अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए चारों नई श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को पूरी तरह मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों के हित में बताते हुए इन्हें दशकों के संघर्ष से अर्जित श्रमिकों के अधिकारों की हत्या करार दिया है।इंदिरा भवन स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने इन्हें तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने श्रम सुधार के नाम पर श्रम विनाश किया है। इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, वेज कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड और सोशल सिक्योरिटी कोड मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए लाए गए हैं। इन चारों कोड ने मजदूरों की सुरक्षा, उनके अधिकार, वेतन आजीविका और भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है। प्रमुख आपत्तियां गिनाते हुए डॉ. उदित राज ने बताया कि लेबर कोड्स में निश्चित-अवधि रोजगार को सामान्य बनाने से स्थाई नौकरियों को व्यवस्थित रूप से समाप्त किया जा रहा है, जिससे युवाओं के लिए भविष्य की सुरक्षा की कोई संभावना नहीं बचती है। इसके अलावा कर्मचारियों की छंटनी के लिए अनिवार्य सरकारी अनुमोदन की सीमा को मनमाने ढंग से बढ़ा दिया गया है। अब 300 तक कर्मचारियों को बिना किसी अनुमति के निकाला जा सकेगा, जबकि पहले ये सीमा 100 थी। हड़ताल के अधिकार पर अनुचित रोक लगा दी गई है, इतनी कठोर शर्तें हैं कि हड़ताल लगभग असंभव है। वेतन की नई परिभाषा से श्रमिकों के हाथ में आने वाला वेतन लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगा और लगातार बढ़ती महंगाई के बावजूद वेतन में वृद्धि पांच साल में एक बार होगी। साथ ही अपील की प्रक्रिया इतनी जटिल बना दी गई है कि मजदूर को समय पर न्याय और वित्तीय राहत मिलना मुश्किल हो गया है। निरीक्षण तंत्र और सुरक्षा मानकों को लगभग खत्म कर दिया गया है, अब नियोक्ता पर श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का कोई बंधन नहीं है। श्रम संहिता ठेका मज़ूदरों की सुरक्षा, कल्याण और कार्य शर्तों के लिए स्पष्ट ज़िम्मेदारी स्थापित किए बिना आउटसोर्सिंग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है जिससे उनके लिए ख़तरनाक स्थितियों में काम करने और लगातार शोषण का ख़तरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों से 12 घंटे काम करवाने की अनुमति देने वाला प्रावधान आठ घंटे के अंतरराष्ट्रीय मानक की अवहेलना है। महिलाओं के लिए रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी गई है लेकिन ठोस और बाध्यकारी सुरक्षा प्रोटोकॉल निर्धारित नहीं किए गए हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे बताया कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सिर्फ रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है, उन्हें ईएसआई, पीएफ, पेंशन, ग्रेच्युटी, मातृत्व अवकाश या दुर्घटना मुआवजा कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के ऊपर भी बहुत ही जुल्म हुआ है, उनके लिए न पेंशन है, न प्रोविडेंट फंड, न ईएसआईसी, न स्वास्थ्य बीमा, न मातृत्व लाभ और न ही दुर्घटना सुरक्षा। देश के लगभग 44 करोड़ असंगठित मजदूरों को पूरी तरह नियोक्ताओं के रहम पर छोड़ दिया गया है।डा उदित राज ने कहा कि 75 साल में कांग्रेस ने मजदूरों के हक में जितने कानून बनाए, मोदी सरकार ने एक झटके में उनकी हत्या कर दी। यह संविधान, न्याय और सामाजिक सुरक्षा पर सीधा हमला है। ये अब तक की सबसे खतरनाक मजदूर-विरोधी नीति है और इसके खिलाफ पूरे देश में आंदोलन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तुरंत इन श्रम संहिताओं को वापस लेना चाहिए।
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