अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेनकाब करते हुए वंदे मातरम पर चर्चा को ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की राजनीति करार दिया है। लोकसभा में अपने प्रभावशाली संबोधन में प्रियंका गांधी ने कहा कि वंदे मातरम पर बहस के दो प्रमुख कारण हैं– पहला यह कि पश्चिम बंगाल में चुनाव आने वाला है। ऐसे में प्रधानमंत्री अपनी भूमिका बनाना चाहते हैं। दूसरा यह कि स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों और देश के लिए कुर्बानियां देने वालों पर यह सरकार नए आरोप लादने का मौका चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि यह बहस सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए है, क्योंकि मोदी सरकार बेरोजगारी, पेपर लीक, महंगाई और आरक्षण के खिलवाड़ जैसे मुद्दों पर चर्चा से बचना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि आज प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास घटने लगा है और उनकी नीतियां देश को कमजोर कर रही हैं। उन्होंने कांग्रेस के रुख को पुरजोर तरीके से स्पष्ट करते हुए कहा कि यह राष्ट्रगीत हमेशा कांग्रेस के लिए पवित्र रहा है और हमेशा पवित्र रहेगा; इस महामंत्र को विवादित कर सरकार बहुत बड़ा पाप कर रही है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि वंदे मातरम भारत की आत्मा का हिस्सा है। राष्ट्रगीत ने देश के लोगों को हिम्मत दी कि वे ब्रिटिश साम्राज्य का नैतिक हथियारों के साथ सामना कर पाएं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आजादी के 75 साल बाद इस पर चर्चा की क्या आवश्यकता है। कांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में तथ्यों की अनदेखी को रेखांकित करते हुए वंदे मातरम के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण और अकाट्य तथ्यों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह तो बताया कि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम को 1896 में एक अधिवेशन में गाया था, लेकिन यह नहीं बताया कि वह कांग्रेस का अधिवेशन था। प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि मोदी ने सदन में 20 अक्टूबर,1937 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लिखी चिट्ठी का जिक्र किया, लेकिन इससे तीन दिन पहले 17 अक्टूबर को नेताजी द्वारा जवाहरलाल नेहरू को लिखे पत्र का उल्लेख नहीं किया। कांग्रेस महासचिव ने बताया कि नेताजी ने नेहरू को चिट्ठी में टैगोर से बात करने को कहा था। प्रियंका गांधी ने नेहरू जी के जवाब की वह पंक्ति पढ़ी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “वर्तमान में वंदे मातरम को लेकर जो हो-हल्ला किया जा रहा है, वह काफी हद तक साम्प्रदायिक तत्वों द्वारा गढ़ा गया है।”कांग्रेस महासचिव ने कहा कि नेहरू ने गुरुदेव टैगोर से मुलाकात की थी। इसके बाद गुरुदेव ने खुद पत्र लिखा था कि पहले दो ही अंतरे स्वतंत्रता संग्राम में गाए जाते रहे और बाद में जोड़े गए अंतरों का इस्तेमाल उस समय के सांप्रदायिक माहौल में अनुचित होगा।

यही दो अंतरे 28 अक्तूबर 1937 को कांग्रेस कार्यसमिति और 1950 में संविधान सभा ने राष्ट्रगीत के तौर पर स्वीकार किए।प्रियंका गांधी ने याद दिलाया कि जिस कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में वंदे मातरम को राष्ट्रगीत घोषित करने का प्रस्ताव पारित हुआ, उसमें महात्मा गांधी जी, नेताजी, नेहरू जी, आचार्य नरेंद्र देव जी, सरदार पटेल जी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी मौजूद थे और इन सब ने सहमति जताई थी। इन्हीं दो अंतरों को 1950 में राजेंद्र प्रसाद जी ने संविधान सभा में राष्ट्रगीत घोषित किया, तब भी अंबेडकर जी समेत लगभग सभी महापुरुष वहां मौजूद थे। यहां तक कि जनसंघ के श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी मौजूद थे। वहां भी किसी ने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की।प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान सभा द्वारा स्वीकार वंदे मातरम के स्वरूप पर सवाल उठाना न सिर्फ हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों का अपमान है, बल्कि समूची संविधान सभा का भी अपमान है और संविधान विरोधी मंशा को भी उजागर करता है। प्रियंका ने तंज कसते हुए कहा कि क्या आज सरकार में बैठे लोग इतने अहंकारी हो गए हैं कि वे खुद को गांधीजी, टैगोर, अंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस, पटेल और राजेंद्र प्रसाद जैसे महापुरुषों से बड़ा समझने लगे हैं? प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए और जवाहरलाल नेहरू के योगदान की याद दिलाते हुए कहा कि मोदी जी अब तक जितना समय प्रधानमंत्री रहे हैं, लगभग उतने ही साल नेहरू जी आजादी की लड़ाई के दौरान जेल में रहे। उन्होंने आगे कहा कि आजादी के बाद इसरो, डीआरडीओ, आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसी संस्थाओं की स्थापना कर नेहरू जी ने राष्ट्रनिर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
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