Athrav – Online News Portal
टेक्नोलॉजी दिल्ली नई दिल्ली

नई दिल्ली:98 फीसदी भी काफी नहीं, चलो शिक्षा को इससे और भी आगे ले चलें – मनीष सिसोदिया

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली शिक्षा बोर्ड समिति और दिल्ली पाठ्यक्रम सुधार समिति की बैठक बुलाई। दिल्ली सचिवालय में आयोजित इस बैठक में श्री सिसोदिया ने दो समितियों के गठन की घोषणा की। ये समितियां दिल्ली शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधारों के लिए योजना और रूपरेखा तैयार करेंगी। ज्ञात हो कि वार्षिक बजट 2020-21 में दिल्ली सरकार ने पाठ्यक्रम सुधार संबंधी योजना तथा एक नया शिक्षा बोर्ड बनाने की घोषणा की थी। बैठक में सिसोदिया कक्षा ने बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में दिल्ली सरकार के स्कूलों के शानदार प्रदर्शन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि टीम शिक्षा को अब इससे भी आगे बढ़ने के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि यह अनुकरणीय प्रदर्शन पिछले पांच साल में हुए काम का परिणाम है। श्री सिसोदिया ने कहा कि 98 फीसदी रिजल्ट पर्याप्त नहीं है, बल्कि हमें शिक्षा को इससे भी अगले स्तर तक ले जाने के लिए मिलकर काम करना होगा।
 
मनीष सिसोदिया ने दो समितियों के गठन की घोषणा की जो दिल्ली शिक्षा बोर्ड बनाने और पाठ्यक्रम सुधारों के गठन के लिए योजना और रूपरेखा तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों के लिए हमारा दृष्टिकोण दिल्ली की शिक्षा प्रणाली को बदलना है और ये दोनों समितियां हमें बताएंगी कि यह कैसे संभव हो। दिल्ली राज्य शिक्षा बोर्ड की रूपरेखा बनाने की समिति दुनिया भर में शिक्षण के मूल्यांकन के अच्छे उदाहरणों का अध्ययन करेगी। साथ ही, वर्तमान मूल्यांकन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए छात्र-अनुकूल योजना का रोडमैप बनाएगी। इस समिति के सदस्यों में प्रो अंकुर सरीन (आईआईएम अहमदाबाद के फेकेल्टी मेंबर), डॉ विलिमा वाधवा (एएसईआर सेंटर के निदेशक) तथा अशोक पांडे(अहलकॉन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक ) सहित अन्य लोग शामिल होंगे। नए पाठ्यक्रम के निर्माण के लिए गठित समिति 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए विश्व के अच्छे पाठ्यक्रमों का अध्ययन करेगी और दिल्ली के लिए बेहत पाठ्यक्रम का सुझाव देगी। समिति दिल्ली के वर्तमान पाठ्यक्रम तथा शिक्षण प्रणाली की नए सिरे से कल्पना करने हुए और स्कूलों में पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक चरणों के लिए एक अभिनव, छात्र अनुकूल पाठ्यक्रम का रोडमैप बनाएगी। इस समिति के सदस्यों में सुश्री आभा एडम्स (शिक्षा सलाहकार, स्टेप बाय स्टेप स्कूल), सुश्री अमीता वाटल (प्रिंसिपल, स्प्रिंगडेल्स स्कूल), डॉ रुक्मिणी बनर्जी (सीईओ, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन), विनोद कराटे (सीईओ, द टीचर ऐप्प) सहित अन्य लोग शामिल होंगे।
 
सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने इन दोनों समितियों की संयुक्त बैठक बुलाई क्योंकि पाठ्यक्रम और मूल्यांकन दोनों एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों ने हमने दिखाया कि हम मौजूदा शिक्षा प्रणाली के भीतर क्या हासिल कर सकते हैं। अब हमारा उद्देश्य 21वीं सदी की दुनिया की चुनौतियों के लिए स्टूडेंट्स को तैयार करने के लिए शिक्षा प्रणाली को नए सिरे से अपनी कार्यों और तरीकों को परिभाषित करना है। 
आज संयुक्त बैठक में सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर बदलाव लाकर पिछले पांच साल में मौजूदा शिक्षा प्रणाली के भीतर क्या किया जा सकता है, यह दिखाया है। लेकिन अब हमें शिक्षा प्रणाली को इस तरह से नया रूप देने के बारे में सोचना चाहिए जो 21वीं सदी की दुनिया की मांग और चुनौतियों के अनुरूप हो। बैठक में दिल्ली शिक्षा पाठ्यक्रम समिति की सदस्य और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की सीईओ डॉ रुक्मिणी बनर्जी ने कहा कि भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। हमें इस बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मॉडल की फिर से रचना करनी चाहिए। शहरी भारत में नई शिक्षा की कल्पना कैसी हो, यह दिखाने के लिए दिल्ली एक अच्छा माॅडल बन सकती है। स्प्रिंगडेल्स स्कूल की प्रिंसिपल सुश्री अमीता वाटल ने स्टूडेंट्स के साथ विचार साझा करने का सिस्टम विकसित करने पर खास ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने शिक्षण का स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। कक्षा में स्टूडेंट्स सक्रिय रूप से शामिल होकर सोचे-समझें और अपने विचार साझा करें। उन्होंने कहा कि अपने शिक्षण पर छात्रों के स्वामित्व का विकास समूची शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आईआईएम अहमदाबाद के फैकल्टी मेंबर प्रो अंकुर सरीन ने कहा कि हमें अपनी आंतरिक स्थितियों एवं वर्तमान आवश्यकताओं के साथ ही व्यापक महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाना होगा। एएसईआर सेंटर की निदेशक डॉ विलिमा वाधवा ने कहा कि स्कूलों में फीडबैक की उचित व्यवस्था करना जरूरी है ताकि छात्रों में सीखने की प्रेरणा जागृत हो। इससे संचार के रास्ते खुलते हैं और दोनों तरफ सुधार की गुंजाइश बनती है। इससे छात्रों लगेगा कि उनकी बात सुनी गई तथा उनमें शिक्षा के प्रति अधिक रुचि होगी।

Related posts

जुलाई 2019 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में 1,02,083 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह

Ajit Sinha

इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफ होगा, एमएसपी की कानूनी गारंटी मिलेगी

Ajit Sinha

भारतीय जनता पार्टी के नेता सुरेंद्र मटियाल के हत्याकांड में शामिल दो कुख्यात अपराधी अरेस्ट

Ajit Sinha
error: Content is protected !!