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दिल्ली

भाजपा ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली को हथियाने की कोशिश की है- अरविंद केजरीवाल

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की पहली बैठक हुई। बैठक के उपरांत सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता कर भाजपा पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली में चार चुनाव बुरी तरह से हार गई और अगले कई वर्षों तक दिल्ली जीतने की उनकी कोई उम्मीद भी नहीं है। इसलिए भाजपा ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली को हथियाने की कोशिश की है। भाजपा अध्यादेश के जरिए किस तरह दिल्ली सरकार को चलाना चाहती है, उसके इस षड़यंत्र का खुलासा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए चुनी हुई सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री यानी कैबिनेट के ऊपर एक अफसर बैठा दिया है। नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी में सीएम के निर्णय को पलटने के लिए सीएम के ऊपर दो अफसर बैठा दिया है।

अब हर विभाग में अंतिम निर्णय मंत्री का नहीं होगा, बल्कि विभाग के सचिव का होगा। कैबिनेट का कौन सा निर्णय सही है, यह भी मुख्य सचिव तय करेगा। सारे निर्णय अफसर लेंगे और उन पर सीधे केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा। इस तरह भाजपा दिल्ली में चुनाव हारने के बाद भी चोर दरवाजे से दिल्ली सरकार को चलाना चाहती है।नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) की पहली बैठक के बाद प्रेसवार्ता कर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने ऑर्डिनेंस के जरिए शातिर तरीके से दिल्ली में चार बार चुनाव हारने के बाद दिल्ली सरकार के उपर कब्जा करने की कोशिश की। केंद्र ने इस अध्यादेश में कई ऐसे प्रावधान किए हैं, जिसके जरिए चुनी हुई सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री यानी कैबिनेट के ऊपर हर जगह एक अफसर को बैठा दिया है। अब विभाग में मंत्री की नहीं चलेगी, बल्कि अफसर की चलेगी। अध्यादेश के जरिए अफसर को मंत्री का बॉस बना दिया है। कैबिनेट में भी कैबिनेट की नहीं चलेगी, बल्कि मुख्य सचिव और एलजी की चलेगी। यानी कैबिनेट के ऊपर केंद्र ने मुख्य सचिव को बैठा दिया है। केंद्र ने सिर्फ कहने को एक अथॉरिटी बना दी है। इस अथॉरिटी में केंद्र सरकार के दो अफसर और मुख्यमंत्री शामिल है। इस अथॉरिटी में भी केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के ऊपर दो अफसरों को बिठा दिया है। इस तरह केंद्र सरकार ने हर जगह अफसरशाही को सारा कंट्रोल दे दिया है और अफसरशाही केंद्र सरकार कंट्रोल करेगी। यानी सर्विसेज और विजिलेंस के जरिए अफसरों पर केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा। एक तरह से केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को अफसरों के जरिए चलाना चाहती है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारा देश एक जनतंत्र है। भारतीय संविधान की मूल आत्मा यही है कि हम एक जनतंत्र है। जनता सरकार चुनती है और उस सरकार को काम करने के सारे अधिकार होते हैं। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार अफसरों के जरिए काम करती है। अफसर चुनी हुई सरकार को रिपोर्ट करते हैं। मगर ये शायद दुनिया के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने ऐसा षड्यंत्र रचा है कि अब अफसर चुनी हुई सरकार के ऊपर होंगे। क्योंकि उन अफसरों के ऊपर केंद्र सरकार का कंट्रोल है। केंद्र सरकार किसी अफसर का ट्रांसफर कर सकती है और किसी को भी सस्पेंड कर सकती है। अफसरों के ऊपर केंद्र सरकार का कंट्रोल है और अफसर मंत्रियों के ऊपर बैठेंगे।सीएम अरविंद केजरीवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी भी विभाग में मंत्री कोई आदेश देगा, तो अफसर ये तय करेगा कि आदेश सही है या गलत है। मंत्री का आदेश सही न होने का बहाना बनाकर वो अफसर उसे मानने से इन्कार कर सकता है। ऐसे सरकार कैसे चलेगी? अगर हम दिल्ली में दो स्कूल बनाना चाहते हैं, लेकिन अफसर फाइल पर लिख दें कि दिल्ली में स्कूलों की जरूरत नहीं है तो फिर स्कूल नहीं बनेंगे। यदि हम कहते हैं कि दिल्ली में 100 और मोहल्ला क्लीनिक बनने चाहिए। चुनी हुई सरकार जनता के बीच घूमती है और हम कहते हैं कि इस इलाके में एक मोहल्ला क्लीनिक बनाओ। इस पर अफसर कहे कि इस इलाके में मोहल्ला क्लीनिक की जरूरत ही नहीं है। ऐसे में वहां मोहल्ला क्लीनिक नहीं बनेगा। यदि हम कहते हैं कि इस इलाके में पानी गंदा आ रहा है या गंदगी बहुत ज्यादा है और अगर अफसर कहता है कि ऐसा नहीं है, सब सही है तो फिर सब सही है। केंद्र ने ये सारी पावर अफसर को दे दी है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कैबिनेट चुनी हुई सरकार की सुप्रीम बॉडी होती है। कैबिनेट में सभी मंत्री होते हैं और मुख्यमंत्री अध्यक्ष होता है। कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय सही हैं या गलत हैं, यह मुख्य सचिव तय करेगा। इसके बाद मुख्य सचिव एलजी से सिफारिश करेगा और एलजी कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकता है। यह पावर तो संविधान ने भी नहीं दे रखा है कि एलजी कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकता है। इन्होंने तो संविधान ही बदल दिया। केंद्र सरकार ने नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) बनाई है। अथॉरिटी में मुख्यमंत्री होगा और उसके सिर पर दो अफसर बैठेंगे। केंद्र का यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज अथॉरिटी की पहली बैठक हुई। इससे करीब 15 दिन पहले मेरे पास एक फाइल आई। उस फाइल में वो एक अफसर को सस्पेंड करना चाहते थे। फाइल को पढ़ने के बाद मेरी 3-4 स्पष्टीकरण थे। मैंने फाइल लिखा कि मेरे तीन-चार स्पष्टीकरण हैं, इनका जवाब दिया जाए। इसके बाद मै बैठक की तिथि, स्थान और समय के बारे में बताऊंगा। मैंने 3-4 स्पष्टीकरण फाइल पर लिखकर भेजी लेकिन वो फाइल दोबारा मेरे पास वापस नहीं आई। वो फाइल सीधे एलजी के पास चली गई। उस फाइल पर लिखा गया कि अथॉरिटी के 3 में से 2 सदस्यों की सहमति हो गई है। एक सदस्य की सहमति नहीं है। इसलिए फाइल मंजूर कर दी गई। ऐसे में हमेशा ही उन दोनों की सहमति रहेगी, क्योंकि वे दोनों ही केंद्र सरकार की अफसर हैं और मैं अकेला हूं।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर मैं बैठक में कोई क्वैरी या क्लेरिफिकेशन मांगता हूं तो मेरी उसका जवाब देने की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने फाइल को सीधे एलजी के पास भेज दी। इसके बाद एलजी ने अफसर को सस्पेंड करने के लिए लिख दिया और अफसर को सस्पेंड कर दिया गया। मेरे पास न ऊपर जाते वक्त फाइल आई और न ही नीचे जाते वक्त फाइल आई। जब मेरे पास फाइल आई तो मैंने कुछ प्रश्न उठाए, मगर उन प्रश्नों का जवाब दिए बिना उन्होंने एलजी से फाइल पर अप्रूवल ले ली। ऐसे में इस अथॉरिटी की क्या जरूरत है? ये सारी चीजें हम सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएंगे। हमें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी। साथ ही हमें सभी पर्टियों से भी उम्मीद है कि जब यह अध्यादेश बिल के रूप में राज्यसभा में आता है तो उसे पास नहीं होने देंगे।मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी दिल्ली में चार चुनाव बुरी तरह से हार गई। अगले कई वर्षों तक दिल्ली जीतने की उनकी कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए बीजेपी ने इस अध्यादेश के ज़रिए दिल्ली को हथियाने की कोशिश की है। ये अध्यादेश मंत्रियों, मुख्यमंत्री और कैबिनेट के ऊपर अफ़सरों को बैठाता है। हर विभाग में अब अंतिम निर्णय मंत्री का नहीं, विभाग सचिव का होगा। सचिव मंत्री के निर्णय को खारिज कर सकता है। कैबिनेट के ऊपर मुख्य सचिव होगा जो तय करेगा कि कैबिनेट का कौन सा निर्णय सही है। अथॉरिटी में सीएम के निर्णय को पलटने के लिए सीएम के ऊपर दो अफ़सरों को बैठा दिया गया। अफ़सरों की मर्ज़ी के बिना कोई प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सकता। अब सारे निर्णय अब अफ़सर लेंगे और इन अफ़सरों पर सीधे केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा। इस तरह बीजेपी चुनाव हारने के बाद चोरी से दिल्ली सरकार चलाना चाहती है।

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