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दिल्ली शिक्षा

सामाजिक न्याय और ज्ञान की कथा है बीरबल की खिचड़ी : डॉ बीरबल झा


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
पटना /दिल्ली:आज मकर संक्रांति के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इंग्लिश कम्युनिकेशन स्किल्स  की संस्था  ब्रिटिश लिंग्वा में “बीरबल की खिचड़ी” विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिटिश लिंग्वा के बोरिंग रोड सेंटर पर किया गया। ज्ञातव्य है कि आज मकर संक्रांति के दिन हमारे यहाँ खिचड़ी ही खाने की परंपरा है।

इस आयोजन में मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक और अंग्रेजी के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान डाॅ. बीरबल झा ने छात्रों को अकबर, अकबर के नवरत्नों में से एक चतुर ज्ञानी बीरबल और गरीब नागरिक गंगाधर की कहानी सुनाते हुए कहा कि किस प्रकार बीरबल ने अपनी चतुराई से एक गरीब गंगाधर की समस्या को अकबर के समक्ष प्रस्तुत किया और गंगाधर को न्याय दिलाने में सफल रहा। बहुत ही चतुराई पूर्ण तरीके से बीरबल ने गंगाधर की समस्या या उसकी मजबूती के लिए अकबर के शासन को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।

प्रसिद्ध साहित्यकार और सामाजिक न्याय के लिए लड़नेवाले  डॉ. बीरबल झा ने  कहा कि कोई भी  निर्णय लेने से पहले तथ्यों और परिस्थितियों को  बारीकी से समझाना चाहिए। उन्होंने इस कहानी से मिले सीख से उपस्थित छात्रों को अवगत कराते हुए कहा कि कई बार व्यक्ति किसी समस्या को पूर्ण रूप से समझे बगैर या आधी अधूरी जानकारी के आधार पर ही कुछ फैसला कर लेता है जैसा गंगाधर के मामले में अकबर ने कर लिया था। डॉक्टर बीरबल झा ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में कोई भी अंतिम फैसला लेने से पहले किसी भी व्यक्ति को समस्या के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना चाहिए तभी वह कोई सही फैसला कर पाने में सक्षम होगा।

 डॉ. बीरबल झा जो अपनी सामाजिक पहल के लिए जाने जाते हैं  आगे  ने कहा “किसी को या किसी चीज का मूल्यांकन करते समय निर्णयात्मक होने के बजाय विवेकशील होने की आवश्यकता होती है। अहंकारी और दिखावटी होना किसी के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।”,

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