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कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने “खेती का ख़ून” के नाम से एक बुक लेट जारी किया हैं और क्या कहा सुनिए इस वीडियो में  

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज इस विशेष पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, हम सबके नेता, राहुल गांधी का, वेणु गोपाल और बंसल साहब का मैं स्वागत करता हूं। बहुत मुश्किल समय में एक अच्छी खबर आई, जैसा राहुल जी ने कहा कि आज हिंदुस्तान ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी जीत का झंडा गाड़ा है। सब देशवासियों को, राहुल गांधी की तरफ से, कांग्रेस अध्यक्षा की तरफ से बहुत-बहुत बधाई।
देश का किसान जो पीड़ा में है, उसे लेकर आज राहुल गांधी जी आपसे बात करेंगे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से एक किसान की पीड़ा को लेकर एक पुस्तिका सर्कुलेट की जाएगी। मैं सबसे पहले राहुल गांधी जी से और सगंठन महासचिव प्रभारी और हमारे कोषाध्यक्ष से अनुरोध करुंगा कि पहले वो बुक रिलीज कर दें और उसके बाद राहुल जी आपसे बात करेंगे। (राहुल गांधी,के सी वेणुगोपाल, पवन कुमार बंसल तथा रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा पुस्तक का अनावरण करके जारी किया गया)

राहुल गांधी ने कहा कि देखिए,अगर आप पिछले 6-7 साल को देखें, तो हर इंडस्ट्री में उन्हीं 4-5 लोगों की मनोपली बन रही है। पॉवर देखिए, एयर पोर्ट्स देखिए, पोर्ट्स देखिए, टेलीकॉम देखिए, जहाँ भी आप देखेंगे, उन्हीं 4-5 लोगों की मनोपली बन रही है। मतलब, इस देश के 4-5 नए मालिक हैं। आज तक एग्रीकल्चर में, खेती में मनोपली नहीं थी, आज तक हिंदुस्तान के खेतों का फायदा किसानों को जाता था, मजदूरों को जाता था, मिडिल क्लास को जाता था, गरीबों को जाता था। कैसे एक पूरा ढांचा था, जो इन लोगों की रक्षा करता था। उसमें मंडियां शामिल थी, उसमें एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट शामिल था, उसमें लीगल सिस्टम शामिल था। ये तीन कानून खेती में, एग्रीकल्चर में एक बार फिर जो इंडिपेंडेंस से पहले हालत थी, वो करने जा रहे हैं। 4-5 लोगों के हाथ में पूरा का पूरा हिंदुस्तान की खेती का ढांचा नरेन्द्र मोदी जी दे रहे हैं। इसीलिए किसान बाहर खड़े हैं और किसान केवल अपनी रक्षा नहीं कर रहे हैं और ये हमारे मिडिल क्लास भाईयों को और खासतौर से युवाओं को समझना होगा, वो आपकी रक्षा कर रहे हैं, वो आपके भोजन की रक्षा कर रहे हैं और हम सबको पूरा का पूरा उनको समर्थन देना है। ये हिंदुस्तान की रियालिटी है। अब आप मुझसे कोई सवाल पूछना चाहते हैं, जरुर पूछिए। देखिए, एक बात है, ये जो प्रेस कॉन्फ्रेंस है, ये मैं किसान भाईयों के लिए कर रहा हूं, तो ब्रॉडली (broadly) मैं आपके जवाब दूंगा, मगर डिस्ट्रैक्ट करने की आप कोशिश मत कीजिए।

On a question about deadlock is talks between farmers & the Government over three laws, Shri Rahul Gandhi said- There is no deadlock, you have to understand what is going on, and there is no deadlock. The Government believes that they can tire out the farmers. The Government in its arrogance believes that किसानों को थकाया जा सकता है, किसानों को बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसानों को ना थकाया जा सकता है, ना उनका बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं। प्रधानमंत्री से ज्यादा समझ हिंदुस्तान के किसान को है, क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है। So that is reality. Solution एक ही आएगा, ये तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ेगा, और कोई सोल्यूशन नहीं आएगा। On a further question about farmer’s agitation, Shri Gandhi said- We are exerting more pressure. We are already exerting pressure. This press conference is a means of exerting pressure, but, more than exerting pressure, I think, the thing to understand is that this is not about farmers. This is about the creation of massive monopolies in this country that are going to take away wealth from the people of India; this is the crux of it. Please, tell me, one industry in India today, just name it for me, which is not monopolized by the same 5-6 people that is the real crux of the issue. This is the first step, but, you will see after the farmers, India will not be able to produce jobs, why- why is it that the Indian economy has gone from the best performance to the worst performance?

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा किए गए ट्वीट से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री राहुल गांधी ने कहा कि अभी मुझे ये अटेंपटेड डिस्ट्रैक्शन (Attempted distraction) लग रहा है। ये अभी फुल डिस्ट्रैक्शन नहीं है, अटेंपटेड डिस्ट्रैक्शन है, but ठीक है। जो उनके दिल में है, वो मेरे बारे में कहते हैं। सरकार किसानों को डिस्ट्रैक्ट (distract) करने की कोशिश कर रही है। सरकार कह रही है किसानों को कि देखिए, बात करिए हमसे। 9 बार बात हो गई, उसको सरकार घसीटती जा रही है। तो रियालिटी किसान जानते हैं और राहुल गांधी कौन है, क्या करता है, हिंदुस्तान का हर किसान जानता है। किसान जानता है भट्टा पारसौल में नड्डा जी नहीं खड़े थे, मैंने तो उनको नहीं देखा। लैंड एक्विजिशन के समय नड्डा जी तो नहीं खड़े थे, मोदी जी तो नहीं खड़े थे, राहुल गांधी खड़ा था। तो जब किसान की जमीन का मामला था, वहाँ पर कांग्रेस खड़ी थी। जब किसानों का कर्जा माफ करने की बात आई थी, वहाँ कांग्रेस खड़ी थी। नड्डा जी कहाँ थे? मुझे तो नहीं दिखे। और ये मैं आपको एक और बात बता देता हूं, देखिए, मेरा कैरेक्टर है, मैं ना नरेन्द्र मोदी से, ना इन लोगों से डरता हूं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं साफ-सुथरा आदमी हूं, मुझे ये छू नहीं सकते। बात समझिए। हाँ, गोली से मार सकते हैं, वो अलग बात है, मगर छू नहीं सकते। मैं देशभक्त हूं, मैं अपने देश की रक्षा करता हूं। ठीक है और मैं करता जाऊंगा, मैं अकेला खड़ा हो जाऊंगा। पूरा देश भले ही अलग से दूसरी साइड हो जाए, मगर मैं सच के लिए अकेला खड़ा होने को तैयार हूँ। ये मेरा धर्म है। मैं उनसे भी ज्यादा फैनेटिक हूं। यहाँ क्या हो रहा है, जिस चीज के लिए देश लड़ा था 70-80 साल पहले, वो फिर से हो रहा है। आज मेरी बात मत मानो, जब गुलाम बन जाओगे, तो फिर मानना। मेरे लिए एक्सेप्टेबल (Acceptable) है। मैं तो गुलाम नहीं हूं ना। जेपी नड्डा द्वारा दिए बयान के संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि ये क्या जेपी नड्डा मेरे प्रोफेसर हैं क्या, कि मैं इनको जवाब देता जाऊं? कौन हैं ये, क्या ये हिंदुस्तान के प्रोफेसर हैं, टीचर हैं क्या, उनका क्यों जवाब दूं मैं? मैं हिंदुस्तान को जवाब देता हूं, किसान को जवाब देता हूं, किसान मुझसे कोई भी सवाल पूछे, जवाब दूंगा। जहाँ तक एग्रीकल्चर सिस्टम के रिफोर्म की बात है, हाँ, हमने रिफोर्म की बात की है, मगर हमने एग्रीकल्चर सिस्टम को

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