अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट को लेकर चिंता जताते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है।नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी प्रवक्ता और सोशल मीडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर आकर अब 87 पार करने ही वाला है। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र ने रुपये के मुकाबले डॉलर का शतक बनाने का संकल्प लिया है।उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को एहसास है कि रुपये के गिरने से आम लोगों पर कितना असर पड़ेगा, क्योंकि आयात होने वाला सामान महंगा होने से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।
श्रीनेत ने प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए उस बयान को याद दिलाया कि “जैसे-जैसे रुपया गिरता है, वैसे-वैसे प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा भी गिरती है”। उन्होंने कहा कि इस हिसाब से तो प्रधानमंत्री मोदी की गरिमा इतनी गिर गई है कि ढूंढे नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई द्वारा लगभग 80 बिलियन डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद रुपया लगातार गिर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई के इस कदम के परिणामस्वरूप देश में विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दस महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है; अभी यह 625 बिलियन डॉलर है, जो सितंबर 2024 में 704 बिलियन डॉलर था।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जब मोदी 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 58 थी। आज एक डॉलर की कीमत लगभग 87 रुपये हो चुकी है। मोदी शासन के दस वर्षों के दौरान रूपये में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। आंकड़ों का हवाला देते हुए श्रीनेत ने कहा कि मोदी रुपये के मूल्य में गिरावट के लिए सबसे अधिक योगदान देने वाले प्रधानमंत्री हैं।आजादी के बाद से रुपये के मूल्य में अब तक की कुल गिरावट के लिए सभी प्रधानमंत्रियों की हिस्सेदारी बताते हुए श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री नेहरू का 17 साल का कार्यकाल रुपये की कीमत में केवल दो प्रतिशत की गिरावट के लिए जिम्मेदार था, जबकि इंदिरा गांधी के दोनों कार्यकाल को मिलाकर करीब दस प्रतिशत की हिस्सेदारी बनती है। राजीव गांधी और वीपी सिंह के र्कायकाल का रुपये की अब तक की गिरावट में छह-छह प्रतिशत का योगदान है। उन्होंने कहा कि पीवी नरसिंह राव का कार्यकाल रुपये की कीमत में 17 प्रतिशत की गिरावट के लिए जिम्मेदार था, क्योंकि उन्हें जर्जर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल का रुपये की कीमत में कुल गिरावट का 11 प्रतिशत योगदान था। वहीं डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की इस गिरावट में करीब 17 प्रतिशत की भागीदारी थी। कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि दस साल में प्रधानमंत्री मोदी ने रुपये को 50 प्रतिशत तो गिरा ही दिया और कुल गिरावट में भी 34 प्रतिशत का बड़ा योगदान दिया। डॉ. सिंह के कार्यकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ‘टेपर टैंट्रम’ के कारण अन्य विकासशील देशों की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका लगा था, जिसके कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरकर 69 रुपये पर आ गई थी। लेकिन कुछ ही महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 58 पर पहुंच गई, साथ ही 35 अरब डॉलर का विदेशी निवेश भी हुआ। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी को 58.4 पर रुपया सौंपा था, जिसे लेकर वे शतक लगाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि रुपये की गिरती कीमत का सीधा असर लोगों पर पड़ेगा, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ेगी। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महंगाई बढ़ने पर इसे काबू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है, जिसका असर ईएमआई पर पड़ेगा व इससे आम लोगों पर और अधिक वित्तीय बोझ पड़ेगा। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को स्थिति की गंभीरता का एहसास है और क्या उसके पास रुपये के मूल्य में गिरावट और बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए कोई रणनीति है।
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