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कांग्रेस की मांग- दाहोद में लोकोमोटिव इंजनों के निर्माण के लिए सीमेंस कंपनी को दिए गए 26,000 करोड़ के अनुबंध की हो संसदीय जांच

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा गुजरात के दाहोद में लोकोमोटिव इंजनों के निर्माण के लिए सीमेंस कंपनी को दिए गए अनुबंध में पारदर्शिता की कमी और हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए संसदीय जांच की मांग की है।नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित यह प्लांट सीमेंस के साथ किए गए 26,000 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत 11 साल की अवधि में 1,200 लोकोमोटिव इंजनों का निर्माण करने के लिए स्थापित किया गया है। लेकिन दावों के विपरीत इस प्लांट में केवल असेंबली, टेस्टिंग और कमीशनिंग हो रही है।

बृजेन्द्र सिंह ने दिसंबर 2022 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति का हवाला दिया, जिसमें बताया गया था कि सीमेंस के साथ 26,000 करोड़ रुपये के लेटर ऑफ अवार्ड पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उस समय दावा किया गया था कि लोकोमोटिव इंजनों का पूरा उत्पादन दाहोद में होगा और यह प्लांट लगभग ढाई साल में तैयार हो जाएगा। यह भी कहा गया था कि रेलवे स्टाफ और इंजीनियर्स को इंजन निर्माण का प्रशिक्षण भारतीय रेलवे के डिपो विशाखापट्टनम, रायगढ़, पुणे और खड़गपुर में दिया जाएगा, जिससे दाहोद एक आधुनिक इंजीनियरिंग हब के रूप में उभरेगा और हजारों नौकरियां पैदा होंगी।कांग्रेस नेता ने कहा कि असल सच्चाई सरकार के दावों के विपरीत है। जिस मेक इन इंडिया या मेक इन गुजरात का लोगों को आश्वासन दिया गया था, वैसा कुछ भी जमीनी हकीकत में नहीं है। दाहोद के प्लांट में उत्पादन के नाम पर सिर्फ असेंबली, टेस्टिंग और कमीशनिंग का काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि इंजन सिस्टम, पावर कन्वर्टर और अन्य महत्वपूर्ण घटकों का निर्माण सीमेंस कंपनी की नाशिक, औरंगाबाद और मुंबई स्थित फैक्ट्रियों में हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह मेक इन इंडिया नहीं है, बल्कि विदेशी नियंत्रण में असेंबल इन इंडिया है।बृजेन्द्र सिंह ने इस अनुबंध की बिडिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि आज तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस प्रक्रिया में कौन-कौन सी कंपनियां शामिल थीं। उन्होंने पूछा कि दिसंबर 2022 की सरकारी विज्ञप्ति में कही गई बातों को बदलकर सीमेंस के लाभ के लिए शर्तों और नियमों में बदलाव क्यों किया गया? भारत दाहोद में अपने लोकोमोटिव इंजनों के महत्वपूर्ण घटकों का निर्माण क्यों नहीं कर पा रहा है, जैसा कि वादा किया गया था? यदि उद्देश्य भारत की विनिर्माण क्षमता को विकसित करना था, तो भारतीय रेलवे को केवल अंतिम असेंबली और परीक्षण तक ही क्यों सीमित रखा गया, जबकि सीमेंस महत्वपूर्ण तकनीक और विनिर्माण पर नियंत्रण बनाए हुए है?कांग्रेस नेता ने इस पूरे मामले में हितों के टकराव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सीमेंस लोकोमोटिव इंडिया को उसके इतिहास का सबसे बड़ा अनुबंध उस समय मिला, जब देश के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हैं, जो खुद कभी सीमेंस लोकोमोटिव इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं। सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बृजेन्द्र सिंह ने बताया कि विनिर्माण सेक्टर का जीडीपी में योगदान घटकर 13.9 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा सब्ज़बाग दिखाया जा रहा है कि देश विनिर्माण सेक्टर में बहुत तरक्की कर रहा है, लेकिन असल तस्वीर कुछ और ही है।

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