
अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने गरीब और कमजोर वर्गों के लिए बेहद लाभदायक रहे मनरेगा कानून को खत्म किए जाने पर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि 27 दिसंबर को होने वाली पार्टी की कार्य समिति की बैठक में इसे लेकर रणनीति बनाई जाएगी।नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस मनरेगा कानून खत्म किए जाने को हल्के में नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, वह इससे पीछे हटने वाली नहीं है। कांग्रेस जनता को यह बताएगी कि किस तरह से उनका कानूनी हक छीना गया है। उन्होंने बताया कि मनरेगा की जगह लेने वाले विकसित भारत- जी राम जी बिल की जानकारी केवल दो दिन पहले ही दी गई, यह किसी संसदीय समिति को नहीं भेजा गया, यहां तक कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी चर्चा नहीं की गई। उन्होंने आगे कहा कि संसद में इस बिल पर चर्चा के लिए बहुत कम समय दिया गया और इसे जल्दबाजी में पारित कर मनरेगा कानून को खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई औपचारिक सर्वदलीय बैठक के दौरान इस नए कानून के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि मनरेगा को कांग्रेस ने लंबी चर्चा के बाद लागू किया था, इसे लेकर जुलाई 2004 से लेकर अगस्त 2005 तक देश भर में चर्चा हुई थी। बिल को संसद की स्थाई समिति को भेजा गया था, जिसके अध्यक्ष भाजपा के बड़े नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बनाए गए। समिति ने इस पर सात-आठ महीने बहस की और लंबी चर्चा के बाद सर्वसम्मति से मनरेगा कानून बना। उन्होंने कहा कि वीबी-जी राम जी कानून बहुत ज्यादा केंद्रीकृत होगा, क्योंकि इस योजना के जरिए दिए जाने वाले काम एवं रोजगार पर राज्यों और पंचायतों का कोई नियंत्रण नहीं होगा, जबकि पहले पंचायतों को सारे अधिकार प्राप्त थे। उन्होंने कहा कि अब राज्यों पर पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा बोझ पड़ेगा, क्योंकि अब केंद्र सरकार केवल 60 प्रतिशत खर्च करेगी और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होगा। जबकि मनरेगा के तहत केंद्र सरकार को 90 प्रतिशत खर्च वहन करना होता था। उन्होंने कहा कि मनरेगा को खत्म कर मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग, महिलाओं, किसानों, मजदूरों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों का काम करने का अधिकार छीन लिया है।वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि यह सब एक रणनीति के तहत हुआ है, क्योंकि पहले मोदी सरकार ने आरटीआई को निशाने पर लिया और अब मनरेगा को। उन्होंने आशंका जताई कि इसके बाद वन अधिकार कानून व भूमि अधिग्रहण को खत्म किया जा सकता है और आखिर में सरकार खाद्य सुरक्षा कानून को भी मिटा सकती है।जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर प्रदूषण के मुद्दे पर बहस से भागने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह समस्या न केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, बल्कि पूरे देश को प्रभावित कर रही है। उन्होंने बताया कि विपक्ष की मांग थी कि लोकसभा और राज्यसभा में वायु प्रदूषण पर चर्चा हो, लेकिन अचानक से सदन को अनिश्चित काल तक स्थगित कर दिया गया।उन्होंने आरोप लगाया कि शीतकालीन सत्र के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे महान भारतीय नेताओं और आधुनिक भारत के संस्थापकों का अपमान किया गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सत्र सरकार द्वारा टैगोर के अपमान से शुरू हुआ और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अपमान पर खत्म हुआ। उन्होंने आगे कहा कि इस बीच मोदी सरकार ने हमेशा की तरह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की छवि धूमिल करने की कोशिश की।
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