अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद स्थित खोरी गांव को तोडे जाने के विरोध और उनके पूर्नवास की मांग को लेकर सांसद सुशील गुप्ता के नेतृत्व में आज मंगलवार को प्रधान मंत्री कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपा गया। हालांकि इससे पूर्व खोरी गांव के प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच आंख मिचैली का खेल भी देखने को मिला। असल में आज डा गुप्ता के नेतृत्व में खोरी गांव निवासी काफी संख्या में सराय ख्वाजा फरीदाबाद से प्रात; मार्च करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर अपना ज्ञापन सौंपना चाहते थे। मगर पुलिस ने डा सुशील गुप्ता सहित सुबह से ही प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थन में खडे लोगों को गिरफतार करना शुरू कर लिया। उन्होंने सांसद डा सुशील गुप्ता को भी नहीं छोडा। डा गुप्ता क्योंकि इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहें थे, ऐसे में पुलिस ने उनको सराय ख्वाजा में ही मार्च की शुरूआत में ही गिरफतार कर लिया। इस गिरफतारी के उपरांत पुलिस ने सांसद गुप्ता को करीब तीन से चार घंटे तक फरीदाबाद के विभिन्न थानों में बिठाए रखा।
वहीं पुलिस उनको मामला दर्ज करने व जेल भेजेजाने की बात को कहते हुए धमकाते रहें। मगर प्रदर्शन वापस ना लेने की बात पर डटे सुशील गुप्ता को अंत में हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने मिलकर प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्ञापन देने की मांग को मंजूर कर लिया। जिसके उपरांत करीबन दोपहर करीब 2 बजे दोपहर डा गुप्ता ने खोरी गांव वासियों की मांगों से भरा ज्ञापन प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा दिया। उन्होंने पुलिस से खोरी गांव निवासियों और प्रदर्शन में भाग लेने के नाम पर पकडे गए सभी कार्यकर्ताओं को भी छोडने की बात आलाअधिकारियों से कहा। इन अधिकारियों ने देर रात तक सभी प्रदर्शनकारियों को छोडने की बात भी कही। डा गुप्ता द्वारा सौंपे गए ज्ञापन की मुख्य मांगों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके द्वारा बनाई गई जहां झुग्गी वहीं मकान देने की योजना की तर्ज पर लोगों के लिए पूर्नवास का अनुरोध गया है।
डा गुप्ता ने कहा फरीदाबाद स्थित खोरी गाँव मे करीब 15 हजार मकानों में लगभग 1 लाख लोग पिछले दो -तीन दशक से रह रहे है, परन्तु पिछले कुछ महीनों से फरीदाबाद निगम द्वारा उस जगह को खाली करने को विवश किया जा रहा है जो मानवीय दृष्टिकोण से अनुचित है इसलिए हरियाणा सरकार को लोगों के विस्थापन के पूर्व पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए। वहां लोगों ने अपने खून पसीने से ईंट-ईंट जोड़कर रहने के लिए आसरा बनाया था, जो आज तोडा जा रहा है। यही नहीं करीब डेढ़ महीने के लॉकडाउन में खाली बैठने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद लोग खाने और रहने दोनों के लिए मोहताज हो गए हैं। ऐसे में गरीब व बेसहारा लोगों की मेहनत से बनाए घरों को बचाया जाना चाहिए। सांसद गुप्ता ने कहा कि खोरी गांव की लाइट काट दी गई, कई घरों में खाने के लिए अनाज तक नही बचा है। ऐसे में अपने घर को बचाएं या बच्चों का पेट भरें। गांव के लोगों में डर का माहौल है। यहीं नहीं खोरी गांव में ज्यादातर लोग दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूर हैं। प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि आप इन प्रवासी मजदूरों व प्रवासी निवासियों को विस्थापित करने से पूर्व इनको पुनर्वासित करने का प्रबंध करवाने का कष्ट करेगें।
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