अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम :अपराध शाखा, साइबर सैल ने आज एसीएमई क्लीनटच सलूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के दो पूर्व कर्मचारियों को जालसाजी ,धोखाधड़ी ,साजिश के तहत कंपनी को तक़रीबन 18 लाख रुपए चुना लगाने के जुर्म में गिरफ्तार किए हैं। पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से एक लेपटॉप व एक मोबाइल फोन बरामद किए हैं। आज दोनों आरोपियों को अदालत के सम्मुख पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया हैं।
इंचार्ज सुरेश कुमार का कहना हैं कि एसीएमई क्लीनटच सलूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रेजिडेंट संदीप कश्यप ने अपराध शाखा ,साइबर सैल में 9 अप्रैल 2019 को एक मुकदमा दर्ज करवाया था जिसमें बताया था कि उनके कंपनी के खाते से किसी अज्ञात शख्स ने बीते 30 मार्च 2019 को फर्जी हस्ताक्षर करके आरटीजीएस के जरिए 17 लाख 80 हजार रुपए ट्रांसपर कर लिया। उनका कहना हैं कि इस केस को तकनिकी सहायता का इस्तेमाल करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किए हैं,जिनके नाम दीपक मंडोलिया निवासी मकान नं. 477/28, गली नं. 8, ज्योति पार्क, थाना न्यू कालोनी, गुरुग्राम व विवेक कुमार निवासी गाँव गडवार डाक डरैहली मढिया, थाना दरौली, जिला सीवान, बिहार, हाल निवासी मकान नं. 1347, कृष्णा कुन्ज, गली नं. 12, भौन्डसी, गुरुग्राम हैं। उनका कहना हैं कि पुलिस के द्वारा गहनता की गई पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि वह दोनों एसीएमई क्लीनटच सलूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अकाउन्टऔर फाईनेन्स डिपार्टमेंट में काम करते थे और यही लोग कम्पनी का लेनदेन किया करते थे ।
आरोपी दीपक को उक्त कम्पनी के द्वारा की गई कर्मचारियों की छटनी के दौरान जुलाई-2018 में निकाल दिया था और उस समय आरोपी विवेक कम्पनी में ही काम करता था। इस दौरान दोनों ने आपस में बातचीत करते हुए योजना बनाई कि कम्पनी आरटीजीएस के माध्यम से कम्पनी द्वारा बनाया गया फोरमट को भरकर फैक्स करके रुपयों की ट्रान्जैक्शन की जाती है उस आरटीजीएस फार्म का फोरमैट इत्यादि को अपनी निजी ई-मेल आई.डी. पर फारवर्ड कर ले तो योजना अनुसार विवेक ने उस फोरमैट/फार्म इत्यादि को अपनी ई-मेल पर फारवर्ड कर लिए। नवम्बर-2018 में कम्पनी द्वारा फिर से की गई कर्मचारीयों की छटनी में आरोपी विवेक को भी कम्पनी से बाहर निकाल दिया। कम्पनी से बाहर आने के बाद इन्होंने कम्पनी के खाते से 2 आरटीजीएस की ट्रान्जशन की जिसमें उनके द्वारा अपनी ई-मेल पर लिए गए फार्म/फोरमेट को भरकर कम्पनी की फर्जी मोहर व हस्ताक्षर करके बैंक को फैक्स किया और कुल 17 लाख 80 हजार रुपए अपने खाते में ट्रान्सफर कर लिए। उनका कहना हैं कि दोनों आरोपियों द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से की गई ट्रान्जशनों का जब कम्पनी को पता लगा तो कम्पनी ने तुरंत एक्शन लेने के कारण, आरोपी खातों से और ज्यादा पैसे नही निकाल पाए और उनके हाथ किसी प्रकार की धनराशि हाथ नही लगी। आज दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया जहां से अदालत ने दोनों को भौंडसी जेल भेज दिया।