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ब्रेकिंग न्यूज़: राहुल गांधी पहले ऐसे नेता हैं जो कभी भी पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से नहीं चूकते- देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब,किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था। नोटबंदी हिंदुस्तान के असंगठित अर्थ व्यवस्था पर आक्रमण था। 8 नवंबर 8:00 बजे 2016, प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का निर्णय लिया। ₹500 ₹1000 का नोट रद्दी कर दिया, पूरा हिंदुस्तान बैंक के सामने जाकर खड़ा हुआ, आपने अपना पैसा अपनी आमदनी बैंक के अंदर डाली।  पहला सवाल- काला धन मिला ? नहीं।

दूसरा सवाल- हिंदुस्तान के गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा मिला? जवाब- कुछ नहीं।तो फायदा किसको मिला? फायदा हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को मिला। कैसे? आपका जो पैसा था आपके जेब में से आपके घरों में से निकाल कर उसका प्रयोग सरकार ने इन लोगों का कर्जा माफ करने के लिए किया। मगर वह सिर्फ एक लक्ष्य था दूसरा लक्ष्य भी था छुपा हुआ- जमीन साफ करने का, जो हमारा इनफॉरमल सेक्टर है असंगठित अर्थव्यवस्था का सेक्टर है वो कैश पर चलता है छोटा दुकानदार हो, किसान हो, मजदूर हो वो कैश से काम करता है। नोटबंदी का दूसरा लक्ष्य जो जमीन साफ करने का लक्ष्य असंगठित अर्थव्यवस्था के सिस्टम से नगद कैश को निकालने का। प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा कि वह कैशलेस इंडिया चाहते हैं। कैशलेस हिंदुस्तान चाहते हैं। अगर कैशलेस हिंदुस्तान होगा तो असंगठित अर्थव्यवस्था तो खत्म हो जाएगी।

नुकसान किसको हुआ?

किसानों को, मजदूरों को, छोटे दुकानदारों को, स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस वालों को जो कैश का प्रयोग करते हैं, जो बिना कैश जी हीं नहीं सकते। नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था। नोटबंदी हिंदुस्तान के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था और हमें इस आक्रमण को पहचानना पड़ेगा और पूरे देश को मिलकर इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा।

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