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चलो उठो अब होश संभालो, उच्चत्तर शिक्षा के रखवालो,बरसों से जो लटका रखे उन कामों को ज़रा संभालो…


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
“चलो उठो अब होश संभालो, उच्चत्तर शिक्षा के रखवालो; बरसों से जो लटका रखे उन कामों को ज़रा संभालोI” राज्य के विभिन्न राजकीय महा विद्यालयों में कार्यरत्त शिक्षकों ने शिक्षा एवं शिक्षक हितों के प्रति हरियाणा सरकार की घोर उदासीनता, अकर्मण्यता और नकारात्मक रवैए के विरोध में आज उच्चत्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा को पोस्टकार्ड के माध्यम से इस प्रकार के सन्देश प्रेषित कर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की I इतना ही नहीं उन्होंने भविष्य में आन्दोलन की चेतावनी देते हुए लिखा, “पाती प्रेम की भेज रहे हैं; प्रेम से पढना इसको सारेI  और जो अब भी ना तुम समझे; घर आएँगे शीघ्र तुम्हारे I बाजे-गाज़े भी लाएंगे; और लगाएँगे हम नारेI”संघ प्रवक्ता डॉ. रवि शंकर ने इस विषय में बताया कि,

“हरियाणा सरकार एवं उच्चत्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा की शिक्षा एवं शिक्षक हितों के प्रति घोर उदासीनता, अकर्मण्यता एवं नकारात्मक रवैए के कारण रोष प्रदर्शित करने का निर्णय संघ द्वारा लिया गया है जिसके तहत आज राज्य के समस्त महाविद्यालयों में कार्यरत्त शिक्षकों ने विभाग को पत्र/पोस्टकार्ड लिखकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. इसी कड़ी में कल दिनांक 28 जनवरी को सभी शिक्षक काले कपड़े पहन कर ड्यूटी करेंगे तथा विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों पर विभाग को अपनी समस्याओं से अवगत कराने हेतु नारे लिखेंगेI इसी प्रकार दिनांक 30 जनवरी को सभी शिक्षक रिक्त समय में क्रमिक धरना देगें तथा अपने मांग पत्र, धरने की फोटो आदि विभाग को ईमेल के माध्यम से भेजेंगे .

”इस विषय में विस्तार से बात करते हुए संघ अध्यक्ष डॉ. अमित चौधरी ने बताया कि, “आज हरियाणा के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत समस्त शिक्षक शिक्षा सदन में कई- कई सालों से लंबित पे-स्केल, लंबित पे-फिक्शेसन, पे-प्रोटेक्शन तथा एलटीसी और मेडिकल प्रतिपूर्ति नहीं होने, एक तरफ ओटीपी होल्ड करने और दूसरी तरफ रूरल सर्विस के नाम पर अगले स्केल रोकने, शैक्षणिक काम में गैर-शैक्षणिक कार्य थोप कर उच्चतर शिक्षा को प्रतिकूल प्रभावित करने, यूजीसी रेगुलेशन 2018 की  विसंगतियों को दूर नहीं करने,  बिना कारण बताए सी.सी.एल रद्द करने आदि समस्याओं से त्रस्त हैं।“उन्होंने कहा कि,” ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शिक्षा निदेशालय दरअसल राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की समस्याओं के प्रति ना सिर्फ उदासीन है बल्कि यह भी प्रतीत होता है कि जानबूझकर कर हर तरह के मामले लंबित करके अपनी नकारात्मकता प्रदर्शित करना विभाग का एकमात्र उद्देश्य रह गया है । जहां विभाग एक तरफ अपेक्षा करता है कि शिक्षक प्रत्येक कार्य को तुरन्त प्रभाव से करें वहीँ मुख्यालय हमारे न्यायसंगत कार्यों को अनेकों साल लटका कर रखता है।

वो भी ऐसे कार्य जिन के लिए यू.जी.सी और सरकार के द्वारा मौद्रिक और समय सीमा  आदि सभी कुछ पूर्व निर्धारित है।इन परिस्थितियों में संघर्ष ही एकमात्र विकल्प हैI”संघ की महासचिब डॉ. प्रतिभा चौहान ने कहा कि,” शिक्षकों के सेलेक्शन ग्रेड, पे-प्रोटेक्शन,सीनियर स्केल आदि मामले पिछले  काफी समय से लंबित हैं। इसी के साथ यू.जी.सी रेगुलेशन, 2018 के विभागीय नोटिफिकेशन में अनेकों विसंगतियां हैं जैसे एम.फिल/ पी.एच की इंक्रीमेंट नहीं देकर घोर अन्याय किया गया है। इसी प्रकार ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया रोक कर रूरल सर्विस पूरी करवाने की विभाग की कोई सुनियोजित नीति नहीं है और उस के कारण प्रोफेसर्स के अगले स्केल पेंडिंग हो रहे हैं।“उन्होंने बताया कि, “इसी प्रकार नोशनल इन्क्रीमेंट प्रदान करने के अपने ही पत्र पर शिक्षा निदेशालय अकारण ही कार्यवाही नहीं कर रहा तथा कोविड काल में लगातार कार्य करने, सेमेस्टर सिस्टम को अपनी मेहनत से समय पर लाने वाले शिक्षकों को अरण्ड लीव प्रदान करने के प्रति कोई कार्यवाही नहीं की गई। विभाग द्वारा सेवानिवृत्ति की आयु यूजीसी मानकों के अनुसार 65 वर्ष करने के विपरीत रिटायर्ड प्रिंसिपल को दुबारा 2 साल सेवा में लेने की अनुचित नीति रद्द नहीं की गई जबकि सीनियरिटी लिस्ट तैयार करने और प्राचार्य पद पर प्रमोशन की लिस्ट जारी करने में कोई प्रगति नहीं की जा रही है।“ज्ञातव्य है कि हाल ही में संघ द्वारा जारी एक पत्र के माध्यम से विभाग को चेताया गया था कि, “रूटीन के सभी तरह के मामले शिक्षा सदन में लंबित पड़े रहते हैं इसका ज्वलंत उदाहरण स्वयं यह है कि राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत नियमित रूप से कार्यरत साढ़े तीन हजार शिक्षकों की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था के निर्वाचित पदाधिकारीयों को भी मिलने हेतु उचित समय नहीं दिया गया है। इन परिस्थितियों के मद्देनज़र तीन-दिवसीय रोष प्रदर्शन कार्यक्रम के उपरांत फरवरी माह में मुख्यालय पर धरना आयोजित किया जाएगा।“

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