अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पंचकूला: पुलिस कमिश्नर शिवास कविराज के मार्गदर्शन व डीसीपी सृष्टि गुप्ता के नेतृत्व में पंचकूला पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने फर्जी दस्तावेज तैयार करने व जीरकपुर में कमर्शियल प्लॉट दिलाने के नाम पर 48 लाख की ठगी करने वाले गिरोह में महिला आरोपी को मंगलवार को कुरूक्षेत्र से गिरफ्तार करने मे सफलता हाथ लगी है। डीसीपी सृष्टि गुप्ता ने बताया कि हमे इसी वर्ष 31 जुलाई को पंचकूला निवासी शिकायतकर्ता से 48 लाख रुपये की ठगी, धोखा धड़ी और धमकी की शिकायत मिली थी जिसमें शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपितों ने खुद को प्रभावशाली और उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी बताकर प्रॉपर्टी डील के नाम पर उन्हें ठगा है। मामले की जांच एएसआई मनोज को सौंपी गई । शिकायत के अनुसार वर्ष 2019 में उनकी मुलाकात अंजू उर्फ अंजली पत्नी अनिल कुमार निवासी सेक्टर 27 पंचकूला से हुई थी, जब उनके बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते थे। इसी कारण इनकी नजदीकियां बढ़ी।
जनवरी 2023 में अंजू और अनिल ने शिकायतकर्ता व उसके पति को ज़ीरकपुर स्थित एक प्रॉपर्टी दिखाई, जो कथित रूप से यदविंदर सिंह पुत्र नरिंदर सिंह, निवासी ज़ीरकपुर की बताई गई। कहा गया कि प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू बहुत अधिक है, लेकिन उन्हें विशेष संबंधों के चलते यह 1.50 करोड़ में मिल सकती है। इस सौदे के लिए शिकायतकर्ता से कहा गया कि वे अग्रिम राशि के रूप में 38 लाख जमा करें।उन्होंने 17 फरवरी 2023 को आरोपितों को 38 लाख (कुछ बैंक के माध्यम से और कुछ नकद) दिए। इसके बाद एक “एग्रीमेंट टू सेल” दिखाया गया, जिसमें केवल विक्रेता का नाम दर्ज था। बाद में आरोपितों ने कहा कि नया एग्रीमेंट 17 अप्रैल 2023 को हुआ है और दबाव डालकर शिकायतकर्ता से उस पर हस्ताक्षर कराए गए। जब 19 जून 2023 को रजिस्ट्री की तारीख तय हुई, तो आरोपितों ने बहाना बनाया कि अनिल कुमार बाहर हैं और रजिस्ट्री नहीं हो सकती।आरोप है कि अगस्त 2023 में आरोपितों ने NOC और अन्य कागजात के नाम पर 10 लाख और ले लिए। इसके बाद भी जब कई महीनों तक रजिस्ट्री नहीं हुई, तो शिकायतकर्ता ने वास्तविक स्थिति जांचनी चाही और तब पता चला कि न तो प्रॉपर्टी किसी यदविंदर सिंह नामक व्यक्ति की है और न ही किसी प्रकार की बिक्री प्रक्रिया जारी थी। डीसीपी के अनुसार आरोपितों ने 10 अक्टूबर 2024 को शिकायतकर्ता को 24 लाख के दो पोस्ट डेट चेक दिए जो कि बाउंस हो गए। जांच में यह भी पाया गया कि एग्रीमेंट को नोटरी से सत्यापित नहीं किया गया था और जिस पते पर विक्रेता का नाम दर्ज था, वहां ऐसा कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था।शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि जब उसने अपने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो आरोपितों ने खुद को रॉ एजेंट बताते हुए जान से मारने की धमकी दी और कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर परिणाम गंभीर होंगे। गिरफ्तार महिला को 14 अक्टूबर को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत भेज दिया है। मामले की जांच जारी है।
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