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कांग्रेस ने पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया और सुरक्षा विफलता के लिए अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:कांग्रेस ने पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया और सुरक्षा विफलता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया है।नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी और विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य ने कहा कि अमित शाह को इस खुफिया और सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि पहलगाम में घटनास्थल पर न तो कोई सुरक्षा पोस्ट थी, न ही कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हमले से कुछ दिन पहले ही सुरक्षा का जायजा लिया था और कहा था कि सब ठीक है, हालांकि 17 अप्रैल को होने वाला प्रधानमंत्री का दौरा सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया गया था। इसका मतलब है कि कुछ खुफिया सूचनाएं मिली थीं। अगर मोदी सरकार को ये सूचनाएं मिली थीं, तो एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्होंने कहा कि अमित शाह को खुफिया और सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि ये दोनों सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि पिछले चार वर्षों में जम्मू कश्मीर के शहरों से राष्ट्रीय राइफल्स और सेना की तैनाती हटा दी गई है; उन्हें केवल आतंकवादी विरोधी अभियानों और नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया है। इस दौरान सारी सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्रालय ने अपने नियंत्रण में ले ली है। इसके अलावा अग्निवीर योजना के कारण सैनिकों की संख्या भी कम हो गई है, जिसका देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत प्रतिकूल और दूरगामी प्रभाव पड़ा है।  

कर्नल चौधरी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना ने कई आतंकी ठिकानों को तबाह किया और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। लेकिन अचानक संघर्ष विराम कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 1971 में जिस तरह इंदिरा गांधी के राजनीतिक नेतृत्व और फील्ड मार्शल मानेकशॉ के सैन्य नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया था,  उसी तरह इस बार भी भारतीय सैनिक पाकिस्तान के कई टुकड़े कर सकते थे। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारा राजनीतिक नैरेटिव पूरी तरह विफल रहा और दबाव में आकर अमेरिका द्वारा थोपे गए संघर्ष विराम को स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि ट्रंप द्वारा बार-बार संघर्ष विराम कराने के दावों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने इसका खंडन नहीं किया है। वहीं अनुमा आचार्य ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। प्रधानमंत्री पिछली दोनों सर्वदलीय बैठकों से अनुपस्थित रहे, क्या राष्ट्रीय सुरक्षा उनके लिए प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि आगामी 25 मई को प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाली एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में एक मंत्री द्वारा इस्तेमाल की गई अपमानजनक भाषा की निंदा करते हुए कहा कि अभी तक भाजपा ने उक्त मंत्री पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है। क्या यह चुप्पी उस बयान पर भाजपा की मौन स्वीकृति नहीं मानी जानी चाहिए।कांग्रेस नेताओं ने 24 से 31 मई तक देशभर में ‘जय हिंद’ सभाओं के आयोजन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 16 शहरों में और फिर राज्य व जिला स्तर पर सभाएं आयोजित की जाएंगी। इन सभाओं का उद्देश्य सैनिकों को सम्मान देना और सरकार से कुछ जरूरी सवाल पूछना है। ‘जय हिंद’ सभाओं में मोदी सरकार से पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया व सुरक्षा विफलता, अभी तक आतंकवादियों के न पकड़े जाने और अचानक संघर्ष विराम की घोषणा जैसे अहम मुद्दों पर सवाल सवाल पूछे जाएंगे।

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