड निर्मला सीतारमन जी कहती हैं कि ऑयल बांड की सर्विसिंग की वजह से, ऑयल बांड जो हम लोगों ने, यूपीए सरकार ने लिए थे, जो फ्लोट किए थे, उसकी वजह से वो एक्साइज ड्यूटी कम नहीं कर पा रहे हैं। हम लोगों ने आपको एक ये पूरा का पूरा चार्ट बनाकर दे रहे हैं। इस चार्ट के अंदर हम लोगों ने दिया है कि 2014-15 से लेकर अब तक के कितना पैसा केन्द्र सरकार को ऑयल बांड की सर्विसिंग की लिए देना पड़ा। आज कुछ अखबारों ने भी इसका जिक्र किया है। 2014-15 में प्रिसिंपल रिपेमेंट जो केवल एक बार करने की जरुरत थी, 3,500 करोड़ रुपए और इंट्रस्ट पेमेंट हर साल लगभग 9,990 करोड़ के करीब हर साल दिया जा रहा है। कुल मिलाकर पिछले 7 वर्षों के अंदर ऑयल बांड की सर्विसिंग और रिपेमेंट के ऊपर 73 हजार 400 करोड़ रुपए केवल खर्च हुआ है। और 73 हजार 400 करोड़ रुपए ऑयल बांड की सर्विसिंग के ऊपर 7 वर्ष में खर्च हुआ है और 7 वर्ष के अंदर टैक्स कलेक्शन कितना हुआ है – 22 लाख 34 हजार करोड़ रुपए। तो 22 लाख 34 हजार करोड़ रुपए जो टैक्स कलेक्शन हुआ है, उसमें से केवल 73 हजार 440 करोड़ रुपए यानी सिर्फ 3.2 प्रतिशत टोटल टैक्स कलेक्शन में से ऑयल बांड में खर्च हुआ है। सिर्फ 3.2 प्रतिशत। तो 3.2 प्रतिशत सिर्फ आपका टैक्स कलेक्शन में से ऑयल बांड की सर्विसिंग में खर्च हो रहा है और आप टैक्स को तीन गुना बढ़ा रहे हैं, सब्सिडी को आप कम करके 12 गुना सब्सिडी कम कर रहे हैं, तो ये किस चीज का आप कैसे एक्सप्लेनेशन देते हैं और घूम फिर कर आप ऑयल बांड पर आते हैं।
मैं आपको लोगों को इस बीच में और बताना चाहता हूं कि ऑयल बांड कोई यूपीए या कांग्रेस ने शुरु नहीं किया था। पहला ऑयल बांड 1 अप्रैल, 2002 को 9,000 करोड़ रुपए का वापजेयी जी की सरकार ने उसको फ्लोट किया था, सबसे पहला ऑयल बांड। और उसका जो देय डेट थी, उसकी जो रिपेमेंट डेट थी वो 2009 को थी, जो कि यूपीए सरकार ने दिया। तो हम लोगों ने तो कभी भी इस चीज का शोर नहीं मचाया कि 9,000 करोड़ रुपए वाजपेयी जी देकर चले गए, क्योंकि ये इतना छोटा अमाउंट होता है, ऑयल बांड का सर्विसिंग का, टोटल टैक्स कलेक्शन में से कि इस चीज का असर नेगलिजिबल होता है और इसी वजह से ये फ्लोट किए जाते हैं। तो आप सोचिए कि पूरे के पूरे टैक्स कलेक्शन में से सिर्फ 3.2 प्रतिशत जिसमें से खर्च होना है और अभी भी इस वर्ष 20 हजार करोड़ रुपए का टोटल ऑयल बांड के ऊपर रिपेमेंट का और इसके इंट्रस्ट का दोनो का इस वर्ष खर्च होना और 5 लाख करोड़ से ऊपर का टैक्स रेवेन्यू आने वाला है। तो 5 लाख करोड़ रुपए में से सिर्फ 20 हजार करोड़ रुपए देने की जरुरत पड़ेगी। तो 20 हजार करोड़ रुपए अब जो है ऑयल बांड पर देना पड़ेगा और कांग्रेस अपने समय के ऊपर 1 लाख 50 हजार करोड़ के ऊपर सब्सिडी दिया करती थी और आपको सिर्फ 20 हजार करोड़ रुपए का आपको ऑयल बांड का वापस रिपेमेंट करना है, जो कि मुश्किल से 3 प्रतिशत के करीब आपका पड़ता है। तो कैसे आप ये कह सकते हैं कि एक्साइज ड्यूटी हम कम नहीं कर सकते, क्योंकि ऑयल बांड को यूपीए ने लिया है, तो ये सरासर झूठ है।तो कृपया झूठ बोलकर लोगों को गुमराह ना किया जाए। निर्मला सीतारमन जी और मोदी सरकार से हम ये कहना चाहते हैं और ये वॉट्सअप इंडस्ट्री के अंदर ये ऊल्टा –सीधा चलाना बंद करें, सच्चाई से लोगों को अवगत चलाएं। लोगों की जेबों पर आप डाका डाल रहे हैं और इसलिए डाका डाल रहे हैं कि आपने कॉर्पोरेट सेक्टर के अंदर कॉर्पोरेट हाउस के अंदर हम दो – हमारे दो अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए आप लोगों ने जो उनको टैक्स की रियायत दी है। उस टैक्स की भरपाई करने के लिए आप लोग खामियाजा भुगताने के लिए आम जनता के ऊपर बोझ डाला जा रहा है। ये हमारा सीधा-सीधा कहना मोदी सरकार को है।
तो इसलिए हमारी सीधी-सीधी मांग ये है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ऊपर क्रूड ऑयल प्राइस अभी कम हो रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ऊपर क्रूड ऑयल प्राइस कम हो रहे हैं, लेकिन हिंदुस्तान में कम नहीं हो रहे हैं, तो क्यों ऐसा हो रहा है? सीधे के सीधे एकदम से कम किया जाना चाहिए। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंदल लाया जाना चाहिए, दूसरा हमारा कहना ये है और तीसरा कि सेंट्रल गवर्मेंट को एकदम से जो अपनी एक्साइज ड्यूटी जो उन्होंने बढ़ाई है, पिछले 7 वर्षों के अंदर, उसको वापस लेकर जब तक जीएसटी पर नहीं लाते, जब तक उसको वापस लाकर यूपीए के वक्त की जो पेट्रोल और डीजल की एक्साइज दरें थी, उसको अगर करें, तो एकदम से सीधे के सीधे लगभग 30 रुपए प्रति लीटर कम हो जाएगा। क्योंकि लगभग इतना ही पैसा इन्होंने एक्साइज में बढ़ाया है। तो हमारी तीन मुख्य मांगे हैं केन्द्र सरकार से। तो बहानेबाजी करना बंद करें। एक्साइज को कम करें, अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य के जब प्राइस कम हुए हैं, तो इसमें भी प्राइस कम होने चाहिएं। ये हमारी मांग है और सीधे-सीधे हम लोग केन्द्र सरकार को कहना चाहते हैं कि बहानेबाजी बंद करें। कभी आपके मंत्री कहते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की 1947 की स्पीच की वजह से आज महंगाई बढ़ रही है। कभी आपके मंत्री कहते हैं कि ऑयल बांड जो यूपीए ने किया था, उसकी वजह से बढ़ी। हमने तो नहीं कहा था कि इसकी शुरुआत वाजपेयी जी की सरकार में 9,000 करोड़ का ऑयल बांड आप लोगों ने शुरु किया, इस वजह से बढ़ रहा है। तो दूसरों के ऊपर, अब तो 7 वर्ष हो गए हैं आपको सत्ता में आए, तो दूसरों के ऊपर आप इल्जाम लगाना बंद करें। खुद अपने घर को और अपने महकमे को ठीक करें, दुरुस्त करे ताकि देश की जनता को इस महंगाई से राहत मिल सके।