अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि धन्यवाद लल्लू जी, सलमान साहब, पूनिया जी, नसीमुद्दीन जी, अमिताभ जी, मोना जी, सुप्रिया जी, सारे उपस्थित नेतागण और मीडिया के मेरे बहन- भाई, इस घोषणा पत्र के इवेंट में आप सबका सबसे पहले तो मैं स्वागत करना चाहती हूं। जैसे सलमान साहब ने आपको बताया कि जो ये ‘उन्नति विधान’ है, जो हमारा ‘शक्ति विधान’ है और जो ‘भर्ती विधान’ है, ये जितने भी घोषणा पत्र हमने जारी किए हैं और इसमें जितने भी सुझाव हैं, वो हमें यू.पी. की पब्लिक से मिले हैं। हमने पिछले एक, मेरे ख्याल से डेढ़ साल से ये कोशिश की कि हम उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में जाएं, हमारे नेता, हमारी मेनिफेस्टो कमेटी जाए और सबसे चर्चा करके जो उनके अहम मुद्दे हैं, जो उनकी समस्याएं हैं, उनको सुलझाने का काम कैसे किया जाए, इसके बारे में चर्चा की गई, तभी ये सारे सुझाव इस घोषणा पत्र में आए हैं। दूसरी पार्टियों की तरह हमने अन्य पार्टियों के सुझाव लेकर अपने घोषणा पत्र में नहीं डाले। हमने जो भी इसमें डाला है, वो पब्लिक की ही आवाज है।
जैसे लल्लू जी ने कहा कि हमने पिछले दो सालों से बहुत संघर्ष किया, लेकिन हमारा संघर्ष पब्लिक के संघर्ष के मुकाबले में कुछ नहीं है। जो उत्तर प्रदेश की जनता आज संघर्ष कर रही है, जितनी परेशानियों को वो झेल रहे हैं, वह आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।जो सबसे बड़ा मुद्दा है, रोजगार का मुद्दा, उसके बाद महंगाई का मुद्दा। इन दोनों को निपटाने के लिए, इनको, कैसे हम इन समस्याओं को किस तरह से सुलझाएं, उसके लिए हमने बहुत चर्चा की और हमने काफी इस विधान में भी और जो भर्ती विधान है, शक्ति विधान है, उसमें भी हमने इनके बारे में अपनी घोषणाएं की हैं। तो मैं कुछ मुख्य बिंदु इस घोषणा पत्र के आपको पढ़कर सुनाना चाहती हूं। सबसे पहले तो जो हमारी प्रतिज्ञाएं थी, जिनके बारे में आपको पहले से जानकारी है, लेकिन एक बात दोहराना चाहती हूं मैं कि किसानों का पूरा कर्जा माफ किया जाएगा। हम ये कह रहे हैं कि हमारी सरकार जब बनेगी, तो 10 दिन के अंदर-अंदर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार आई, तो आप सबने देखा होगा कि शपथ लेते ही तीन घंटों के अंदर-अंदर किसानों के कर्ज माफ किए गए। उसी तरह से हम यहाँ भी उत्तर प्रदेश में ये करना चाहते हैं। 2,500 रुपए प्रति क्विंटल में गेहूं- धान और 400 रुपए प्रति क्विंटल में गन्ना खरीदा जाएगा।बिजली बिल सबका हाफ किया जाएगा। कोरोना काल में जिस-जिसका बकाया है, वो माफ किया जाएगा, खत्म किया जाएगा। जिस-जिसको कोरोना से सबसे ज्यादा आर्थिक मार पड़ी, उन परिवारों को 25,000 रुपए दिए जाएंगे, ताकि वो एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। हमने पहले भी बहुत बार ये घोषणा की है, फिर से दोहरा रहे हैं कि 20 लाख सरकारी रोजगार दिलवाएंगे। इसका पूरा खाका तैयार करके हमने भर्ती विधान में आपको कुछ दिन पहले बताया था। उसमें 12 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं, जिन्हें भाजपा की सरकार ने 5 सालों से नहीं भरा। हम कह रहे हैं कि हम वो 12 लाख पद भी भरेंगे और उसके अतिरिक्त हम 8 लाख और रोजगार पैदा करवाएंगे। इसके साथ-साथ हमने पहले भी कहा है कि 40 प्रतिशत रोजगार पहले के जो आरक्षण हैं, उनके तहत महिलाओं को दिए जाएंगे। अगर कोई भी बीमारी हो, तो सरकार की तरफ से 10 लाख रुपए तक इलाज मुफ्त मिलेगा।आवारा पशु की बहुत बड़ी समस्या है उत्तर प्रदेश में, कम पार्टियां इस बारे में बात करती हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि किसान बहुत त्रस्त हैं और हमने अपने अनुभव में जो हमारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, उन्होंने एक पूरी योजना बनाई कि किस तरह से इस समस्या को हम हल कर पाएं। इसके मुख्य बिंदु हमारे ‘उन्नति विधान’ में हैं, लेकिन मैं यहाँ कहना चाहती हूं कि जिन-जिनको आवारा पशुओं के नुकसान को झेलना पड़ा है, उन्हें 3,000 रुपए का मुआवजा दिया जाएगा और एक गौधन न्याय योजना शुरु की जाएगी, जिसके काफी ज्यादा एलिमेंट्स होंगे, लेकिन एक एलिमेंट ये है कि 2 रुपए किलो में गोबर खरीदा जाएगा। ये छत्तीसगढ़ में हो रहा है और फिर उस गोबर को वर्मी कम्पोस्टिंग में, सेल्फ हैल्प ग्रुप्स द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे बहुत सुविधा होती है। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए, देखिए, हम सबने देखा है, आपने हाल में ही बागपत में एक छोटे व्यापारी की हालत देखी और हम सबने वो बहुत दुखद घटना एक तो फेसबुक पर लाइव हुई और हमें पता चला कि उनकी पत्नी की भी मृत्यु हुई है। बहुत ही ज्यादा दुखद ये घटना हुई। लेकिन ये हम पूरे प्रदेश भर में देख रहे हैं, चाहे मैं नोएडा में गई प्रचार करने के लिए, चाहे मैं बुंदेलखंड में गई, चाहे झांसी में गई, चाहे यहाँ लखनऊ में हो, जहाँ भी मैं जा रही हूं, ये देखने को मिल रहा है कि जो छोटे व्यापारी हैं और मझोले व्यापारी हैं, वो एकदम इतने त्रस्त हैं और परेशान हैं, क्योंकि उनके लिए एकदम कोई भी सपोर्ट, समर्थन सरकार की तरफ से नहीं आया है और चाहे नोटबंदी हो, चाहे उसके बाद जीएसटी हो और उसके बाद कोरोना का लॉकडाउन हुआ, सबसे बड़ा दुष्प्रभाव इन्हीं व्यापारियों पर पड़ा है। चाहे छोटा दुकानदार हो, छोटा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हो, बहुत ही ज्यादा असुविधा हुई, लेकिन सरकार की तरफ से बहुत दुख की बात है कि इनके लिए कोई सपोर्ट नहीं मिला और इस बजट में जो दो-तीन पहल आई, उसमें भी आपने देखा होगा कि जहाँ बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए, जो प्रधानमंत्री जी के मित्र हैं, उनके लिए तमाम योजनाएं, तमाम समर्थन, हर चीज लिखी गई, लेकिन इन छोटे व्यापारियों के लिए कुछ नहीं लिखा गया, गरीबों के लिए कुछ नहीं लिखा गया। इसलिए हम चाहते हैं कि एक खास मदद, छोटे व्यापारियों की हम करें। इसमें मुख्य बिंदु ये हैं कि जो पारंपरिक क्लस्टर होते थे, जैसे मुरादाबाद में पीतल का क्लस्टर, कानपुर में लैदर, इनको हम और मजबूत बनाएं और इसमें नौजवानों को, अगर नौजवान अपना छोटा व्यापार शुरु करना चाहता है, अपना मैन्युफैक्चरिंग करना चाहता है, एक यूनिट खड़ा करना चाहता है, उसमें हमने भर्ती विधान में पहले ही बोला था कि हम किस तरह की सुविधाएं देंगे। जैसे उनको लोन मिलेगा 1 प्रतिशत ब्याज पर और किस तरह से हम उन क्लस्टर को डेवलप करेंगे, ताकि उन क्लस्टर में जितनी भी सुविधाएं हैं इंडस्ट्री के लिए, वो मिलें और पूरी तरह से इन छोटे व्यापारियों की मदद हो।श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए हमने ये प्रपोजल दिया है कि आउटसोर्सिंग बंद की जाएगी। संविदा कर्मियों का नियमितीकरण कई चरणों में किया जाएगा। सफाई कर्मियों को नियमित किया जाएगा। तो ये हमारे इस ‘उन्नति विधान’ में है कि हम आउटसोर्सिंग बंद करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि आहिस्ता-आहिस्ता, एक-एक करके कुछ चरणों में जितने भी आउट सोर्स और संविदा कर्मी हैं, उनका नियमितीकरण हो। नियमितीकरण से उनका जो मानदेय है, वो सम्मानजनक बन जाएगा और अन्य सुविधाओं का लाभ ले पाएंगे। रसोइया का जो मानदेय है, उसको हम 5,000 रुपए तक प्रतिमाह बढ़ाना चाहते हैं।जहाँ तक भूमि अधिकार दिया जाएगा, झुग्गी वाली जमीन आपके नाम की जाएगी और मध्यम वर्ग को किफायती आवास के लिए भूमि को और आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा।ग्रामीण विकास के लिए दो जो मुख्य बिंदु हैं, हालांकि इसमें शहरी विकास, ग्रामीण विकास, मिडिल क्लास के और बहुत सारे बिंदु हैं, लेकिन मैं ज्यादा समय अभी नहीं लेना चाहती। जो मुख्य बिंदु हैं ग्रामीण विकास में, ग्राम प्रधान का वेतन हम 6,000 रुपए प्रति माह तक बढ़ाना चाहते हैं और चौकीदारों का वेतन 4,000 रुपए प्रतिमाह तक।
हम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट को 5 प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। कोरोना के दौरान जान गंवाने वाले कोविड योद्धाओं को 50 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। शिक्षा में स्कूल फीस में जो बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है, उस पर नियंत्रण किया जाएगा। ब्लॉक स्तर पर अन्य सुविधाओं से युक्त सार्वजनिक पुस्तकालय बनाए जाएंगे। शिक्षकों के खाली कुल दो लाख पदों को भरा जाएगा। एडहॉक शिक्षकों और शिक्षा मित्र, ये प्लीज ध्यान से सुनिए, एडहॉक शिक्षकों और शिक्षा मित्रों का अनुभव व सेवा अनुसार नियमितीकरण किया जाएगा। ये एक बहुत बड़ी डिमांड थी और शिक्षा मित्रों ने इसके लिए बहुत संघर्ष किया। मैं बहुत सारी महिलाओं से मिली, बहुत सारे शिक्षा मित्रों से मिली, जो सालों से संघर्ष कर रहे हैं कि उनका मानदेय बढ़े, कि उनका नियमितीकरण किया जाए। तो हम उनको कहना चाहते हैं, हमने उनकी आवाज सुनी और अगर हमारी सरकार बनेगी, तो ये काम हम आपके लिए करके दिखाएंगे। संस्कृत और उर्दू शिक्षकों के जो खाली पद हैं, वो भी भरे जाएंगे।सामाजिक न्याय के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों व अनुसूचित जनजाति के छात्रों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा मिलेगी। अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का सब कोटा बनाया जाएगा। निषादों को नदियों से संसाधनों पर अधिकार मिलेगा। अति पिछड़ी जातियों के लिए छात्रवृत्ति, हॉस्टल जैसे लक्षित कार्यक्रम इस ‘उन्नति विधान’ में हैं। कारीगरों व बुनकरों के लिए विधान परिषद में एक आरक्षित सीट। मैं तो चाहती हूं कि आप मीडिया के लिए भी एक आरक्षित सीट होनी चाहिए इसमें।कोल समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाएगा। दिव्यांग बहनों और भाईयों के लिए 3,000 रुपए प्रति माह की पेंशन दी जाएगी। मैं झांसी गई थी, उस वक्त मुझसे कुछ लोग मिले थे और उन्होंने मुझे कहा था कि उनकी पेंशन बहुत ही कम है, कम से कम 3,000 रुपए प्रतिमाह तक बढ़ाना चाहिए, तो उनकी बात सुनते हुए मैंने सबसे बात की, चर्चा की और ये हमने तय किया कि ये बिल्कुल पॉसिबल है और हम इसको करेंगे। तो मैं आपको खास बताना चाहती हूं कि जो मुझसे मिले थे कि ये आपकी मांग हमने इस घोषणा पत्र में डाली है। महिला पुलिसकर्मियों को उनके गृह जनपद में पोस्टिंग की अनुमति दी जाएगी। बहुत सारी महिला पुलिस कर्मियों से मैं इत्तेफाक से मिली हूं। कई लोगों ने मुझे हिरासत में लिया, उस समय बातचीत करने का मौका मिला और पता चला कि किसी का घर नोएडा में है, पोस्टिंग सीतापुर में है, माँ अकेली नोएडा में है और उनको सीतापुर आना पड़ रहा है काम करने के लिए, तो मेरे ख्याल से ये एक बड़ा मुद्दा है उनके लिए। तो मेरी बहनें हैं, उनकी मदद के लिए हमने सोचा कि अच्छा रहेगा कि उनके घर के ही एरिया में उनकी पोस्टिंग हो।पूर्व सैनिकों के लिए एक विधान परिषद की सीट और सच्चाई को लिखने वाले और दिखाने वाले जो पत्रकार हैं, जिनके खिलाफ मुकदमे दायर किए गए हैं, उन सब मुकदमों को हम खत्म करेंगे। तो आपको स्वतंत्रता मिलेगी, जो आज आपके पास है नहीं। तो ये मुख्य बिंदु हैं। मैं कहना चाहती हूं और मैं बार-बार इस बात को दोहराती हूं कि चुनाव के समय हमें विकास की बात करनी चाहिए। हमें उन मुद्दों को उठाना चाहिए, जिससे आपका जीवन बेहतर बने। जहाँ-जहाँ मैं जाती हूं, मैं पूछती हूं, 5 सालों में आपका जीवन बेहतर हुआ, आपको सुविधाएं मिली और एक जगह नहीं है, एक घर नहीं है, एक परिवार नहीं है, जो मुझे इस सवाल के जवाब में हां कह सकता है। सब कहते हैं, कई नौजवान हैं, लोग कहते हैं कि ठीक है राशन मिल गया। लेकिन वो मुझे कहते हैं कि हम राशन से क्या करेंगे। ठीक है थोड़ी सी सुविधा मिल जाएगी, लेकिन हमारी प्रगति कैसे होगी, हम सक्षम कैसे बनेंगे, आत्मनिर्भर कैसे बनेंगे, अपने पैरों पर कैसे खड़े होंगे। तो बार-बार हम कांग्रेस पार्टी के जितने भी नेता हैं, हम एक सकारात्मक प्रचार करना चाह रहे हैं। हम चाह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की बात हो, जनता की बात हो, जनता के विकास की बात हो और जो भी देख रहे हैं इस प्रोग्राम को, मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप सारे राजनीतिक दलों से विकास पर अपने जो मुद्दे हैं, आपके मोहल्लों में, गलियों में, नल क्यों नहीं हैं, सड़कें क्यों नहीं बनी हैं, बिजली क्यों नहीं है, पानी क्यों नहीं आ रहा है, शिक्षा की सुविधा क्यों नहीं है, सेहत के लिए क्या सुविधा है, ये सब सवाल आप उठाएं और उनको मजबूर करें कि उन सवालों पर चुनाव लड़ा जाए। तो आशा है कि हमारा जो घोषणा पत्र है, इसमें आपकी बहुत सारी समस्याओं के समाधान की बात है। आप सब इसको ध्यान से पढ़ेंगे और वोट डालने के समय भी आप इस पर अपना ध्यान आकर्षित करेंगे।
एक प्रश्न पर कि आपने जो हिजाब पर ट्वीट किया है उस पर बहस छिड़ गई है, क्या कहेंगी, श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि अच्छा क्यों? मैंने हिजाब पर बहस छेड़ी है? देखिए , एक महिला का अधिकार है, वो बिकिनी पहनना चाहे, वो हिजाब पहनना चाहे, वो घूंघट लगाना चाहे, वो साड़ी पहनना चाहे, वो जीन्स पहनना चाहे, इसमें कोई राजनीति की बात नहीं है और न होनी चाहिए। इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि देखिए, आप गोलमोल करके कुछ भी कह सकते हैं। किसी का अधिकार नहीं है कि वो एक महिला को कहे कि तुम ये पहनो। आपको मैं कह रही हूँ, वो स्कार्फ उतारो, स्कार्फ उतारो अपना।इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि आप कहीं पर भी हों, जहां भी हों, मुझे क्या अधिकार है आपको ये कहने का? नहीं है, सिंपल। कोरोना के समय ऑक्सीजन की कमी को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि देखिए, यहाँ पर उत्तर प्रदेश में जब ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी, तो छत्तीसगढ़ की सरकार ने छत्तीसगढ़ से यहाँ टैंकर भेजे थे। छत्तीसगढ़ को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि आपने क्या छत्तीसगढ़ में, छत्तीसगढ़ की नदियों में लाशें देखीं?एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी कह रही है कि जो बेरोजगारी दर है, वो कम हो रही है, लेकिन वर्किंग एज पॉप्यूलेशन जो है, वो उत्तर प्रदेश में बढ़ रही है, क्या कहेंगी, श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं तो भाजपा पर भरोसा नहीं करती। तो मैं उनके आंकड़ों पर भी भरोसा नहीं कर रही हूँ। जो आंकड़े हमारे उन्नति विधान में हैं, वो जो असल आंकड़े हैं, वही हैं, उन्हीं पर हमने सब बातें की हैं। तो मैं उनकी बात नहीं कर सकती। वो कौन से आंकड़े देते हैं,वो तो कहते हैं कि सब खुशहाल हैं। वो तो कहते हैं कि बहुत प्रगति हो रही है। मैं घर-घर में जाती हूँ, कुछ नहीं है। महंगाई के कारण लोग अपनी रोजी-रोटी नहीं कमा पा रहे हैं। कर्मचारियों के लिए पैंशन स्कीम को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने इस पर बहुत चर्चा की है। क्योंकि इतनी डिमांड आ रही थी कि पुरानी पैंशन पर हमें वापस जाना चाहिए, जो पुरानी स्कीम है। हमने बहुत चर्चा की, हम सोचते हैं कि इसमें एक मध्य का रास्ता निकाला जा सकता है। जिस तरह से जितना सरकार का कन्ट्रीब्यूशन है, वो बढ़ाया जा सकता है। तो इसका मेरे ख्याल से आपके सवाल के जवाब में एक मध्य का रास्ता ही ढूँढ़ना पड़ेगा। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि गर्मी निकालना, चर्बी निकालना, ये क्या बातें हो रही हैं? भर्ती निकालिए, खाली पद पड़े हैं, भर्ती निकालिए। हमने तो पूरा खाका तैयार किया है कि हम भर्ती कैसे निकालेंगे। हम तो ये भी बता रहे हैं कि कहाँ से निकालेंगे। हम ये बता रहे हैं कि रोजगार कहाँ से दिलवाएंगे। हम ये सब कह रहे हैं और आप एक दूसरे से कह रहे हैं कि कोई कह रहा है कि चर्बी निकालेंगे, गर्मी निकालेंगे, ये फालतू की बातें हैं। ये लोगों को गुमराह करने वाली बाते हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि सबको खुश नहीं कर सकते, 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवार हमने उतारी हैं, जो महिलाएं लड़ना चाह रही थीं; बहुत सारी थीं, उससे ज्यादा थीं, हर सीट पर 4-4, 5-5 महिलाएं थी, उनमें से एक ही चुन सकते थे, न हम। तो देखिए, किसी न किसी को तो निराश होना है न?