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गुडगाँव

राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने अपनी धर्मपत्नी सहित गुरुग्राम में दुर्गा पूजा कार्यक्रम में की शिरकत


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम:हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा कि दुर्गा पूजा केवल मातृ पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता की निरंतरता का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से हम न केवल देवी की आराधना करते हैं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को भी जीवित रखते हैं।राज्यपाल आज गुरुग्राम में सहस्राब्दि दुर्गा पूजा समिति  द्वारा आयोजित 26वें वार्षिक दुर्गा पूजा कार्यक्रम में उपस्थित जन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मित्रा घोष के साथ कार्यक्रम में भाग लिया और प्रदेशवासियों को दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं दीं।

राज्यपाल ने मां दुर्गा की पूजा करने उपरांत अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक इतिहास इस बात का साक्षी है कि यूनानी, रोमन, मिस्र और फारसी जैसी अनेक महान सभ्यताएँ कालक्रम में विलुप्त हो गईं। इन सभ्यताओं के पतन का प्रमुख कारण उनकी सांस्कृतिक नींव का कमजोर पड़ जाना था। इसके विपरीत भारतीय सभ्यता पाँच हज़ार वर्षों से भी अधिक पुरानी है और आज भी निरंतरता और प्राणशक्ति के साथ जीवित है। भारतीय सभ्यता ने अनेक आक्रमणों, अत्याचारों और कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारी संस्कृति ने स्वयं को सुरक्षित रखा और आगे बढ़ाया।  इसका सबसे बड़ा आधार हमारा धर्म और अध्यात्म है, जिसने समाज को हमेशा मजबूती और दिशा प्रदान की।

प्रोफेसर घोष ने कहा कि दुर्गा पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक अस्मिता और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। यह उत्सव हजारों वर्षों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी मनाया जा रहा है और हर वर्ष समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने समय-समय पर अच्छे और बुरे दोनों दौर देखे हैं। हर दौर में यह हमारी संस्कृति एवं धार्मिक मान्यताएं ही थी, जिन्होंने हमें जोड़े रखा। उन्होंने कहा कि समाज में मौजूद विभिन्न चुनौतियों से पार पाने में हमारी सांस्कृतिक परंपराएँ ही हमें शक्ति देती हैं।राज्यपाल  ने कहा कि दुर्गा पूजा ऐसा पर्व है, जिसमें अमीर-गरीब, बड़े-छोटे सभी वर्ग समान रूप से भाग लेते हैं। यह आयोजन केवल सामाजिक समरसता का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज को एकजुट करने वाला अवसर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना हम सबका साझा दायित्व है।कार्यक्रम में सहस्राब्दि दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष  सुदीप सरकार, साधु चरण दत्ता, पी. के. घटक, महासचिव तमाल कांति घोष, उपाध्यक्ष  सुभाशीष मैत्रा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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