अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चण्डीगढ़़: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि संविधान हत्या दिवस हमें याद दिलाता है कि सत्ता का अहंकार और परिवारवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। संविधान देश का सर्वाेच्च कानून है, और इसका पालन व रक्षा करना हम सबका परम कर्तव्य है। संविधान के खिलाफ या उसके मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज करनाल में संविधान हत्या दिवस पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे आज उन सभी वीरों को नमन करते है, जिन्होंने उस समय तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई, जेल गए, यातनाएं सहीं, लेकिन झुके नहीं।
नायब सिंह सैनी ने कहा कि देश आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर ‘संविधान हत्या दिवस‘ मना रहा है। 50 वर्ष पहले 25 जून, 1975 को हमारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर आपातकाल लागू कर संविधान की आत्मा की हत्या कर दी गई थी। इसके लिए आंतरिक संकट का हवाला दिया गया, जो दरअसल सत्ता में बने रहने की निजी महत्वाकांक्षा थी। उसके 21 मास बाद तक पूरा देश तानाशाही के चंगुल में रहा। एक मजबूत लोकतंत्र की कल्पना करने वाले लोगों को अपनी महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए जेलों में डाल गया और अनेक यातनाएं दी गई। आज संविधान हत्या दिवस मनाने का उद्देश्य देश की लोक तांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में आमजन, विशेषकर नई पीढ़ी को निरंतर सजग बनाये रखना है। उन्होंने कहा कि आपातकाल केवल संवैधानिक संकट नहीं था, वह लोकतंत्र की उस प्रक्रिया पर हमला था, जो अभिव्यक्ति की आजादी, समानता और न्याय का अधिकार देती है। वह हमला था, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस विचार पर, जिसमें उन्होंने ‘एक राष्ट्र-एक विधान‘ का नारा दिया और उसके लिए खुद को बलिदान कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के लोग भी इस संघर्ष में पीछे नहीं रहे। अनेक लोगों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था।मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग संविधान की किताब लेकर जगह-जगह घूम रहे हैं और संविधान बचाओ का पाखंड कर रहे हैं। वे ही लोग बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के लिखे संविधान को खतरे में बता रहे हैं। एक समय था, जब उन्हीं की पार्टी ने रात के अंधेरे में सरेआम संविधान की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के राजनैतिक पूर्वजों ने देश पर तानाशाही थोपी, प्रेस का गला घोंटा, नेताओं को जेलों में डाला, जबरन नसबंदी का कहर भरपाया, वे आज किस मुंह से संविधान और लोकतंत्र के रक्षक होने की दुहाई दे रहे हैं। उन्हें लोकतंत्र पर भाषण झाड़ने से पहले लोकतंत्र की हत्या के पाप को स्वीकार करना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए। नायब सिंह सैनी ने कहा कि उनका ‘संविधान बचाओ‘ का नारा केवल राजनैतिक अवसरवादिता और सत्ता की भूख का प्रतीक है। जबकि वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में संविधान को सर्वाेपरि मानकर ‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ की लोकतांत्रिक भावना पर चल रही है। हमारी सरकार का हर कदम संविधान को मजबूत करने वाला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने उस समय लोकतंत्र को कुचला, वही आज फिर से संविधान की दुहाई देकर समाज में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही है। वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने दावा किया था कि यदि भाजपा सत्ता में लौटती है, तो वह संविधान को खत्म कर देगी। संविधान और लोकतंत्र को बार-बार अपमानित करने की उनकी समझ को देश की जनता ने करारा जवाब दिया। नायब सिंह सैनी ने कहा कि देश में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जनादेश दिया। कांग्रेस का इतिहास इस बात का गवाह है कि उसने धारा-370 जैसी विभाजनकारी व्यवस्था को बनाए रखा, 90 से अधिक बार धारा-356 का दुरुपयोग कर राज्य सरकारों को बर्खास्त किया और 75 बार से भी अधिक संविधान में संशोधन कर अपने राजनीतिक हितों को साधने का काम किया। उनके लिए संविधान कोई आदर्श नहीं, बल्कि एक राजनीतिक औजार रहा है। जब भी उन्हें अपनी सत्ता को चुनौती महसूस हुई, उन्होंने संविधान के मूल्यों को बलिदान कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की एकता, अखंडता को मजबूत करने से लेकर दुश्मनों से देश की सुरक्षा करने के ऐतिहासिक उदाहरण जनता को दिए हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘एक राष्ट्र-एक विधान‘ के सपने को साकार करने की बात हो या ‘आप्रेशन सिंदूर‘ के माध्यम से पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद व आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाना सुनिश्चित करना, पूरी दुनिया इसका लोहा मान रही है। नायब सिंह सैनी ने कहा कि वर्ष 2014 में सत्त संभालते ही राज्य सरकार ने हरियाणा में लोकतंत्र सेनानियों की सुध ली और 26 जून, 2015 को रोहतक में पहला ‘लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह‘ आयोजित किया। उस समय हमारी सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में कई घोषणाएं की थीं। उनको अमल में लाते हुए सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को जीवनसाथी सहित सरकारी कर्मचारियों की तरह चिकित्सा सुविधा देने की व्यवस्था की। हरियाणा रोडवेज की सामान्य बसों में मुफ्त यात्रा और वोल्वो बसों में 75 प्रतिशत किराया माफ किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के लिए मासिक पेंशन शुरू की, जिसे अब बढ़ाकर 20 हजार रुपये मासिक कर दिया गया है। इस समय प्रदेश में 501 लोकतंत्र सेनानियों व उनकी विधवाओं को पेंशन दी जा रही है। इनमें करनाल जिले के भी 53 लोकतंत्र सेनानी शामिल हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आहवान किया कि आज सब मिलकर संकल्प ले कि संविधान की रक्षा के लिए सदैव सजग रहेंगे, लोकतंत्र को फिर कभी किसी तानाशाही प्रवृत्ति का शिकार नहीं होने देंगे और युवाओं को सही इतिहास से अवगत कराएंगे, ताकि वे सच्चे नागरिक बनें सके। इस मौके पर विधायक योगेंद्र राणा, भगवान दास कबीरपंथी, करनाल की मेयर श्रीमति रेनू बाला गुप्ता, मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे
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