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हरियाणा

प्रदेश के सभी 22 जिलों में कुल 24 स्थानों पर 367 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं, परीक्षा केन्द्रों के आसपास धारा 144 लागू रहेगी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नई सरकार की दूसरी पारी की शुरूआत समाज हित के सात मुख्य बिंदूओं पर फोकस करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हरियाणा सिविल सचिवालय की चौथी मंजिल स्थित मुख्य कमेटी कक्ष से जिला उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ आरंभ की तथा आगामी 16 व 17 नवम्बर को हरियाणा शिक्षा बोर्ड, भिवानी द्वारा अध्यापक पात्रता परीक्षा (एचटीईटी) निबार्ध ढ़ंग व नकल रहित तरीके से आयोजित करने के अधिकारियों को सुरक्षा के पुख्ता प्रबन्ध करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जिन सात मुख्य बिंदूओं पर ध्यान केन्द्रित करने के निर्देश दिए उनमें अध्यापक पात्रता परीक्षा, प्रदेश को नशा मुक्त बनाना, सडक़ दुर्घटना कम करने के लिए हरियाणा विजन जीरो पर गंभीरता से संज्ञान लेना, बीपीएल कार्ड,स्वच्छता अभियान, पराली फसल अवशेष प्रबन्धन तथा भारत सरकार द्वारा एक जनवरी, 2020 से आरंभ किये जाने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 शामिल हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापक पात्रता परीक्षा में परीक्षार्थियों की परीक्षा केन्द्र में प्रवेश से पहले अच्छी तरह सुरक्षा जांच हो जाए ताकि कोई अनुचित साधन के प्रयोग न  कर सके। बैठक में इस बात की जानकारी दी गई कि लगभग 2.84 लाख परीक्षार्थी अध्यापक पात्रता परीक्षा में प्रविष्ठ करेंगे और प्रदेश के सभी 22 जिलों में कुल 24 स्थानों पर 367 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं। परीक्षा केन्द्रों के आसपास धारा 144 लागू रहेगी तथा निकट में कोई भी फोटोस्टेट करने की दुकान खुली नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्यापक पात्रता परीक्षा (एचटीईटी) आयोजित करने के लिए किए गए प्रबन्धों की समीक्षा भी की। मुख्यमंत्री ने यातायात के सुचारू प्रबन्ध करने के लिए पुलिस अधिकारियों को निर्देश भी दिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान किसी भी सूरत में पराली न जलाए, इसके लिए जिला उपायुक्तों को विशेष फोकस करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय व राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल के भी दिशा-निर्देशों की अनुपालना करते हुए हमें इस बात पर भी बल देना होगा कि व्यवस्था कैसे ठीक करनी है।



उन्होंने कहा कि हाल ही में हरियाणा सरकार ने पराली न जलाने वाले छोटे एवं सीमांत किसानों को गैर-बासमती धान के फसल अवशेषों के एक्स-सीटू तथा इन-सीटू प्रबंधन के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और स्ट्रॉ बेलर यूनिट संचालकों को परिचालन लागत के रूप में 1000 रुपये प्रति एकड़ का खर्च वहन करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, गैर-बासमती धान की पराली न जलाने पर छोटे एवं सीमांत किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का भी निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इस कार्यक्रम को सभी उपायुक्त गंभीरता से लें और उन्हीं किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिए, जिन्होंने पराली नहीं जलाई है। उन्होंने कहा है कि सिरसा, फतेहाबाद, कैथल, जींद और हिसार पांच जिलों में इस कार्यक्रम की निगरानी के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव व प्रधान सचिव स्तर के अधिकारियों की डयूटियां लगाई हैं। उन्होंने उपायुक्तों को इस बात के भी निर्देश दिए हैं गेहूं की बुआई 15 नवम्बर तक हो जाए और इसके लिए यूरिया व अन्य उर्वरकों का आवश्यक स्टॉक विभाग के पास उपलब्ध है। 

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