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वाराणसी में बोले पीएम नरेंद्र मोदी- कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का चल रहा है खेल, पूजा अर्चना की -देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वाराणसी पहुंचकर वाराणसी-प्रयागराज राजमार्ग के 6 लेन का लोकार्पण किया. इस दौरान, प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत देव दीपावली की शुभकामनाओं के साथ की. कृषि कानूनों को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं. अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है. उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है. पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था, लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, “अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है, लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है. ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामलों में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है. हमें याद रखना है यह वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है. पीएम मोदी ने कहा कि अब आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है.

अब जैसे एमएसपी तो घोषित होता था, लेकिन एमएसपी पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया है. कर्ज माफी छोटे किसानों तक नहीं पहुंच पाती थी यानी छोटे किसानों के साथ छल किया गया. बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषणा होती थी, लेकिन वह खुद मानते थे कि एक रुपये में 15 पैसे ही पहुंचता है. किसानों के नाम पर खाद पर बहुत बड़ी सब्सिडी दी गई, लेकिन यह फर्टिलाइजर इनसे ज्यादा कालाबाजारियों के पास पहुंच जाता था.पीएम ने कहा कि जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वभाविक हैं. पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है. दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है. जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे तो सच अपने आप सामने आ जाएगा. हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे. बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी. यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बंद थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई.

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