अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली पुलिस की डब्ल्यूआर-II/अपराध शाखा की टीम ने आज शुक्रवार को एक फरार अपराधी को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तार किए गए आरोपित का नाम मोहन पारदी पुत्र बागदी पारदी निवासी बिलाखेड़ी, थाना धरनावदा, गुना, मध्य प्रदेश, उम्र 40 वर्ष है। आरोपित मोहन पारदी गुना, मध्य प्रदेश के कुख्यात पारदी गिरोह का सदस्य है। वह मध्य प्रदेश के गुना जिले के धरनावाड़ा थाना में दर्ज एक हत्या, एक हत्या के प्रयास और गैर इरादतन हत्या व डकैती के प्रयास के मामले के अलावा मध्य प्रदेश में दर्ज दो अन्य मामलों में वांछित था।
इन मामलों में उसकी गिरफ्तारी पर कुल 12,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। आरोपित गुना स्थित कुख्यात “पारदी गिरोह” का सदस्य है, जो घरों में डकैती, हत्या के साथ डकैती और सेंधमारी के लिए जाना जाता है। आरोपित मोहन पारदी पिछले 6 वर्षों से गिरफ्तारी से बचने और कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए छिपता रहा और बार-बार अपने ठिकाने बदलता रहा। मैनुअल और तकनीकी खुफिया जानकारी के साथ एक समन्वित अभियान में, टीम ने लुधियाना, पंजाब से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
सूचना, टीम और कार्रवाई:
दिनांक 17.09.2025 को, थाना-नेब सराय में रात में घर में चोरी की एक घटना दर्ज की गई, जिसमें पारदी गिरोह की संलिप्तता पाई गई। तदनुसार, निरीक्षक गौतम मलिक की कड़ी निगरानी और राजपाल डबास, सहायक आयुक्त पुलिस/डब्ल्यूआर-II के समग्र मार्गदर्शन में उप निरीक्षक कुलदीप, प्रधान सिपाहीअशोक ,प्रधान सिपाही पवन और प्रधान सिपाही रविंदर सिंह की एक टीम को हर्ष इंदौरा, भा.पु.से.,उपायुक्त पुलिस/अपराध शाखा द्वारा पारदी अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए गठित किया गया था।इसी पर काम करते हुए, लुधियाना, पंजाब में इस मामले में शामिल होने वाले एक पारदी गिरोह की मौजूदगी के बारे में एक सूचना प्राप्त हुई। टीम के सदस्य उप निरीक्षक कुलदीप और प्रधान सिपाही रविंदर ने तकनीकी निगरानी लगाई और 2 दिनों की लगातार काम के बाद लुधियाना में आरोपित पारदी के स्थान को शून्य कर दिया और गत 30.09.25 को एक जाल बिछाया गया और टीम स्थानीय पुलिस की मदद से एक व्यक्ति मोहन पारदी को पकड़ने में सफल रही। इसके बाद, उसे दिल्ली लाया गया और पूछताछ की गई तदनुसार, उन्हें उनके मामलों के लिए गुना पुलिस को सौंप दिया गया है।
मामला निपटाया गया:
वह निम्नलिखित मामलों में वांछित था:
1. एफआईआर संख्या 195/18, धारा 307/147/148/149/294/506 आईपीसी, थाना धरनावदा, गुना, मध्य प्रदेश (इनाम: 5000/- रुपये)
2. एफआईआर संख्या 438/18, धारा 308/147/149/323/294/506 आईपीसी, थाना धरनावदा, गुना, मध्य प्रदेश (इनाम: 5000/- रुपये)
3. एफआईआर संख्या 175/24, धारा 302/147/148/149/341/294 आईपीसी, थाना धरनावदा, गुना, मध्य प्रदेश (इनाम: 2000/- रुपये)
4. एफआईआर संख्या 17/17, धारा 379 आईपीसी, थाना धरनावदा, गुना, मध्य प्रदेश
5. एफआईआर संख्या 28/17, धारा 394 आईपीसी, थाना धरनावाड़ा, गुना, मध्य प्रदेश
कार्यप्रणाली:
आरोपितों ने खुलासा किया कि वे गुना, मध्य प्रदेश के आसपास रहने वाले एक संगठित गिरोह हैं। वे आदिवासी अपराधी हैं और घरों में डकैती, हत्या और चोरी आदि करते हैं। उनके पूर्वज भी यही करते थे।वे दो से पाँच परिवारों के समूह में घूमते थे और विभिन्न शहरों और कस्बों में सड़क किनारे “डेरा” यानी कपड़े, तंबू और प्लास्टिक का अस्थायी ठिकाना बनाकर रहने लगते थे। फिर वे खिलौने, पेंसिल, गुब्बारे आदि जैसी कुछ चीज़ें खरीदते थे, जिन्हें वे लाल बत्ती पर बेचते थे, स्थानीय टोपियाँ खरीदते थे और फिर रिहायशी इलाकों/कॉलोनियों में जाकर घरों में चोरी के लिए अपने लक्ष्यों की पहचान करते थे।रात के समय, वे किसी भी खतरे से बचने के लिए गुलेल और पत्थर लेकर अर्धनग्न वेश में घरों में घुस जाते थे। अगर घर में कोई मौजूद मिलता और जाग जाता, तो वे उसके सिर पर किसी कुंद वस्तु से वार करके उसकी हत्या कर देते और सारे गहने, नकदी और अन्य कीमती सामान लूट लेते। घटना के बाद, वे इलाका/शहर छोड़कर किसी दूसरे लक्ष्य की तलाश में दूसरी जगह चले जाते। उनकी कार्यप्रणाली उन्हें पहचानना और पकड़ना बेहद मुश्किल बनाती है।
आरोपित से पूछताछ और उसका परिचय:
आरोपित मोहन पारदी का जन्म बिल्लाखेड़ी चुक गाँव, गुना, मध्य प्रदेश में हुआ था। उसने गुना के सरकारी स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई की है। इसके बाद, उसने पढ़ाई छोड़ दी और अपने परिवार के साथ आदिवासी अपराध में शामिल हो गया। सबसे पहले, उसे वर्ष 2017 में एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसके 6 भाई और 2 बहनें हैं और सभी आपराधिक मामलों में संलिप्त हैं।वर्ष 2024 में, उसने अपने गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर पुराने विवाद और रंजिश के चलते अपने गाँव के सरपंच, मोहन पारदी की हत्या कर दी। उस घटना के बाद से, वह इस मामले और अन्य मामलों में भी कानून के शिकंजे में न फंसने के लिए राजस्थान और पंजाब के विभिन्न शहरों में छिपता फिर रहा था। मोहन पारदी की गिरफ्तारी आदिवासी अंतरराज्यीय अपराधी के खिलाफ अपराध शाखा द्वारा उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न्याय सुनिश्चित करने के लिए सीमाओं से परे निष्पक्ष और समय पर अभियोजन सुनिश्चित किया जा सके।
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