Athrav – Online News Portal
दिल्ली नई दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय

कांग्रेस नेत्री अल्का लम्बा ने कहा,महिला सुरक्षा का मुद्दा, क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा रह चुका है, पीएम का पुराना वीडियो दिखाया-देखें


अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली  
सुश्री अल्का लांबा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अपनी बात आपके सामने रखूं, उससे पहले एक वीडियो है, वो आपके साथ शेयर करना चाहती हूं और फिर अपनी बात रखूंगी। (वर्ष 2017 की यूपी चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार की वीडियो दिखाई गई, जिसमें वो ये कह रहे हैं कि तत्कालीन सरकार के समय उस सरकार के कारण उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा की भयावह स्थिति है और कोई भी महिला अंधेरा होने के बाद घर से बाहर निकलते हुए डरती है।) सुश्री अल्का लांबा ने कहा कि अपनी बात को रखने से पहले, ये वीडियो दिखाना इसलिए भी बेहद जरुरी था, क्योंकि महिला सुरक्षा का मुद्दा, क्या मात्र अब एक चुनावी मुद्दा रह चुका है? ये जो दहाड़ थी, ये 2017, उत्तर प्रदेश के चुनावों में देश के प्रधानमंत्री जी की ये दहाड़ थी। ये खामोश क्यों हो गई, ये सुनाई क्यों नहीं देती? आज हम सबको मालूम है 17 फरवरी, कल उन्नाव में, ये केवल दलित बेटियों की बात नहीं है, कोई भी बेटी उत्तर प्रदेश में सुरक्षित नहीं रही। कल की घटना मानवता को शर्मसार करती है एक बार फिर से।

प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा, शाम होते बेटियां घर से नहीं निकल पाती थी। ये बेटियां जो उन्नाव की तीन, तीनों नाबालिग बेटियां, 13 साल उम्र, 16 साल की उम्र और 17 साल की उम्र, खेतों में चारा लेने जाती हैं दोपहर को, शाम तक घर नहीं लौटती, परिवार उन्हें खोजने के लिए पहुंचता है। बेटियों के हाथ और पैर बंधे हुए और चारों तरफ झाग फैली हुई। परिवार बेटियों को लेकर अस्पताल पहुंचता है, तो दो बेटियों वहाँ पर पहुंचते ही दम तोड़ देती है। एक बेटी 17 साल की जो जिंदगी और मौत के बीच में संघर्ष कर रही है। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार संवेदनशीलता दिखाएगी, गंभीरता दिखाएगी और मांग उठ रही है, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जी ने भी लोगों की मांग के साथ, आवाज के साथ, आवाज मिलाते हुए मांग की है कि 24 घंटे लगभग-लगभग होने वाले हैं। क्यों तीसरी बच्ची, जो जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रही है, उसे एयरलिफ्ट करके अभी तक जो मांग है कि भारत की राजधानी दिल्ली के एम्स में तुरंत लाया जाए। उस बेटी का जिंदा रहना अपराधियों तक पहुंचने के लिए, उन्हें फांसी के तख्ते पर पहुंचाने के लिए भी बेहद जरुरी है। लेकिन देखने में आ रहा है कि हाथरस की घटना में भी बेटी को इलाज में देरी की वजह से जब वो दिल्ली लाई गई, देर हो चुकी थी और हाथरस की हमारी बेटी ने दम तोड़ दिया था तब तक। अभी भी सरकार किसका इंतजार कर रही है, समझ से परे है। क्यों इस बेटी को एक अच्छा इलाज, समय पर इलाज देते हुए उसे जिंदा रखने की जरुरत है और ये सरकार, बिल्कुल, मैं कहूंगी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक अभिशाप बन चुकी है। एक अभिशाप बन चुकी है पूरी बेटियों के लिए।

लगातार इस तरह की घटनाएं अपराधियों में डर खत्म हो चुका है, ये घटना एक ताजा उदाहरण वापस हम सबके सामने है। नहीं है अपराधियों में खौफ और डर और यहाँ तक कि ये बताया जाता है कि अपराधी तो खुले घूम रहे हैं। इस घटना में भी, परिवार को जो बंदी बना दिया गया है। क्यों परिवार तक मीडिया हो, कानूनी मदद हो, ये जो उन्हें ताकत दे रहे हैं, उन्हें पहुंचने से ये सरकार की पहली कोशिश होती है कि उन्हें रोका जाए। राहुल गांधी ने भी ट्वीट करके परिवार को पूरी तरह से यकीन दिलाया कि कांग्रेस इस न्याय की लड़ाई में पूरी तरह से पीड़िता और उसके परिवार के साथ खड़ी है, हम अन्याय नहीं होने देंगे। मैं ये कहना चाहती हूँ, हाथरस के मामले में सड़कों पर आए, यहाँ पर भी अगर जरुरत पड़ी, सरकार नहीं जागेगी, तो सड़कों पर आना पड़ेगा, उम्मीद ये की जाती है कि बेटी को इलाज मिले। ये महिला सम्मान, मनावाधिकारों को लगातार देखने में आ रहा है कि अपनी छवि बचाने के लिए कुचलते जा रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या ये राम राज्य है, क्या ऐसा होता है राम राज्य? जहाँ अपराधी बेखौफ हैं और बेटियां डर और खौफ के साए में पल रही हैं। जब भूकंप आता है कि उसका एक एपिसेंटर होता है, केन्द्र होता है, अब तो ऐसा लगता है कि बेटियों के साथ देश में जो हर रोज बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं, उसका केन्द्र जो है, उत्तर प्रदेश बनकर रह गया है। सरकार पूरी तरह असंवेदनशील है। कोई गंभीरता इसमें देखने को नहीं मिलती है। लोगों को पूरा दबाव बनाना पड़ रहा है, चाहे सोशल मीडिया है, इलेक्ट्रोनिक मीडिया अपनी आवाजों को उठा रहे हैं कि किसी तरह सोती हुई सरकार को जगाए।

हमारे देश की महिला बाल विकास मंत्री बहुत से मुद्दों पर बेबाकी से बोलती हैं, हर भाषा में ट्वीट करती हैं। हमें समझ नहीं आ रहा है कि स्मृति ईरानी जी आपको कौन सी भाषा समझ आएगी, जिस भाषा में हम आपको समझाएं उनके ट्विट्टर हैंडल पर? देश की महिला बाल विकास मंत्री उत्तर प्रदेश से आती हैं, सांसद हैं, एक ट्वीट संवेदनशीलता का, एक ट्वीट ये विश्वास दिलाते हुए कि न्याय होगा, उनकी नजर बनी हुई है। पीड़िता को अगर इलाज की भी जरुरत होगी तो उससे भी सरकार पीछे नहीं हटेगी। जरा सी भी संवेदनशीलता नहीं है। देश का महिला बाल विकास मंत्रालय भी मुझे लगता है सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर बोलता है, जो मुद्दे भाजपा की राजनीति को सूट करते हैं। यहाँ तो डबल इंजन की सरकार है ना। पूछना चाहते हैं प्रधानमंत्री जी, केन्द्र में आपकी सरकार, यूपी में आपकी सरकार, पुलिस प्रशासन, कानून व्यवस्था सब आपकी जिम्मेदारी है, किससे सवाल किए जाएं? क्यों ये डबल इंजन की सरकार फेल हो रही है, क्यों अपराधियों में खौफ नहीं बन पा रहा है? अब ये मान लें कि उत्तर प्रदेश में अगर बदलाव आएगा तो अब सत्ता के साथ ही बदलाव आएगा। अगर यही हकीकत है, तो मुझे लगता है कि अब आंदोलित होना होगा। अब सड़कों पर आना होगा, अगर सत्ता के साथ ही बदलाव संभव है तो फिर इस सत्ता को उखाड़ फेंकना होगा, जो हमारी बेटियों को सुरक्षा देने में पूरी तरह से नाकामयाब हो रही है।

योगी आदित्यनाथ लगातार एक के बाद एक उन्नाव हो, हाथरस हो, आज फिर ये घटना कल घटित हुई, योगी आदित्यनाथ जी पूरी तरह से असफल और फेल मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं, ये एक के बाद एक घटना साबित कर रही है। कोई डर पैदा नहीं हो रहा। बेटी बचाओ का नारा अब तो बिल्कुल ही यकीन हो चुका है कि एक चेतावनी थी कि भाजपा की सरकार आ रही है, देश और उत्तर प्रदेश में बेटी बचाओ। गंभीरता से लोगों ने नहीं लिया कि सरकार आ रही है और उस सरकार से ही अपनी बेटियां बचाना आज एक सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है देश के लिए। आप सभी मीडिया साथियों से कहूंगी कि खामोश कर दिया जाता है, हर उस उठती हुई आवाज को जो इस सत्ता के खिलाफ उठती है। लेकिन ये आवाज पीड़िता और उसके परिवार के लिए उनके कानों तक पहुंचेगी, तो यकीन है उस पीड़ित परिवार के लिए भी न्याय की उम्मीद जिंदा रह पाएगी। वो हमारी बेटी, जिसे अभी भी इलाज से, अच्छे इलाज से मैं कहूंगी वंचित रखा गया है, किन कारणों से, नहीं समझ आ रहा है। हमने देखा है कि किसी वीआईपी को कुछ भी होता है, एक सेंकड के अंदर हवाई जहाज, प्लेन, डॉक्टरों की टीम खडी रहती है और तुरंत उसे दिल्ली लाकर अच्छे से अच्छा इलाज देने की कोशिश होती है। जब हमारी बेटियों के साथ जघन्य अपराध, जिंदगी और मौत के बीच जूझती है, तो कहाँ सरकार जो है, वो पीछे हट जाती है? हम मांग करते हैं कि हमारी ये जो तीसरी, 17 साल की नाबालिग बेटी जिंदगी और मौत से जूझ रही है, उसे तुरंत दिल्ली शिफ्ट करके, उसको अच्छे से अच्छा इलाज दिया जाए, ताकि अपराधियों तक हम लोग पहुंचने में कामयाब रहें, उन्हें सजा दे पाएं, उदाहरण पेश कर हो। आज सच में बहुत दुख और पीड़ा के साथ कहना पड़ रहा है कि ये घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही, क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में भी इस बात का जिक्र किया कि इच्छा शक्ति होना बेहद जरुरी है। सत्ता होना एक बात है, उस सत्ता में जो बैठा है क्या उसकी नीयत और उसके पास इच्छा शक्ति है? उस चीज का अभाव पूरी तरह से लगातार हम देख रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहेंगे कि बेटियां, बेटियों के साथ हो रहे जघन्य अपराध राजनीतिक मुद्दा नहीं हो सकते हैं, लेकिन 2017 के उत्तर प्रदेश के चुनाव का आपका भाषण, आपकी ये हुंकार, आपकी ये ललकार, जो कहीं ना कहीं खामोश और शांत हो चुकी है, क्योंकि आपको भी पता है कि उंगली आपकी सरकार पर, आपके उन नेताओं पर उठ रही है, जो कहीं ना कहीं अपराधियों के समर्थन में या उनकी ताकत बन जाते हैं और पीड़ित न्याय से दूर चला जाता है। उम्मीद करते हैं कि ये बात देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कानों तक पहुंचेगी। हाथरस के मामले में उन्होंने बहुत देर बाद ही सही उन्होंने एसआईटी के गठन की बात की थी। उम्मीद करते हैं कि देश के प्रधानमंत्री जी एक फोन की दूरी पर हैं आपके मुख्यमंत्री, तुरंत आदेश करिए बिना समय गवाएं। पीड़ित बेटी को तुरंत दिल्ली शिफ्ट करके अच्छा इलाज दिया जाए, ताकि अपराधियों तक पहुंचा जाए और बेटी के साथ न्याय हो और ऐसी सजा मिले कि कम से कम अब आगे रुह कांप जाए अगर कोई भी इस तरह से हमारी बेटियों को, नाबालिग बेटियों को खासतौर से मैं कहूंगी शिकार बनाने की कोशिश करता है तो। एक प्रश्न पर कि महिला सुरक्षा को लेकर कानून भी है, उसके बावजूद भी इस तरह की घटनाओं की खबर अलग-अलग राज्यों से आती है, इस पर क्या कहेंगी, सुश्री अल्का लांबा ने कहा कि देखिए, आपने बिल्कुल ठीक कहा। संवेदन शीलता, नीयत, विल होना बहुत जरुरी है, जो इस सरकार, योगी आदित्यनाथ सरकार में पूरी तरह से उसका अभाव है। न ये सरकार संवेदनशील है, न इसकी कोई नीयत दिख रही है, क्योंकि अपराध कम होने के बजाय लगातार बढ़ रहे हैं। अपराधियों में खौफ खत्म हो रहा है, ये घटना फिर ये बताती है। न्याय नहीं मिल पा रहा है, ये दिखता है कि बेटी को समय पर जो इलाज मिलना चाहिए, उससे भी उसको वंचित रखा जा रहा है, यहाँ तक की मांग उठी है कि जो बेटियों ने दम तोड़ दिया है, उनका पोस्टमार्टम भी दिल्ली के एम्स में करवाना चाहिए क्योंकि पोस्टमार्टम के साथ भी हमने देखा, पुराने जो मामले हुए छेड़छाड़ के उनको किसी तरह इस तरीके से दिखाया जाता है कि वो तो एक घटना हादसा था, वो इस तरह का अपराध नहीं था। तो ये गंभीरता दिखाता है और मुझे लगता है, उम्मीद है देश की महिला बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी जी, आप सिर्फ यूपी से सांसद नहीं, देश की महिला बाल विकास मंत्री हैं, आप ही के राज्य में लगातार ये घटनाएँ हो रही हैं और आप अपनी चुप्पी नहीं तोड़ती, आपका मुंह खुलता है तो सिर्फ राजनीतिक बयानबाजियों के लिए और चुनौती देने के लिए कभी राहुल गांधी जी को चुनौती दे रही हैं। बेहतर होगा अगर देश की महिला बाल विकास मंत्री राहुल जी को चुनौती देने के बजाय इन अपराधियों के खिलाफ आवाज उठातीं, जिनकी हिम्मत इतनी बढ़ गई है, उन्हें चुनौती देते हुए दिखती तो हम उम्मीद करते हैं कहीं कोई आप बदलाव देख सकती थीं, पर वो चुनौती सिर्फ राजनीतिक चुनौती देना समझती हैं इसलिए उनके रहते हुए हम अब उम्मीद छोड़ चुके हैं, उत्तर प्रदेश उम्मीद छोड़ चुका है, हमारी उत्तर प्रदेश की बेटियाँ उम्मीद छोड़ चुकी हैं कि इस सरकार के, योगी आदित्यनाथ सरकार के रहते हुए कहीं किसी को कोई भी न्याय मिल सकता है और यहाँ तक जो बेटी जिंदगी और मौत के बीच में अभी वहाँ के एक अस्पताल में है, यहाँ तक लोगों में एक चर्चा है कि जिन्होंने ये जघन्य, शर्मसार करने वाला अपराध किया है, वो अब भी इस कोशिश में हैं कि उस अस्पताल में जाकर किसी तरह भी उस बेटी की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करें, क्योंकि वहाँ सुरक्षा की अगर बात करेंगे, कौन- कैसे अस्पताल में जा रहा है, कोई सीसीटीवी कैमरा, कोई रिकॉर्डिंग किसी का सबूत नहीं है, तो मुझे लगता है दो बेटिंयो के दम तोड़ने के बाद अंतिम उम्मीद अपराधियों तक जो पहुंचना है, इस बेटी का जिंदा रहना उसके लिए जरुरी है और मुझे लग रहा है सरकार हमेशा देखने में आया है कि अपराधियों को बचाने में, अपनी छवि को बचाने में सब चीज पर लीपापोती करने का प्रयास करती है तो कहीं न कहीं पूरी व्यवस्था उस बेटी की जिंदगी के लिए खतरा बन चुकी है, जिसके लिए हमारी मांग है कि उसको तुरंत एयरलिफ्ट करके दिल्ली के एम्स में शिफ्ट किया जाए।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुश्री अल्का लांबा ने कहा कि मैं आपको कह रही हूं उत्तर प्रदेश की जो आगे की जांच पर ही तो भरोसा नहीं है। क्योंकि आपको पता है वहाँ की पुलिस, प्रशासन, सरकार ये अपने आप में कोई पहला मामला नहीं है, पुराने मामले उन्नाव और यही हाथरस का मामला आपके सामने पहले भी आया है कि किस तरीके से पहली लाइन ले ली जाती थी कि जो है, वो असली में है ही नहीं, ये साबित करने का प्रयास अंत तक होते रहे। तो विश्वास उठ चुका है और कोई भी आप जब न्याय की बात करते हैं, वो न्याय आप तब उम्मीद करते हो, जब आप पर विश्वास हो। आप पर विश्वास जनता का खत्म हो चुका है, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पास। मैं साफ एक बात कहूंगी कहते हैं न कि दुश्मन भी एक घर छोड़ देता है, यहाँ तो हमारी बेटियाँ हैं, उन्हें तो राजनीति का अपना हथकंडा ‘बेटी बचाओ’ के नारे देने के बाद इस तरह से जो प्रधानमंत्री जी की ललकार और दहाड़ है, कम से कम मैं कहूंगी हमारे देश की बेटियाँ, जो लगातार बलात्कार और हत्याओं का शिकार हो रही हैं, जिस तरह उनके साथ हो रहा है, कम से कम बेटिंयों को छोड़ दीजिए। हाथ जोड़कर देश के प्रधानमंत्री जी, भाजपा और उत्तर प्रदेश की सरकार से निवेदन है, बेटियों को छोड़ दीजिए। यहाँ तो आर और पार की लड़ाई करके जो भी दोषी है, अपराधी है, फास्ट ट्रैक कोर्ट, पोक्सो में प्रोटैक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रोम सेक्सुअल ऑफेन्स जो है, ये तीनों मामले उसके हैं। 16-13-17 साल की हमारी बेटियाँ हैं। तो लीपापोती करने की बजाय और सबसे पहले, देखिए, सबसे बड़ी न्याय एक लंबी प्रक्रिया है, चाहे आपके फास्ट ट्रैक कोर्ट है, रोज सुनवाई होगी और आपको न्याय मिलेगा, वो तो बाद की बात है, अभी पीड़िता की जान बचाना, जो तीसरी बेटी है, 17 साल की, उसकी जान बचना बेहद जरुरी है, जिसमें सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिख रही है। उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल उत्तर प्रदेश में ही शिफ्ट कर रही है, जहाँ पर परिवार को भी लगता है कि उनके लिए खतरा बना हुआ है, जिस तरीके से पीड़िता को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में ले जाया जा रहा है और आपको मालूम है कि अस्पतालों की हालत उत्तर प्रदेश में क्या है। तो इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि उन्हें तुरंत, बिना देरी किए, क्योंकि 24 घंटे लगभग होने वाले हैं, एक घंटे का भी सफर नहीं है, एयरलिफ्ट करके बेटी को बजाया जाना प्राथमिकता है, बाकी लंबी लड़ाई है, बिल्कुल कांग्रेस नेता राहुल गांधी जी ने कह दिया है, लड़ाई जितनी भी लंबी हो, कितनी भी कठिन हो, लेकिन हम बेटियों की सुरक्षा को लेकर, बिल्कुल, हम इस तरह से अगर सड़कों पर भी आना होगा, इस सरकार को मजबूर करना होगा, तो हम करेंगे, लेकिन सरकार संवेदनशील, गंभीर नहीं है, नीयत नहीं है, ये इस मामले ने दोबारा एक बार साबित किया है।

Related posts

आपका राजा अनपढ़ तो नहीं और उसका कोई दोस्त तो नहीं, अगर है तो सबसे पहले राजा को उखाड़ फेंको- केजरीवाल

Ajit Sinha

राहुल गांधी को जमानत मिल गई , 13 अप्रैल को अगली सुनबाई होगी

Ajit Sinha

हाथी के बच्चे ने जंगल में दिखाई ऐसी शरारत, ढलान में लेटकर ऐसे किए मजे. देखें वायरल वीडियो

Ajit Sinha
error: Content is protected !!