अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली पुलिस के दक्षिण-पूर्वी जिले की ऑपरेशंस की संयुक्त टीम ने आज मंगलवार को गत 26 जुलाई, 20 25 को बदरपुर में हुए एक सनसनीखेज ब्लाइंड मर्डर-कम-लूट के एक मामले को महज 72 घंटों के भीतर सुलझाया। इस मामले में तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है, और पुलिस टीम द्वारा सनसनीखेज वारदात में इस्तेमाल किया गया चाकू, लूटा गया मोबाइल फोन और स्कूटी बरामद कर ली गई है। इस दौरान 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों का विश्लेषण किया गया।
घटना का विवरण:
एडिशनल डीसीपी,दक्षिणी-पूर्वी जिला ऐश्वर्या शर्मा ने आज जानकारी देते हुए बताया कि गत 26 जुलाई 20 25 को सुबह लगभग 5:51 बजे, पीएस बदरपुर को सूचना मिली कि बदरपुर बस स्टैंड के पास एक व्यक्ति अचेत अवस्था में पड़ा है और उसके सिर के पिछले हिस्से से खून बह रहा है। ERV-63 के तैनात पुलिस कर्मचारियों ने घायल व्यक्ति को तुरंत एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। एसएचओ और जांच अधिकारी सहित पुलिस टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची, जिन्होंने फुटपाथ और फ्लाई ओवर के नीचे एमसीडी लेन पर पिलर नंबर -30 के पास खून के धब्बे देखे। वहां कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं था। क्राइम टीम को बुलाया गया और फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र किए गए।
एडिशनल डीसीपी शर्मा का कहना है कि मृतक, जिसकी अनुमानित आयु 25 वर्ष थी, के सीने के बाईं ओर चाकू का घाव था। शरीर पर कोई पहचान के लिए निशान नहीं मिला। सघन प्रयासों के बाद, उसकी पहचान मकबूल अकरम पुत्र मुश्ताक अहमद, निवासी मिठापुर एक्सटेंशन, जिसका स्थायी पता पश्चिम चंपारण, बिहार है, के रूप में हुई। यह भी पता चला कि उसका मोबाइल फोन भी गायब था। चिकित्सा निष्कर्षों, घटनास्थल (SOC) के अवलोकन और प्रारंभिक जांच के आधार पर, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) के तहत एक संज्ञेय अपराध बनता था। तदनुसार, एफआईआर संख्या 345/2025, दिनांक 26.07. 2025 को पीएस बदरपुर में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।
जांच और तैनात टीम:
इस जघन्य और ब्लाइंड अपराध के मद्देनजर, दलीप सिंह, एसीपी/ऑपरेशंस की देखरेख में एक बहु-इकाई संयुक्त टीम का गठन किया गया, जिसमें शामिल थे: एएनएस/एसईडी: इंस्पेक्टर विष्णु दत्त, हवलदार मोहित, हवलदार कुलदीप, हवलदार धर्मेन्द्र, हवलदार हिदायत, सिपाही नवीन, एसटीएफ: इंस्पेक्टर प्रमोद चौहान, हवलदार अमित, हवलदार शहजाद, सिपाही आशीष,एएटीएस/एसईडी: इंस्पेक्टर कमलेश कुमार, एसआई जितेंद्र, एसआई योगेन्द्र, एएसआई श्रवण, एएसआई धीर सिंह,स्पेशल स्टाफ: इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर, एसआई शुभम, हवलदार राजेश, हवलदार परवेश।
तकनीकी जांच:
टीम ने दिल्ली और हरियाणा के 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों का व्यापक विश्लेषण किया। इसके अलावा, स्थानीय और आस-पास के पुलिस स्टेशनों के सैकड़ों हिस्ट्रीशीटरों से पूछताछ की गई।
टीमों ने घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज की गहनता से तलाशी ली। स्पेशल स्टाफ की टीम, जिसमें एसआई मुनेश, हवलदार दीपराम और सिपाही सतवीर शामिल थे, ने शुरुआती सफलता प्रदान की। उन्होंने एक दूरस्थ निजी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने पर किया, जिसमें उन्होंने एक संदिग्ध को स्कूटी पीड़ित की कई बार रेकी (recee) करते हुए पाया। स्कूटी सवार संदिग्ध, हल्के रंग के कपड़े पहने हुए, पीड़ित के पास पहुँचे, जिसके बाद हाथापाई हुई और आरोपित मौके से फरार हो गए।
इसके बाद, स्पेशल स्टाफ की टीम ने आरोपितों को टैंकी रोड, जैतपुर और अर्पण विहार तक ट्रैक किया, और यह जानकारी तुरंत अन्य ऑपरेशन टीमों के साथ त्वरित कार्रवाई के लिए साझा की।
बस स्टैंड के पास एक दूरस्थ कैमरे में, अपराध स्थल के पास तीन सवारों वाली एक स्कूटी को रुकते हुए देखा गया। हालांकि फुटेज धुंधला था, एक हाथापाई देखी गई, जिसके बाद स्कूटी मौके से फरार हो गई।
स्कूटी के आगे और पीछे के दोनों रास्तों को ट्रैक करने पर पता चला कि यह जैतपुर की ओर से आ रही थी, जो सड़क के गलत किनारे पर खराब हेडलाइट के साथ चल रही थी – यह एक महत्वपूर्ण पहचान विशेषता थी। स्कूटी को बाद में इस्माइलपुर बॉर्डर, फरीदाबाद की ओर जाते हुए देखा गया। आरोपित व्यक्ति जानबूझकर जांच को गुमराह करने के लिए छोटी गलियों और साइड सड़कों से स्कूटी से लंबा रास्ता तय कर रहे थे। इसके अलावा, रात के अंधेरे के कारण स्कूटी और संदिग्धों दोनों को स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल था।
हवलदार कुलदीप (एएनएस) ने स्कूटी के आगे के मार्ग को टंकी रोड के माध्यम से सफलतापूर्वक ट्रैक किया। टीम ने स्पष्ट फुटेज प्राप्त करने के लिए दिन के घंटों में अथक प्रयास किया। अंततः, अर्पण विहार में एक सीसीटीवी कैमरे ने संदिग्धों के चेहरों को स्पष्ट रूप से कैद कर लिया।
सफलता और गिरफ्तारियां:
स्थानीय खुफिया जानकारी का उपयोग करते हुए, हवलदार मोहित (एएनएस) ने स्कूटी सवारों में से एक की पहचान मोहसिन उर्फ नूर के रूप में की, जो हरियाणा के बसंतपुर के एक ओयो होटल में कार्यरत था। उसे तुरंत होटल से पकड़ लिया गया। उसकी पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर, उसके सह-आरोपित दीपक और हिमांशु को मोलारबंद गांव, दिल्ली से ट्रैक कर गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ के निष्कर्ष:
लगातार पूछताछ के दौरान, आरोपितों ने निम्नलिखित बातें बताईं:
• मोहसिन उर्फ नूर, जो पिछले 8 महीनों से होटल में कार्यरत था, ने हिमांशु और दीपक के साथ दोस्ती कर ली थी, दोनों ही ड्रग्स के आदी और अक्सर आने वाले थे। तीनों पिछले 2-3 दिनों से होटल में एक साथ रह रहे थे, ड्रग्स का सेवन कर रहे थे और एक लूट को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। गत 25/26 जुलाई की रात, वे नूर की स्कूटी पर बदरपुर की ओर निकले। नूर गाड़ी चला रहा था, दीपक बीच में बैठा था, और हिमांशु पीछे बैठा था। बदरपुर बस टर्मिनल पर, उन्होंने पीड़ित को अपने मोबाइल फोन में व्यस्त देखा। यू-टर्न लेने के बाद, नूर ने स्कूटी रोकी। दीपक और हिमांशु पीड़ित के पास पहुंचे, उसका मोबाइल छीन लिया, और दीपक के निर्देश पर हिमांशु ने उसे दो बार चाकू मार दिया। वे तुरंत मौके से फरार हो गए।
बरामदगी:
1.अपराध में प्रयुक्त स्कूटी (पंजीकरण संख्या DL-12S-J-5688)
2.हत्या में प्रयुक्त चाकू
3.मृतक से लूटा गया सैमसंग मोबाइल फोन
4.घटना के दौरान आरोपितों द्वारा पहने गए कपड़े
आरोपितों का प्रोफाइल:
1.हिमांशु (आयु: 21 वर्ष) पुत्र हरीश, निवासी सपेरा बस्ती, मोलारबंद गांव, नई दिल्ली। शिक्षा: 8वीं पास। पहले 6 मामलों (झपटमारी, चोरी, शस्त्र अधिनियम) में शामिल।
2.मोहसिन उर्फ नूर (आयु: 20 वर्ष) पुत्र जुल्फकार, निवासी ग्राम अलीनगर, पीएस नहतौर, बिजनौर जिला, उत्तर प्रदेश। शिक्षा: 10वीं पास। कोई पूर्व संलिप्तता नहीं। ओयो होटल, बसंतपुर में कार्यरत।
3.दीपक सूर्यवंशी (आयु: 18 वर्ष) पुत्र दिलीप सूर्यवंशी, निवासी बिलासपुर कैंप, बदरपुर, नई दिल्ली। शिक्षा: 8वीं पास। कोई पूर्व संलिप्तता नहीं।
विशेष उल्लेख:
एसआई मुनेश, हवलदार दीपराम, सिपाही सतवीर (स्पेशल स्टाफ) व हवलदार कुलदीप, हवलदार मोहित (एएनएस/एसईडी) के समर्पित प्रयासों और फील्ड-लेवल जांच ने इस जटिल और ब्लाइंड मामले को 72 घंटों के भीतर सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(