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पीएम मोदी खामोश क्यों हैं- भूटान की जो टेरिटरी है, डोकलाम उससे 9 किलोमीटर दूर, वहाँ कुछ गांव चीन ने बसा लिए हैं-कांग्रेस-वीडियो

नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा  
कांग्रेस प्रवक्ता  पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार की चीन के मामलों में जो चुप्पी है, वो बहुत ही रहस्यमयी है, लोगों को वह समझ नहीं आ रही है कि इस मामले में सरकार और खास तौर से प्रधानमंत्री जी क्यों चुप रहते हैं? हमारी तमाम सीमाओं पर कहीं ना कहीं एक गिरती हुई विदेश नीति दिख रही है, पिछले 5-6 सालों में, नेपाल, पाकिस्तान और चीन की तो खबरें लगातार पिछले मार्च से हम सुन ही रहे हैं। अब एक समाचार आया है कि भूटान की जो टेरिटरी है, डोकलाम उससे 9 किलोमीटर दूर, वहाँ कुछ गांव चीन ने बसा लिए हैं और ये सेटेलाइट इमेजिस हैं, जो सबके सामने आई हैं, इससे जो खतरा पैदा हो रहा है, सिलीगुड़ी कॉरिडोर को, चिकन्स नेक को, वो खतरा जो समझते हैं। वो खतरा जो हमारे पूर्वोत्तर के राज्यों को है। उनका जो एक्सेस है हिंदुस्तान के अन्य भागों के साथ, उस एक्सेस को खतरा है।

अर्थव्यवस्था चौपट हुई, प्रधानमंत्री चुप। जो देश का एक सामाजिक समरसता और देश में जो एक सामाजिक शांति, ध्वस्त हो रही है, उस पर भी चुप्पी। विदेश नीति के नाम पर जो मजाक हुआ है, पिछले 5-6 सालों में, उस पर तो उम्मीद थी कि कोई कुछ बोलेंगे, कोई जिम्मेदार आवाज सुनाई देगी, लेकिन नहीं, वहाँ पर भी कुल मिलाकर पूरी चुप्पी है। पिछले कुछ दिनों में जो सेटेलाइट इमेज, जिनके बारे में अभी मैंने बताया, वो डोकलाम इलाके की जो आई हैं, ये वो इलाका है, जो 2017 में जो डोकलाम का विवाद हुआ था, उससे 10 किलोमीटर दूर है और ना केवल वहाँ एक गांव बसाया गया है चीन के द्वारा, बल्कि एक 9 किलोमीटर लंबी मजबूत पक्की सड़क भी बनाई गई है। इसके प्रभाव, इसके दुष्प्रभाव बहुत सारे हैं। जैसा कि मैंने आपको बताया, पूर्वोत्तर राज्यों से, जो हमारा कनेक्शन है, जिससे हम जुड़ते हैं पूर्वोत्तर राज्यों से, उस पर एक प्रश्न चिन्ह लग गया है, उसकी सुरक्षा पर एक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। बहुत स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार को कम से कम इसमें स्वीकार करना चाहिए उनको कि वो असफल रही है चीन को रोकने में, अलग-अलग सीमाओं पर।

लद्दाख की चर्चा बार-बार हुई, सरकार की तरफ से नहीं, लेकिन मीडिया की तरफ से, मीडिया में बहुत चर्चा हुई। हमने आपके समक्ष आकर बहुत बार इस पर चर्चा की और बड़े दुख का और खेद का विषय है कि चर्चा अगर सरकार ने की थी, तो अलग-अलग स्वरों में, अलग-अलग तरह से बात हुई। वेबसाइट से चीजें उड़ा दी जाती थी। प्रधानमंत्री जी ऑल पार्टी मीटिंग में आकर उसके बाद जो स्टेटमेंट देते थे, उससे प्रत्येक भारतवासी को बड़ा शॉक हुआ, दुख हुआ, जिस तरह की बात, जिस तरह की क्लीन चिट उन्होंने चीन को दी। चीन का नाम लेने की भी वो हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ये अच्छी बात नहीं है, देश की सुरक्षा के लिए, देश के आत्मबल के लिए एक मजबूत सेना है इस देश में। इस सेना ने बार-बार साबित किया है कि पूरे विश्व में मजबूत सेनाओं में गिनती हो, तो भारत की सेनाओं की गिनती अग्रणी मानी जाती है। लेटेस्ट को लद्दाख का बदला, यथास्थिति वहाँ बदली, जो अप्रैल 2020 की यथास्थिति थी, आज वो नहीं है। कोई ये बात स्पष्ट तौर से इसको इंकार नहीं कर पाएगा कि वो यथास्थिति जो अप्रैल, 2020 में थी, अब वो नहीं है। वही स्थिति अब डोकलाम की हो रही है। इसी डोकलाम के बारे मे हमने बहुत ज्यादा सुना, टी.वी. डिबेट के प्रवक्ता आकर कहते थे कि देखो हमारे सब्र का नतीजा कि डोकलाम सोल्व हो गया। उसके बाद चाय पार्टी हुई, झुले झूले गए, सब कुछ हुआ, डोकलाम सोल्व नहीं हुआ। ये आज साबित होता है कि सेटेलाइट इमेज से साफ है।

2017 में जब चीन ने जोंपेलेरी रेंज तक पहुंचने का प्रयास किया, तो हमारे वीर सेना ने वहाँ उनको रोका और सफलता पूर्वक रोका। काफी लंबा स्टेंड ऑफ चला, बहुत महीनों तक का चला। फिर एक डिएसक्लेशन की प्रक्रिया हुई, वार्तालाप हुई, दोनों सेनाओं के लिए तय हुआ कि अपने-अपने उस स्थान से वापस जाएंगे, जहाँ वो आ गए थे आमने-सामने। जाहिर है भारतीय सेना ने इस बात का सम्मान किया और वो बफर जोन का सम्मान किया, लेकिन चीन की सेना ने इस डिएसक्लेशन जो हमारा एक समझौता हुआ था, उसका सम्मान नहीं किया और वो फिर से अपनी हरकतों पर आ गए हैं। चीन ने जो 2017 में प्रयास किया था, वो अब उस प्रयास में 10 किलोमीटर दूर जाकर सफल होते हुए दिख रहे हैं और सेटेलाइट इमेजिस से यह स्पष्ट होता है कि ये कोई टेंपरेरी स्ट्रक्चर नहीं है, मल्टिस्टोरी बिल्डिंग, पक्की सड़कें, नीयत स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है कि नीयत ऐसी नहीं है कि आज आए और कल चले गए। नीयत वहाँ बसने की है। वहाँ एक नदी बहती है, कहीं फ्लैश फ्लड ना आ जाए, जो अचानक वहाँ मौसम में बाढ़ आ जाती है, वो ना आ जाएं, तो उसके लिए वहाँ पक्की दीवार बनाई गई। ये तमाम चीजें सेटेलाइट पीक्चर में आपको दिख रही हैं। जिस तरह की सड़क बनी है, जिस तरह के स्ट्रक्चर बने हैं, वहाँ पर बड़ी मशीनें जरुर आई होंगी, उनके बगैर वो नहीं बन सकती, अच्छी क्वालिटी की सड़क है, तो मतलब आवागमन के लिए उसको सुचारु बनाया गया है, सुदृढ़ बनाया गया है। इससे एक चीज बड़ी स्पष्ट होती है कि ना केवल इस सड़क से चीन को जोंपलेरी रेंज का रास्ता उससे आसान हो जाएगा, बल्कि इसी रास्ते से चिकन नेक, सिलिगुड़ी कॉरिडोर, जो छोटी सी पतली से झरनी है, वहाँ पर उनका कनेक्शन हो जाएगा, जिससे हमें खतरा है, हमारी नोर्थ ईस्टर्न स्टेट को, हमारे पूर्वोत्तर राज्यों को। भूटान हमारा एक बहुत ही अच्छा, बहुत ही नजदीक, मित्र राष्ट्र हमारे हैं, उनसे घनिष्ट संबंध रहे हैं। आज से नहीं, ऐतिहासिक रुप से संबंध रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है सरकार उन संबंधों को दरकिनार नहीं कर रही है, उनको ध्यान में रखते हुए ऐसे कदम उठाएगी कि हम अपने पड़ोस में एक और मित्र ना खो दें।

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