अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद :एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर आज खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने के बाद अपनी कुर्सी, अपने परिवार, अपनी जिंदगी, अपना देश छोड़ दूसरी दुनिया में बेशक चले गए हो जहां से लौटना मुश्किल ही नहीं नामुकिन हैं पर वह अपने पीछे बहुत से ऐसे सवाल छोड़ गए, जिसका जवाब अब पुलिस के मुखिया को जल्द देना होगा। आज एक ऐसा मामला जानलेवा साबित हुआ जिसे सोच कर पूरे पुलिस महकमें के होश उड़ गए, जिसने भी सुना की एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर ने आज सुबह अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली मार कर आत्महत्या कर ली हैं,तो सब के सब सन्न हो गए।पुलिस प्रवक्ता सूबे ने क्या कहा सुनते हैं इस वीडियो को
एक थाने का एसएचओ जोकि एक अलग डीसीपी जोन के थाने में पोस्टेटे हैं ऐसे में दूसरे जॉन के डीसीपी को कैसे ब्लैकमेल कर सकता हैं,अगर वह एसएचओ ब्लैकमेल किया तो वह कौन सी बात हैं, जिसके उजागर होने पर उनकी बदनामी होती, यह बात अपने परिवार और अपने बड़े अधिकारी को बताने के बजाए मौत को गले लगा लिया। यह मामला कोई छोटा नहीं हो सकता अगर मामला बड़ा हैं तो आखिरकार वो मामला हैं क्या। जिसे जानने की कोशिश पुलिस कर रहीं हैं। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह का कहना हैं कि आज प्रात: पौने 6 बजे के करीब एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने फ्लैट के अंदर ही सर्विस रिवाल्वर से कनपटी में खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली हैं और आत्महत्या का कारण भूपानी थाने के एसएचओ अब्दुल सईद के द्वारा ब्लेकमेलिंग करने का हैं। यह ब्लैकमेल के बारे में मृतक एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर के द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में एसएचओ अब्दुल सईद व एक अन्य शख्स का जिक्र किया हैं से पता चला हैं। कौन सी ऐसी बात हैं जिसके कारण उन्होनें मौत को गले लगा लिया।
इस बात की जांच अभी की जा रहीं हैं। जल्द ही उस पर से पर्दा उठा दिया जाएगा। अभी उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए जिले के नागरिक अस्पताल में भेज दिया गया हैं। आरोपी एसएचओ अब्दुल सईद जिस भूपानी थाने में कार्यरत हैं वह इलाका दरअसल में सेंट्रल जॉन में हैं व विक्रम कपूर एनआईटी जॉन के डीसीपी थे। मामले में गड़बड़ तो हैं। यह भी मालूम हुआ हैं कि एक केंद्रीय मंत्री के सिफारिश पर भूपानी थाने में एसएचओ के पद पर अब्दुल सईद लगा था। इससे पहले एनआईटी,सूरजकुंड व सेक्टर – 55 के थानों में एसएचओ के पद पर रह चूका हैं। राजनितिक पहुंच का इस्तेमाल करके प्रदेश से घूम घूम कर हमेशा वापिस फरीदाबाद लौट आता हैं। जानकार बताते हैं कि पुलिस में एक ऐसा गिरोह सक्रिय हैं जो अपने जाल में पुलिस महकमें के कुछ अधिकारीयों को उलझता हैं फिर उसे अपने जाल में फंसाता हैं फिर ब्लेकमेलिंग का दौर शुरू होता हैं इसमें उनकी डिमांड फंसे लोग पूरा कर देता हैं, फिर ऐसे मामले उजागर नहीं होते है,जब आत्महत्या जैसे कठोर कदम कोई अधिकारी उठाता हैं,फिर जाकर एकाद मामला उजागर होता हैं। बताते हैं कि एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर के पद पर रहते हुए उनकी छवि अच्छे नहीं थे और नाही आरोपी एसएचओ अब्दुल सईद के बहुत ज्यादा छवि अच्छी हैं। ऐसे में ब्लेकमेलिंग का आरोप बिल्कुल सही हो सकता हैं। चलिए आगे क्या होता हैं उसका थोड़ा इंतजार कीजिए।