अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा पुलिस द्वारा नशीले पदार्थों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में जहां तकनीकी साधनों, मानव खुफिया नेटवर्क और कानूनी प्रावधानों की भूमिका महत्वपूर्ण है, वहीं एक विशेष इकाई ऐसी भी है जो बिना प्रचार के, अत्यंत निष्ठा और दक्षता के साथ इस लड़ाई को मजबूती प्रदान कर रही है। यह हैं पुलिस के विशेष रूप से प्रशिक्षित नारकोटिक्स डिटेक्शन डॉग्स। ये किसी सार्वजनिक मंच पर दिखाई नही देते, लेकिन जब कोई संदिग्ध पैकेट, बंद वाहन अथवा दीवारों में छिपाई गई मादक खेप की पहचान करनी होती है, तो इनकी अद्वितीय संवेदन क्षमता और संकेत मात्र से पूरी जांच की दिशा बदल जाती है। आज ये डॉग्स न केवल अपराधियों के लिए एक बड़ी बाधा बन चुके हैं, बल्कि आमजन के लिए सुरक्षा, भरोसे और कुशल कानून व्यवस्था का प्रतीक भी बन गए हैं। डॉग स्क्वॉड की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए पुलिस महानिदेशक, हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने कहा, ‘हरियाणा पुलिस के नारकोटिक्स डिटेक्शन डॉग्स हमारी नशा-विरोधी रणनीति का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इन प्रशिक्षित डॉग्स की सूंघने की असाधारण क्षमता और उनके हैंडलर्स की प्रतिबद्धता ने जमीनी स्तर पर कई जटिल मामलों को सुलझाने में हरियाणा पुलिस की मदद की है। यह सफलता केवल तकनीक की नहीं, बल्कि उस अडिग निष्ठा की है जो डाग्स हर रोज़ फील्ड में दिखाते हैं।‘
वर्ष 2025 में हरियाणा पुलिस के डॉग स्क्वॉड ने अपने अब तक के सभी रिकॉर्ड पीछे छोड़ते हुए नशे के खिलाफ अभियान में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। वर्ष की पहली तिमाही में ही नार्कों डॉग्स की सहायता से कुल 28 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस वर्ष हिसार यूनिट में तैनात डॉग ‘रेम्बो’ ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कई मामलों में निर्णायक भूमिका निभाई है और पूरे राज्य में अपनी कार्यकुशलता से प्रशंसा प्राप्त की है।पिछले वर्ष 2024 में डॉग स्क्वॉड की सहायता से 28 एफआईआर दर्ज की गई थीं। इस वर्ष हांसी जिले में तैनात डॉग ‘माही’ ने सर्वाधिक सफलता दर्ज कराई थी। वहीं, वर्ष 2023 में डॉग्स की सहायता से कुल 26 एफआईआर दर्ज की गई। इस दौरान सोनीपत में तैनात डॉग ‘टॉम’ ने उल्लेखनीय योगदान दिया था। वर्ष 2025 में अब तक दर्ज की गई एफआईआर यह दर्शाती है कि इस वर्ष डॉग स्क्वॉड का प्रदर्शन पिछले वर्षों की तुलना में अधिक प्रभावशाली और व्यापक रहा है।वर्तमान में हरियाणा के प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक नारकोटिक्स डिटेक्शन डॉग्स तैनात हैं, जिनकी कुल संख्या 62 है। ये सभी डॉग्स कम से कम छह माह के गहन प्रशिक्षण से गुजरते हैं, जिसमें उन्हें नशीली वस्तुओं की गंध पहचानने, संदिग्ध स्थानों की तलाशी लेने और आपात परिस्थितियों में शांत और कुशल बने रहने का अभ्यास करवाया जाता है। इनकी सूंघने की शक्ति सामान्य मानव की तुलना में हज़ारों गुना अधिक होती है, जो इन्हें बेहद संवेदनशील और विश्वसनीय बनाती है।हरियाणा पुलिस के डॉग्स केवल अपराध नियंत्रण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, वीआईपी कार्यक्रमों और पुलिस प्रदर्शनियों में भी अपनी अनुशासन और दक्षता का प्रदर्शन करते हैं। 2024 में लखनऊ में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट में डॉग ‘चार्ली’ ने आठवां स्थान प्राप्त किया, जबकि वर्ष 2025 में झारखंड में आयोजित मीट में उसने बेहतर प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान प्राप्त किया।हरियाणा पुलिस द्वारा इन डॉग्स की देखभाल को प्राथमिकता दी जाती है। प्रत्येक डॉग के लिए एक पशु चिकित्सक द्वारा विशेष डाइट चार्ट तैयार किया जाता है, जिसका पालन उसके हैंडलर की निगरानी में होता है। हर छह माह में के-9 केंद्र में नारकोटिक्स रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किया जाता है, जिसमें डॉग्स को नवीनतम ट्रेंड्स के अनुसार दोबारा प्रशिक्षित किया जाता है। सुबह-शाम नियमित रूप से प्रैक्टिस और व्यायाम कराया जाता है, जिससे इनकी फिटनेस और दक्षता बनी रहे।हर डॉग के साथ एक प्रशिक्षित हैंडलर होता है, जो उसकी देखभाल से लेकर उसकी कार्य क्षमता को बनाए रखने तक की हर जिम्मेदारी निभाता है। हैंडलर डॉग के साथ एक भावनात्मक रिश्ता सांझा करता है, जो अभियान के दौरान उनके तालमेल को मजबूत बनाता है। यह टीमवर्क ही इन अभियानों की सफलता की असली कुंजी है।
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