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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ धक्का -मुक्की की गई, छात्र -छात्राओं से मिलने से रोका गया -सुने लाइव वीडियो में।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: बिहार के दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास में गुरुवार को ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को बिहार की जदयू-भाजपा सरकार द्वारा छात्रों के बीच जाने से रोकने का पुरजोर प्रयास किया गया। आयोजन को विफल करने के लिए कार्यक्रम स्थल से कुर्सियां हटवा दीं गईं और छात्रों को डराने-धमकाने का प्रयास भी किया गया। लेकिन इन सब प्रयासों को नाकाम करते हुए राहुल गांधी दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों के बीच पहुंचे और उनसे संवाद किया।

इस दौरान राहुल गांधी ने बिहार की एनडीए सरकार को “डबल इंजन धोखेबाज़ सरकार” करार देते हुए कहा कि उन्हें छात्रों से बातचीत करने से रोका जा रहा है। उन्होंने पूछा कि संवाद कब से अपराध हो गया? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किस बात से डर रहे हैं? क्या वह बिहार में शिक्षा और सामाजिक न्याय की स्थिति छुपाना चाहते हैं? उन्होंने स्पष्ट किया कि सामाजिक न्याय की यह लड़ाई अब रुकने वाली नहीं है। यह उनके जीवन का मिशन है। उन्होंने कहा कि उनके पीछे युवाओं और वंचित वर्गों की शक्ति है। इसलिए दुनिया की कोई ताकत उन्हें नहीं रोक सकती।’शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और आदिवासी वर्गों के लिए भागीदारी एवं न्याय की मांग की। उन्होंने कहा कि इन वर्गों के खिलाफ देश में बहुत अन्याय होता है और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में भी दबाया जाता है। 


निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू होना चाहिए, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और बिहार सरकार इस कानून को लागू नहीं कर रही हैं। इसी के साथ उन्होंने एससी-एसटी सब प्लान के तहत मिलने वाले धन को इन वर्गों तक पहुंचाने की मांग भी उठाई। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार अडानी-अंबानी की सरकार है और 90 प्रतिशत आबादी के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि देश में दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और आदिवासी वर्गों की महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कहीं भी समुचित भागीदारी नहीं है। इसके विपरीत मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों में अधिकांश लोग इन्हीं वर्गों से आते हैं। दूसरी तरफ देश का सारा धन कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में जा रहा है। उन्होंने वादा किया कि अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है, तो वे वंचित वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे।राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने जातिगत जनगणना कराने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें संविधान को अपने माथे से लगाना होगा। आखिर में जनता के दबाव के कारण प्रधानमंत्री को जातिगत जनगणना कराने का फैसला करना पड़ा और संविधान को माथे से लगाना पड़ा। मगर प्रधानमंत्री लोकतंत्र, संविधान, जातिगत जनगणना के खिलाफ हैं और देश की 90 प्रतिशत वंचित-शोषित, गरीब और अल्पसंख्यक आबादी के खिलाफ भी हैं। उन्होंने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा हटाकर महा-दलित, अति-पिछड़ा, दलित, पिछड़ा और आदिवासी समुदायों को शिक्षा एवं नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व व भागीदारी सुनिश्चित करने की पार्टी की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश किया जाएगा, जिससे हर गांव, हर कस्बे का छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सके।

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