अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: कई वर्षों से देख रहे हैं दिवाली के बाद हवा का प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। कुछ हफ्तों के लिए इस पर बात होती है, चंद दिनों के लिए स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और फिर पूरा साल इस विषय पर कोई चर्चा नहीं होती। डॉ. सारिका वर्मा ने कहा अफसोस की बात यह है कि भारत के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 10 शहर हरियाणा के है। ऐसा मालूम होता है कि खट्टर सरकार को 3 करोड़ हरियाणा वासियों के स्वास्थ्य की बिल्कुल चिंता नहीं है। पराली जलाने पर बैन , किसानों को पराली जलाने पर जुर्माना भी घोषित है लेकिन जमीनी स्तर पर ना बायो डी कंपोजर का छिड़काव कराया गया ना ही हैप्पी हार्वेस्टर हर खेत में पहुंचाए गए। जिसकी वजह से आज भी हरियाणा में पराली जल रही है। इस समय मैप खोल कर देखा जाए तो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश लाल रंग की स्याही से पराली जलाने का प्रमाण दे रहा है।
डॉक्टर सारिका ने कहा पिछले 10 वर्षों में हरियाणा का वन क्षेत्र 5.84 % से घटकर 3.6% रह गया है। अरावली पर्वतमाला में अवैध निर्माण, अवैध खनन और पेड़ों को काटना लगातार चलता जा रहा है। खट्टर सरकार ने 1900 के पी एल पी ए एक्ट के संशोधन को भी पास कर दिया है। इससे अरावली पर जितने भी अवैध निर्माण है उन्हें कानूनी मंजूरी मिल जाएगी। अब खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है की पीएलपीए अमेंडमेंट के रॉक को हटा लिया जाए। इससे 66,000 एकड़ अरावली पर्वतमाला की जमीन कंस्ट्रक्शन के लिए खोल दी जाएगी। पूरे देश में वन क्षेत्र औसत 22% है और अपने हरियाणा में केवल 3.6% मालूम होता है हरियाणा सरकार बची कुची हरियाली भी खत्म करना चाहती है तो हमारे बच्चों सांस कैसे लेंगे? सबसे चौकाने वाली बात यह है की हाल ही में गुड़गांव को कूड़ा मुक्त शहर का पुरस्कार घोषित किया गया है। जिस तरह इको ग्रीन कंपनी सूखा और गीला कूड़ा,ई वेस्ट प्लास्टिक सभी कुछ मिलाकर बनवारी में डंप कर रही है ऐसी घोषणा पर क्या कहा जाए। पिछले कई सालों से इको ग्रीन कहीं पर भी कंपोस्टिंग नहीं कर रही , और बनवारी लैंडफिल मैं आग लगने के कारण भी गुड़गांव- फरीदाबाद की हवा दूषित रहती है। हरियाणा सरकार से गुजारिश है कि केवल घोषणाओं से नहीं जमीनी स्तर पर 365 दिन प्रदूषण को रोकने के कार्य किए जाएं ताकि नवंबर -दिसंबर के महीनों में भी हरियाणा वासी साफ हवा में सांस ले सके।