अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ और हाई-रिस्क मामले में एक 70-वर्षीय मरीज की जटिल लैपरोस्कोपिक गाल ब्लैडर सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया। मरीज एक्यूट कोलेस्टेटिस विद बिलियरी पेरीटोनिटिस से पीड़ित थे , जो कि गॉलस्टोन्स के कारण होने वाला गंभीर किस्म का गॉलब्लैडर इंफेक्शन है जिसमें पित्त का प्रवाह पेट में होने लगता है। यह सर्जरी इस वजह से और भी अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हुई थी कि मरीज साइटस इन्वर्सस के भी शिकार थे, यह ऐसी दुर्लभ जन्मजात कंडीशन है जो 10,000 में 1 व्यक्ति को होती है, और इसमें शरीर के आंतरिक अंग सामान्य स्थिति की तुलना में एकदम उलट होते थे। मरीज का लिवर और गाल ब्लैडर दायीं की बजाय बायीं तरफ और तिल्ली (स्प्लीन) तथा हृदय दायीं ओर थे, यानी सर्जिकल टीम के लिए अंगों की यह आंतरिक व्यवस्था पूरी तरह से उल्टी थी।
डॉ मोहसिन खान, सीनियर कंसल्टेंट, जनरल सर्जरी विभाग ने सफलतापूर्वक मिनीमली लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी को अंजाम दिया, जिसमें मरीज की संक्रमित पित्त की थैली (इंफेक्टेड गाल ब्लैडर) को हटाया गया और इस प्रक्रिया में आसपास के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षित रखा गया। मरीज को सर्जरी के दो दिन बाद ही स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। इससे पहले, मरीज को पेट में तेज दर्द, मितली आने और उल्टी की शिकायत के साथ फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में भर्ती किया गया था। वह टाइप 2 डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी रोग से भी पीड़ित थे और उनकी एंजियोप्लास्टी हो चुकी थी। उनके हृदय की हार्ट पंप करने की क्षमता काफी कम थी जो 50 -70% की सामान्य रेंज की तुलना में घटकर 30% रह गई थी। अस्पताल में उनका अल्ट्रासाउंड किया गया जिससे कैलकुलस कोलेस्टेसिस का पता चला। साथ ही, बिलियरी पेरिटोनिटिस यानी पित्त के विषाक्त होने का पता चला जिसका इलाज नहीं करने पर तत्काल अनेक अंगों के खराब होने की आशंका थी। मरीज के हृदय की धमनियां संकुचित हो चुकी थीं और उनमें खून का थक्का जमने से रोकने के लिए मरीज को ब्लड थिनर दिए जा रहे थे, जिसकी वजह से सर्जरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का भी जोखिम था। दो घंटे चली जटिल सर्जरी के बाद, मरीज के गंभीर रूप से संक्रमित गाल ब्लैडर को सफलतापूर्वक निकाला गया, और इस प्रकार एक जीवनघाती स्थिति पैदा होने से बचाव हुआ। इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ मोहसिन खान, सीनियर कंसल्टेंट, जनरल सर्जरी विभाग ने कहा, “यह काफी नाजुक और दुर्लभ किस्म का मामला था क्योंकि इसमें गॉलब्लैडर फट चुका था और संक्रमण पूरे शरीर में फैल रहा था, जिसके कारण सेप्सिस जैसी जीवनघाती परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी। इस पूरे मामले को और भी गंभीर बनाने वाली स्थिति यह थी कि मरीज एक दुर्लभ किस्म की जन्मजात स्थति साइटस इन्वर्सस से भी पीड़ित थे, जो कि 10,000 में से 1 को प्रभावित करती है, और जिसकी वजह से सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण हो गई थी। ऐसे में थोड़ी-सी भी चूक होने के गंभीर परिणाम हो सकते थे। लेकिन समय पर सटीक सर्जरी के परिणामस्वरूप, हम गाल ब्लैडर को सुरक्षित तरीके से निकालने में कामयाब हुए और जोखिम से बचाव किया जा सका।”
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