“पंकज कौशिक की कलम से आपके सम्मान में”
पत्नी के बार बार फोन करने के बाद भी जब पुलिस ऑफिसर पति ने फोन नहीं उठाया तो पत्नी के चेहरे पर निराशा के भाव तैरने लगे और वह रूआंसी -सी होने लगी। तरह तरह के नकारात्मक विचारों ने उसे घेर लिया। परेशान सी होकर वह भागकर घर की छत पर जा पहुंची और अपने चेहरे को पल्लू से ढक कर सुबकने लगी। तभी इकलौते बेटे ने तेज आवाज में मां को पुकारा”मम्मी पापा का फोन है!”इस एक आवाज ने उस औरत के तन बदन में जान डाल दी। वह औरत सुबकना छोड़कर तुरंत छत से नीचे की तरफ भागकर बेटे के पास पहुंची और बेटे के हाथ से फोन छीन ते हुए गुस्से से बोली” कम से कम फोन तो उठा लेते!”पति ने माहौल को हल्का करते हुए कहा,’भाग्यवान कैसे नाराज हो?’हमने क्या गलती कर दी? पति का इतना कहते ही पत्नी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी।पति बोला-बताओ क्या बात है?पत्नी-तीन दिन हो गए आपको देखे हुए!पति-बॉर्डर सील होने की वजह से घर नहीं आ सकता।पत्नी-बॉर्डर तक तो आ सकते हो!पति-हां! बॉर्डर तक तो आ सकता हूं।पत्नी-अब से चार घंटे के बाद बॉर्डर मिलना। मैं वहां पहुंच रही हूं। और पत्नी ने’अभी नहीं’का जवाब सुनने से पहले ही फोन काट दिया। अब पुलिस ऑफिसर पति ने भी पत्नी से मिलने का मन बना लिया था पत्नी के फोन काटते ही उसका इकलौता बेटा अपने दोनों बच्चों के साथ मां से लिपट गया। दूर खड़ी पुत्रवधू सजल नेत्रों से यह दृश्य देख रही थी। सारे नजारे को समझ कर पुत्रवधू ने तो सास के पास गई और ना ही अपने पति की तरफ उसने देखा। वह भाग कर सीधे रसोई घर में पहुंच गई और अपने ससुर के लिए स्वादिष्ट खाना बनाने में जुट गई। क्योंकि समय बहुत कम था।
बेटा सीधा मेडिकल स्टोर पहुंचा और कुछ दवाई खरीद लाया। क्योंकि उसे पता था पापा को इन दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है। पत्नी खुशी में उछलती कूदती-सी अपने कमरे में गई और अलमारी खोलकर एक सुंदर साड़ी निकालने लगी। उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसे सजा संवरा देखकर उसके पति के चेहरे पर खुशी छलकने लगेगी। इस समय पत्नी बहुत खुश थी। ऐसा लग रहा था जैसे बरसों बाद अपने पति से मिलने जा रही हो। इधर पत्नी सज संवर रही थी तो दूसरी तरफ रसोई से खाने की खुशबू बाहर आ रही थी। जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थी परंतु पत्नी को एक बैग की अभी भी तलाश थी। उसने उस बैग को ढूंढ कर ही दम लिया। यह बैग उसने अपने पति को देना था। पुत्र ने कानून का पालन करते हुए अपनी मां को पिछली सीट पर बैठाया और गाड़ी को बॉर्डर की तरफ दौड़ा दिया।पुलिस ऑफिसर पति भी अपनी पत्नी से मिलने के लिए बॉर्डर की तरफ निकलने ही वाला था कि तभी फ़ोन की घंटी घनघना उठी। फोन सुनते ही पति को अपना कर्तव्य याद आया और उसने गाड़ी को दूसरी तरफ मोड़ दिया। समय रहते पत्नी बॉर्डर पर पहुंच गई और सैकड़ों खडे पुलिस वालों में से अपने पति को ढूंढने लगी। समय बीतता गया लेकिन उसे अपना पति कहीं नजर नहीं आया। बेटे ने मां के कंधे पर हाथ रखा हुआ था। थक हार कर पत्नी ने फोन मिलाना शुरू किया। घंटी बजती रही लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। समय गुजरता गया। पत्नी का धैर्य भी जवाब देने लगा। निराशा में आसमान की तरफ निहारने लगी। ऐसा लग रहा है जैसे भगवान से नाराज भी है और मंद- मंद मुस्कुराने वाले श्री कृष्ण मुरारी से कुछ मांग भी रही है।’श्री कृष्ण मुरारी से कोई कुछ मांगे और भला मांग पूरी न हो’
तभी पत्नी के फोन की घंटी घनघना उठी। नाम देखते ही जैसे मृत शरीर में जान आ गई हो। फोन उठाते ही पत्नी ने पति को डांटते हुए कहा,”फोन नहीं उठा पा रहे थे तो कम से कम फोन काट ही देते। आपका हाल जानने के लिए मेरे लिए इतना ही काफी था। मैं समझ जाती काम की वजह से फोन नहीं उठा पा रहे हो।पत्नी की नाराजगी को भांपते हुए पति ने पत्नी को बड़े ही प्यार से आवाज लगाई,”देख जरा! तेरे सामने खड़ा हूं!” सारे गुस्से को भूलकर एकटक अपने पति को निहारने लगी। पास खड़े बेटे ने अपने पिता के पैर छुए और पिता ने बेटे को गले से लगा लिया। पत्नी यह देखकर अपने आंसुओं को बड़ी ही मुश्किल से रोक पा रही थी। कोई बातचीत नहीं हो रही थी। लेकिन आंखों ही आंखों में बहुत कुछ हो रहा था।बिना शब्दों के भी हालचाल जाना जा रहा था। पत्नी घर से लाया हुआ बहुत सारा खाना पति को सौंप रही थी। खाना सौंपते वक्त जैसे कह रही हो यह सब आपको ही खाना है। बहुत दिनों से आपने भरपेट शायद ही खाया हो। अब घर वापसी का समय था। पति से अलग होते वक्त पत्नी ने पूछ ही लिया कि आप को किट नहीं मिली! नकारात्मक जवाब सुनकर पत्नी ने घर से साथ लाया हुआ बैग पति को सौंप दिया। पति ने उसे तुरंत खोलकर देखा तो घर में रखा हुआ पुराना रेनकोट था। पति इसे सीने से लगाए अपनी गाड़ी में बैठ चुका था।
-पंकज कोशिक, अध्यापक