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चंडीगढ़ फरीदाबाद हरियाणा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, फरीदाबाद की लापरवाही पर राइट टू सर्विस कमीशन सख्त, मुआवजे के आदेश।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट चंडीगढ़:हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने फरीदाबाद स्थित हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के एक भूखंड से संबंधित मामले में सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने पाया कि दिनांक 08.10.2025 के अंतरिम आदेशों में स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद आवंटन पत्र की शर्तों के अनुसार 5.5 प्रतिशत की दर से विलंबित कब्जा ब्याज का भुगतान अब तक नहीं किया गया, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं अनुचित है।आयोग ने स्पष्ट किया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई संतोषजनक कारण प्रस्तुत नहीं किया गया, जबकि एस्टेट अधिकारी द्वारा समय रहते अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई थी। आदेशों की प्रतिलिपि फील्ड कार्यालय एवं मुख्यालय—दोनों को भेजी जा चुकी थी ,इस के बावजूद अनुपालन न होना अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अधिकारियों को प्रशासनिक मार्गदर्शन देने का मंच नहीं है और भविष्य में अपेक्षा की जाती है कि अधिकारी यथोचित सावधानी रखेंगे ।आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि सुनवाई के दौरान दिए गए आश्वासन के आधार पर आयोग ने निर्देश दिए हैं कि एस्टेट अधिकारी द्वारा मांगी गई धनराशि शीघ्र स्थानांतरित की जाए तथा 19.12.2025 तक विलंबित कब्जा ब्याज की राशि संबंधित आवंटी के खाते में जमा कराई जाए। किसी भी प्रकार की आगे की देरी होने पर आयोग संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।इसके अतिरिक्त, आयोग ने वर्ष 2022 में सेक्टर 76 एवं 77, फरीदाबाद में विकास कार्य पूर्ण हुए बिना ई-नीलामी किए जाने के मामले पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है।

आयोग ने इस निर्णय की जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्य प्रशासक, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पर निर्धारित करते हुए कहा कि इस “अनुमान आधारित निर्णय” के कारण न केवल वर्तमान आवंटी बल्कि अनेक अन्य आवंटियों को भी अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ी। यह विषय उचित कार्रवाई हेतु हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के संज्ञान में भी लाया गया है।आयोग ने यह भी टिप्पणी की कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अपने स्तर पर विलंबित कब्जा ब्याज देने की कोई सक्रिय एवं सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं है और अधिकांश मामलों में आवंटियों को राहत केवल आयोग के हस्तक्षेप के बाद ही मिल पाती है, जो अत्यंत चिंताजनक है।आवंटी को हुई मानसिक पीड़ा एवं उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए आयोग ने हरियाणा राइट टू सर्विस अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह) के अंतर्गत अधिकतम 5,000 रुपये का मुआवजा प्रदान करने के आदेश दिए हैं। प्राधिकरण को निर्देश दिए गए हैं कि यह राशि पहले अपने स्तर पर भुगतान की जाए तथा बाद में दोषी अधिकारियों से वसूली की कार्रवाई की जाए।आयोग ने संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध अनुपालन सुनिश्चित करने एवं निर्धारित तिथियों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी जारी किए हैं।

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