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कांग्रेस प्रवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी और रक्षा मंत्री के बारे क्या कहा-वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार मित्रों! आज हमारे पास कई पहलू हैं, लेकिन अभी कल ही रक्षा मंत्री, भारत के रक्षा मंत्री ने कहा कि हम एक इंच भी कब्जा नहीं होने देंगे। हम चीन को ये करेंगे। भारत की अस्मिता ऐसी है कि हमने आक्रमण नहीं किया, लेकिन आज किसी और देश को भी हम कुछ भी कब्जा नहीं करने देंगे, इत्यादि, इत्यादि। आपने वो वक्तव्य पढ़ा है। मैं रक्षा मंत्री के विषय की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं एक बहुत ज्यादा व्यापक मुद्दे की बात कर रहा हूँ। भारतीय सुरक्षा और हमारी जमीन पर, जिस प्रकार हमारी नाक के नीचे, यानि सरकार की नाक के नीचे, 56 इंचीय प्रधान मंत्री की नाक के नीचे, गृह मंत्री की नाक के नीचे, रक्षा मंत्री की नाक के नीचे, अभी हाल में, जो लास्ट वाला अंतिम प्रक्रिया हुई है चीन की, जिस पर 6 या 7 किलोमीटर भारत की जमीन के अंदर वो आ बैठे हैं, तो इन वक्तव्यों का क्या फायदा?

मैं ये कहना चाहता हूँ कि 6 या 7 किलोमीटर और आपको अभी हम देंगे दस्तावेज भी और अगर तस्वीर संभव होगी, दिखाएंगे, अभी दिखाएंगे, सीधा सरकारी मैप है, उसके अंदर सीधा बिंदु हमारे क्षेत्र में है, 60-70 घरों का एक नया क्लस्टर बना है। ये उसके अतिरिक्त है, जो आपको व्यापक रुप से मीडिया को जनवरी के सौ घरों का एक अलग, भिन्न कस्बा, गांव चीन ने बसाया था, लगभग 93 किलोमीटर इसके पश्चिम पर, जो अभी किया है उन्होंने 6-7 किलोमीटर अंदर आकर। उसके 93 किलोमीटर पश्चिम पर एक और ऐसी ही हरकत की थी जनवरी में। खैर, उसके अलावा आपने भूटान का मेरे सहयोगियों द्वारा, मेरे कॉलीग्स द्वारा सुना है, वक्तव्य यहाँ पर। तो ये अत्यंत दुखद कहानी है। ये कहानी है, फरेब की, छलावे की, मिथ्या प्रचार की, झूठ की,किस विषय में- राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में। ये एक दुखद प्रसंग है, मुद्दों को विकृत , तथ्यों को विकृत करने का, मामले को घुमाकर, मोड़कर नई दिशा देने के प्रयत्नों का। ऐसे मुद्दे पर जो भारत की अक्ष्णुता, भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार करते हैं और इस सब में, अब इस बात को 3-4 दिन निकल गए हैं, इस सब में जो, हमारे प्रधान मंत्री की चुप्पी है, वो एक विचित्र है, एक बहुत ही रहस्यमय है, जो सबको विस्मय में डाल दे। ये कौन सा एक इतना मुखर और प्रखर प्रधान मंत्री जो एकदम चुप्पी साधे बैठा है, इस मुद्दे पर और आपको हर दिन शिक्षा दी जाती है, राष्ट्रीय सुरक्षा की। आज अभी, तीन दिन पहले, कल, परसों ये बोल देना चाहिए था, स्पष्ट रुप से कि क्या तथ्य हैं। खुलासा करना चाहिए था, देश के साथ और अगर तथ्य ये हैं, या वो हैं, तो आप क्या कर रहे हैं? ये मैंने आपको एक प्रसंग दिया है, मैं जरा आपको तथ्य बता दूँ, बहुत सरल तरीके से और ये जितने तथ्य हैं, ये आपके सामने प्रदर्शित होंगे, लिखित आए हैं, आप ही के कॉलीग्स ने छापे भी हैं। ये पूरी तरह से जनता जनार्दन के बीच में, पब्लिक डोमेन में हैं। ये हमारा आरोप नहीं हैं, मै तथ्य बता रहा हूँ सिर्फ आपको। सौ घरों वाला जो कस्बा बताया था, वो जनवरी की बात, मैं दोहराऊँगा नहीं, आपको सिर्फ याद दिला रहा हूँ, स्मृति के लिए। आप ही के चैनलों में से एक बड़े जानेमाने चैनल ने वो दिखाया था। उसकी पिक्चर दिखाई थी जनवरी, 2021, आज हो गए, नौ महीने, दस महीने, ग्यारह महीने। उस बात को और इस बात को, जहाँ तक हमारे विदेश मंत्रालय का सवाल है, नकारा भी नहीं गया है।
जो जनवरी में हुआ था, उसके विषय में मैं कोट करना चाहता हूँ, क्या कहा, विदेश मंत्रालय ने “China has undertaken construction activities in the past several years along border areas, including in the areas that it has illegally occupied over decades. India has neither accepted such illegal occupation of our territory nor has it accepted the unjustified Chinese claims”, ये मैं आपको जनवरी वाली बात कर रहा हूँ। ये प्रसंग जानना जरुरी है, हम भूल जाते हैं। अब जो दूसरा हुआ है, उसी श्रृंखला में, डोकलाम भूल जाइए, हॉट स्प्रिंग्स भूल जाइए, बाकी जो 3-4 नाम, डेपसांग सुने हैं, कई नाम आप जानते हैं, पिछले दो साल से चल रहे हैं, नाम। अब जनवरी, 2021 आ गई, वो मैंने पढ़ दिया, अब आईए, अब सितम्बर, अक्टूबर में, तो ये बनाया गया है, अरूणाचल प्रदेश में, जो शि-योमी जिले में एक बिंदु है, मैं दिखाऊँगा अभी, 60 इमारतों का एक कस्बा और 93 किलोमीटर दूर है, उस पहले वाले, जनवरी वाले कस्बे से। 6 से 7 किलोमीटर भारत के क्षेत्र में है और ये वो क्षेत्र है, जो भारत का हिस्सा है, भारत ने अपना माना है और हक जाहिर किया है अब आपको पहला फोटो दिखाना चाहता हूँ मैं, 2019 का दृश्य और 2021 का सितम्बर, अक्टूबर का दृश्य और वो जैसे फोटो लगाई जा रही हैं, मैं दो तथ्य और दे दूँ आपको, इसमें कोई विवाद, आरोप की बात नहीं है। हम आपसे ज्यादा कंसर्न हैं, हमारी चिंता आपसे ज्यादा है। आप करेंगे, तो बाद में, करने का खुलासा बाद में करेंगे, पहले बताइए, तो सही क्या हुआ है देश को, हमको क्यों बताना पड़ रहा है। ये लगा दिया है स्क्रीन पर (स्क्रीन पर फोटो दिखाया गया), आप देखें, ये जो है, ये 2019 से नीचे वाला, खाली है, जमीन है और ये ऊपर है, 2021 में यानि अभी एक महीने पहले, अक्टूबर की कहानी है, सितम्बर, अक्टूबर की, ये 60 हैं, इमारतें। आपको डेट दिख जाएंगी, देख रहे हैं, आप, सितम्बर, 2021। अब ये किसने कहा है? आपने नहीं कहा, मैंने नहीं कहा, किसी अखबार ने भी नहीं कहा, ये ऐसे सुप्रसिद्ध विश्व में सैटेलाइट इमेजिनरी के एक्सपर्ट्स हैं, जिनका काम ये है, उनको राजनीति से कोई मतलब नहीं, किसी देश से भी मतलब नहीं, वो अपना एक्सपर्ट काम करते हैं। दो हैं, विश्व सुप्रसिद्ध मैक्सर (Maxar) ये कंपनियों के नाम है, जो ये सैटेलाइट इमेजिनरी करते हैं, मैक्सर (Maxar) और प्लैनेट लैब्स (Planet Labs)। उसके बाद इनको जांच पड़ताल, निरीक्षण- परीक्षण के बाद पैंटागन आत्मसात करता है। पैंटागन को कोई ये नहीं कि मेरे को काला दिखाया, आपको सफेद दिखाया। मेरे को सफेद दिखाया, आपको काला दिखाया। पैंटागन की एक साख है। ये उसका एक वर्जन है, वो लिखते हैं ये। तो इसमें बात बची क्या, ये आपने खाली स्थान पर, अब ये दूसरा देखिए दृश्य, ये स्थान कौन सा है? ये स्थान क्या है? लगता है, आपको कि सैटेलाइट इमेजरी में कि कहीं है, लेकिन भारत में नहीं है। ये एक प्रतीत होता है। ये है कहाँ, ये देखिए, ये देखिए, ये है मैप अरूणाचल प्रदेश का, (अरूणाचल प्रदेश का नक्शा दिखाते हुए)। ये बाउंड्री और अरूणाचल प्रदेश की बाउंड्री है। ये मत समझिए कि किसी और देश की या किसी और प्रदेश की बाउंड्री है। इसमें वो बिंदु कहाँ है। इसमें ऐरो लगा रखा है। आपके घर के अंदर, मेरे घर के अंदर, किसी तीसरे के घर के अंदर। ये भूटान की बात नहीं कर रहे हैं, मान्यवर।
तो ये जो है, अच्छा, ये मैप किसने बनाया है? ये मैप कहाँ से आया है, ये भी समझ लीजिए आप। मैं आपको बड़े तथ्य, बड़े सरल बोल रहा हूँ। ये मैप हैं, जीओआई, गवर्मेंट ऑफ इंडिया, भारत सरकार के ऑनलाइन मैप सर्विस, ये मैं नहीं कह रहा हूँ। मैं कह रहा हूँ, ये जो आकार हैं, मैप तो हमने आपको बताने के लिए बताया कहाँ बना है ये, लेकिन जो आकार है, ये हमारा आकार नहीं है, ये जो एक्सेप्टेड, ऑपचारिक मैप है, गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऑन लाइन मैप सर्विस, जो कि सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया ने भी अलग से माना है, दो सोर्स, सूत्र बताए हैं, मैंने आपको। यहाँ पर चीन के झंडे फहरा रहे हैं। यहाँ कोई चीनी बोलता नहीं, जानता नहीं। तो दोस्तों ये कितना ज्यादा भयंकर, गंभीर प्रसंग है, मैं इसको ज्यादा और रेखांकित नहीं कर सकता हूँ। अब आगे चलते हैं, ये जब दिखाया, जो मैंने आपको, ये सभी चीज प्रसंग करके और जिनके ये चित्र हैं, जिन्होंने पहली बार ये छापा, उनको क्रेडिट है, उनका नाम है, वो छुपा नहीं रहे हैं, उन्होंने सीधा सही रुप से पूछा भारतीय सेना से, तो भारतीय सेना ने इसका सीधा नकारात्मक या नकारा नहीं है, इसको। इंडायरेक्ट, परोक्ष रुप से मान लिया, इसका मतलब वो। उन्होंने कहा- “The location corresponding to the coordinates mentioned in your query lies to the North of LAC (Line of Actual Control) in Chinese territory”. लेकिन जब उनसे ये पूछा गया कि ये लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल इंटरनेशनल बाउंड्री के बीच में है, यानि वो क्षेत्र है, जो भारत का हकदार क्षेत्र है, जिसको हम कहते हैं कि हमारा है। तो क्योंकि पहला उत्तर तो कहा उन्होंने कि चाइनीज टेरीटरी है, जब पूछा गया कि भई, जब एलएसी के आगे और इंटरनेशनल बाउंड्री के बीच वाला क्षेत्र जो हम मांगते हैं, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमने जो पहले जवाब दिया था, वही जवाब है। तो मैं समझता हूँ कि इससे बड़ा छल-कपट राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में न कभी आप सोच सकते हैं, न कभी हुआ है, न कभी संभव है। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ, संसद में हमारी न सुनें, अपनों की तो सुनिए। संसद के अंदर एक भारतीय जनता पार्टी के एमपी जो अरूणाचल प्रदेश के हैं, उनका नाम हैं, तापिर गाओ, उन्होंने 2020 की शुरुआत में संसद में, या 2019 के अंत में कहा था, मैं कोट कर रहा हूँ, ये संसद के पटल की बात है, तो इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता- “I want to tell media houses in the country that there is no coverage of the extent to which China has captured Indian Territory (in Arunachal Pradesh)”. “If there is another Doklam, it will be in Arunachal Pradesh”, लेह- लद्दाख में नहीं, अरूणाचल प्रदेश में। ये भाजपा के अरुणाचल के सांसद तापिर गाओ ने संसद के पटल पर कहा, एक साल हो गया है। दोस्तों, इसके अलावा, जो मैंने वाक्या पढ़ाया आपको, सेना द्वारा, मुख्यमंत्री अरूणाचल प्रदेश, उपमुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री, सबसे सर्वोच्च किसी का कोई रिएक्शन नहीं आया है और ये आपको पता होना चाहिए कि ये जो बिंदु देख रहे थे अभी आप, शि-योमी डिस्ट्रिक्ट में आता है, अरूणाचल प्रदेश के, मतलब वो बिंदु नहीं है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट का एरिया वो है। वो सिर्फ 33 किलोमीटर दक्षिण में है, उस बिंदु से जहाँ पर अभी राष्ट्रपति ‘शी’ जाकर आए हैं। अभी दो-तीन हफ्ते पहले आप ही लोगों ने पढ़ा था, देखा था, छापा था। राष्ट्रपति ‘शी’ वहाँ जाकर आए हैं, तो उन्होंने वो देखा था, वहाँ पर। जिस जगह वो आए थे, उससे 33 किलोमीटर दक्षिण में ये जगह है। तो आप समझ सकते हैं कि क्या हो रहा है, और वो कर रहे हैं, मेरे को आश्चर्य नहीं है, आश्चर्य तो ये है कि आप क्या कर रहे हैं और आप बता क्या रहे हैं और उसके बारे में कर क्या रहे हैं। एक बड़े माने हुए लेखक हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा पर और चीन के एक्सपर्ट हैं, स्वतंत्र हैं, किसी राजनीति में नहीं हैं, उन्होंने ये कहा कि इसका नामकरण भी कर दिया है, चीन ने, ‘क्यूंगलिंग’।

अब मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि जो पिछली बार जनवरी की हुई वारदात, मैं आपको जो गंभीर, गैर जिम्मेदारी की जो चरमसीमा होती है, उसका एक उदाहरण देकर अपनी बात खत्म कर रहा हूँ। जब जनवरी में हुआ, तो ठीक विपरीत रेस्पॉन्स मिले आपको, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से। माननीय रावत साहब, जिनके लिए हमेशा इन मुद्दों पर मैं समझता हूँ कई बार दुर्भाग्य की बात है, राजनीति पहले आती है, राष्ट्रीय सुरक्षा बाद में आती है, उन्होंने बड़ा स्पष्ट कहा और उन्होंने, एक आप ही के जर्नलिस्ट के समूह को, कॉन्क्लेव कहते हैं, उसमें कहा, ये 11 नवम्बर को जो कि 12 नवम्बर को रिपोर्ट हुआ कि सब कुछ सही है, ‘All is well’. ‘All is well’ कहाँ, किस संदर्भ में इस्तेमाल हुआ था और वो कितना गलत था, उसको भी आप जानते हैं, तो मैं समझता हूँ कि उसी दिन, उसी वक्त विदेश मंत्रालय ने माना कि ये निंदनीय है, गलत है और हम नहीं मानते। तो क्या इस देश में दो-दो मंत्रालय चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा की बात अलग-अलग करेंगे, अलग-अलग दोगली आवाजों में करेंगे? और आप लोगों ने प्रसारित भी किया ये कि MEA and MOD differ on the Pentagon report of Chinese intrusion in Arunachal Pradesh. एमईए के स्पोक्सपर्सन ने 11 नवम्बर को, अरिंदम बागची उनका नाम है, कहा था, मैं कोट कर रहा हूँ as we had stated then “China has undertaken construction activities in the past several years along border areas, including in the areas that it has illegally occupied over decades. India has neither accepted such illegal occupation of our territory nor has it accepted the unjustified Chinese claims” और उसी समय, उसी दिन उस कॉन्क्लेव में बोलते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जो मंत्री महोदय के बाद आते हैं, मुख्य व्यक्ति जनरल बिपिन रावत ने कहा – There is no truth to the latest controversy. The issue about the Chinese building villages along the Line of Actual Control is true, but, what I wish to come out with is that the Chinese are building villages, possibly for locating their civilians or for the military in future all along LAC, particularly after the recent face offs, but, this controversy that has erupted the Chinese have come across our territory and built new villages are not true. इतना घोर विरोधाभास दो वक्तव्यों में और साथ-साथ चुप्पी रक्षा मंत्री और मुख्य मंत्री प्रदेश, उप मुख्य मंत्री, प्रधान मंत्री , गृह मंत्री। तो मैं समझता हूँ कि इससे ज्यादा घिनौनी हरकत राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में नहीं हो सकती। निंदनीय है, ये कोई विचित्र परिभाषा है, एक नई डिक्शनरी है, बीजेपी की, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को एक नई परिभाषा दी गई है, हम उस परिभाषा को नहीं समझते। ये हमारी असफलता है, जो हम पिछले दो साल से विश्व को और देश को बता रहे हैं कि हमने ये किया चीन के विरुद्ध, वो किया। हमने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मत बनाया, चीन के विरुद्ध, उसका ये नतीजा है। अपने खुद के सांसद को आप सुनिए, हमको नहीं सुनिए। ये डायवर्जन है। ये झूठ, झूठ और झूठ है। ये शतुरमुर्ग की तरह अपना माथा जमीन के अंदर घुसाकर सच्चाई को नकारने की प्रक्रिया है और सबसे ऊँचा ये हमारे वीर जवानों का असम्मान है, घोर असम्मान।

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