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कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए क्या कहा -सुने इस वीडियो में

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबको मेरा नमस्कार। आम तौर पर हम रोज इस मंच के माध्यम से जनता के मुद्दे आपके सामने लेकर आते हैं, कोई ना कोई जरुरी जनता से जुड़ा मुद्दा। पर आज हम एक अलग विषय लेकर आपके सामने आए हैं और विषय है – हम सबके कर्तव्य का, हम सबकी जिम्मेदारी का। सरकार का अपना एक कर्तव्य है, उसकी अपनी एक जिम्मेदारी है, वो उसका किस तरह से निर्वहन कर रही है, इसका निर्धारण जनता करेगी, हम सबके सामने विदित है। जनता का कर्तव्य है जनमत से सरकार चुनना और उन्होंने एक सरकार चुनी है, उनको निर्धारण करना है कि सही निर्णय है कि गलत निर्णय है। विपक्ष का काम है सरकार को घेरना, सरकार से कड़े सवाल पूछना और लोगों की और वंचित लोगों की आवाज बनना और मुझे लगता है कि विपक्ष एक अच्छा काम कर रहा है।

सरकार निरंतर विपक्ष के सवालों को दबाने का प्रयास करती है और कहीं ना कहीं इस प्रयास में मुझे दुख होता है ये कहते हुए क्योंकि मैं इसी जगत से आई हूं, कहीं ना कहीं इस प्रयास में मीडिया के कुछ लोगों का कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि मीडिया की भी अपनी जिम्मेदारी है। मीडिया लोगों की आवाज बनती है, मीडिया सशक्त विपक्ष की आवाज बनकर, हर दौर में विपक्ष की आवाज को मजबूत करने का काम मीडिया करती है और मीडिया चुनी हुई सरकार को आइना दिखाती है। लेकिन कुछ मीडिया
के कुछ लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं और पत्रकारिता के नाम पर एक गोरख धंधा चल रहा है। मैं मीडिया पर टिप्पणी नहीं करना चाहती, क्योंकि हम सब अपने अंतःकरुण में जानते हैं कौन कितने पानी में है, कौन क्या कर रहा है। लेकिन कल शाम को एक लाइव टी.वी. डिबेट पर बड़े दुर्भाग्यपूर्ण और अभद्र शब्दों का प्रयोग हुआ। तो मीडिया के कुछ लोगों को भी ये जवाब देना पड़ेगा कि क्या आप कुछ कठपुतली बनकर सरकार के एजेंडे को चलाने में अभी तक काम कर रहे थे? अब क्या आप सरकार की कठपुतली बनकर विपक्ष के नेताओं को गालियां दीजिएगा, अभद्र शब्दों का प्रयोग करिएगा और कल जो लाइव टी.वी. के डिबेट पर हुआ, वो दुर्भाग्यपूर्ण था, वो मीडिया पर धब्बा है और हम उसकी घोर निंदा, भर्त्सना करते हैं। क्योंकि ये देश का इतना बड़ा मीडिया समूह है और ये इस कदर जहर उगल रहा है और ये आज से नहीं, ये पहली बार नहीं है कि ऐसा कहा गया है, ये सालों से कहते आ रहे हैं। ये जो विभाजन का काम, ये जो जहर घोलने का काम हो रहा है, ये अकेले नहीं हैं। मीडिया के और भी कुछ साथी हैं, जो जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं और वो जानबूझ कर ये कर रहे है।
2 दिक्कत की बात ये है कि 7 साल से जिसके हाथ में सरकार है, जिसके हाथ में सत्ता है, जिसके हाथ में एजेंसी है, जिसके हाथ में पावर है, उससे सवाल नहीं होगा, सवाल आज भी विपक्ष से होगा और हमें कोई आपत्ति नहीं है और कड़े सवाल पूछिए। आप विपक्ष से जितने चाहे सवाल पूछिए, क्योंकि हम सवालों से आना-कानी नहीं करेंगे, हम सवालों से भागेंगे नहीं। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सवाल तो बदहाली पर, सवाल बेरोजगारी पर, सवाल महंगाई पर, सवाल महिला सुरक्षा पर, इन सब मुद्दों पर भी तो पूछना पड़ेगा। सवाल कौन से पूछे जाते हैं, जो वॉटसअप यूनिवर्सिटी के माध्यम से भक्त पढ़कर आते हैं और वॉटसअप के माध्यम से जो तथाकथित कुछ एंकर को, कुछ एडिटर को सवाल पहुंच जाते हैं, क्योंकि ये महज संयोग नहीं है कि सारे ही डिबेट एक ही टॉपिक पर होते हैं। डिबेट तो हमने भी बड़े किए टी.वी. चैनल पर। कहीं पर मीडिया की अपनी साख, मीडिया की अपनी विश्वसनीयता पर जब ये सवाल उठता है तो जरुर मैं इस मंच के माध्यम से, चाहे वो एडिटर गिल्ड हो, चाहे वो न्यूज ब्रॉड कास्ट एसोसिएशन हो, जिसके अध्यक्ष रजत शर्मा जी हैं, मैं ये आह्वान करती हूं कि आप जो शब्द कल बोले गए, उसके बारे में क्या टिप्पणी करते हैं? आप इसके बारे में क्या राय रखते हैं? आप इस पर कोई कार्यवाही करिएगा या नहीं करिएगा? ये जहर कब तक निरंतर कुछ पत्रकार, जो सरकार के नुमाईंदे बनकर पत्रकारिता का ढोंग करते हैं, वो कब तक ये करते रहेंगे जहर घोलने का काम, विभाजन का काम, सरकार के एजेंडे को चलाना, असली मुद्दों से ध्यान भटकाना, सही मुद्दों को ना उठाना? ये कब तब होता रहेगा और कब तक इस पर कार्यवाही की जाएगी? मैं फिर से एक बार अंत में बस इतना ही कहूंगी कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा प्रहरी कहा गया है। मैं मीडिया का बहुत सम्मान करती हूं, खुद मीडिया जगत से आई हूं और मुझे लगता है मीडिया की आज के वक्त में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार के नुमाईंदे बनकर जो पत्रकारों के भेष में घूम रहे हैं, वो गलत कर रहे हैं। लेकिन ये सिर्फ कठपुतली हैं, सरकार को अपना एजेंडा चलवाने के लिए। सरकार अब इनके माध्यम से विपक्ष के साथ अभद्रता, गाली गलौच तक अब करवा रही है। लेकिन जो इस मीडिया समूह के मालिक हैं, जो प्रबंधन कर्ता हैं, उनसे मैं पूछना चाहती हूं कि आपका इंस्टीट्यूशनल स्टैंड इस मुद्दे पर क्या है? अभी तक कोई भी इस ग्रुप का नहीं आया है, वो क्यों नहीं आया है, इस ग्रूप का इंस्टीट्यूशनल स्टैंड इस पर क्या है? मैं फिर से अपनी बात खत्म करने से पहले जो कल टिप्पणी हुई, उसकी निंदा, भर्त्सना करती हूं, क्योंकि ये पतन का परिचायक है। ये परिचायक है कि कैसे कठपुतली बनते-बनते आप इतने मोहरा बन गए हैं सरकार के हाथों में। ये गलत है। आपको विपक्ष की आवाज बनना चाहिए, आपको आम आदमी की आवाज बनना चाहिए। आप आवाज सिर्फ चुनी हुई सरकार की बने हुए हैं।

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