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कन्हैया और जिग्नेश हुए कांग्रेस पार्टी में शामिल और क्या- क्या कहा -सुने इस वीडियो देखें में

नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की इस विशेष पत्रकार वार्ता में आप सबका जो मेरे सामने बैठे हैं, पत्रकार बंधु, छाया कार बंधु, टेलीविजन के साथी और बहुत सारे हमारे जोशिले युवा, आप सबका श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी जी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं स्वागत करता हूं। आज हम सबके लिए एक विशेष दिन है, क्योंकि इस मंच पर वो दो नौजवान बैठे हैं,जो अब किसी परिचय के मोहताज नहीं और जो अपने आपमें, जिन्होंने लगातार मोदी सरकार और हिटलरशाही की जो नीतियां है, जो 7 साल से इस देश में चल रही हैं, अपने-अपने तरीके से युवाओं के लिए, गरीबों के लिए, वंचितों के लिए, शोषितों के लिए, पिछड़ों के लिए, दलितों के लिए, उन्होंने एक व्यापक संघर्ष किया। हमारे इन साथियों को ये लगा कि यह आवाज तब और बुलंद हो पाएगी, जब ये आवाज कांग्रेस और राहुल गांधी जी की आवाज में मिलकर एक और एक ग्यारह की आवाज बन जाएगी और मैं आभारी हूं, हमारे साथी कन्हैया कुमार, हमारे साथी जिग्नेश मेवाणी और मेरे एक और मित्र जो वर्किंग प्रेजिडेंट हैं गुजरात प्रदेश के, हार्दिक पटेल जी, वो भी उनके साथ उपस्थित हैं। मैं आप सबका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं और बगैर किसी विलंब के सबसे पहले महासचिव संगठन, उनसे अनुरोध करुंगा कि वो संक्षिप्त में अपनी बात रखेंगे और उसके बाद फिर हम आप लोगों को कहेंगे कि वो अपनी बात यहाँ पर रखें।

Bhakta Charan Das said- Respected Venugopal Ji, Surjewala Ji, Bansal Ji, Nitin Ji, all PCC President of Bihar and all other friends, आज हमारे लिए उत्साहजनक दिन है कि आज शहीद भगत सिंह जी की जयंती पर एक ऐतिहासिक निर्णय कांग्रेस पार्टी ने लिया और कन्हैया जी और जिग्नेश जी ने भी लिया है और उनका सम्मान करके, माल्यार्पण करके हमारे नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में वहाँ पर माल्यार्पण करके। संविधान का संरक्षण उसके अधिकारों को लेकर जो हर जन, हमारे देश में जन-जन की लड़ाई की जरुरत है और दोनों लड़ाकू, दोनों संघर्षशील, दोनों निर्भीक, साहस के साथ देश में अपनी बात को उठाया है। व्यक्ति, संगठन और स्वतंत्रता और संस्थानों की स्वतंत्रता के लिए लगातार लड़ते आए हैं। कमजोर वर्ग और बेबस, बेसहारा के लिए आवाज बनें रहे हैं।तो जिस तरह से राहुल गांधी के दिल में गरीबों और कमजोर वर्गों के लिए दर्द है, जिस तरह से राहुल जी अपनी बात उठाते हैं साहसिकता के साथ, हर इशू मे अपने मुद्दे को, अपनी बात को रखते हैं देश के हित में, किसानों के हित में, दलित, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग के हित में, महिलाओं के हित में, उसी तरह से एक विचारधारा जो आज जिग्नेश मेवाणी जी की है और कन्हैया जी की है, विचारधारा में मिलन है। कई दिनों से कई बार मेरे जानने में ये डायलॉग में रहे हैं, हमारे नेता जी के साथ और राहुल जी के साथ और राहुल गांधी जी की विचारधारा के साथ एकमत होकर हर बिंदुओं पर, चाहे संविधान के ऊपर हो, चाहे लोगों के प्रति उनके दुख-दर्द में उनका साथ देने में हो, लड़ाई लड़ने की हो, निर्भीकता के ऊपर हो और संविधान के संरक्षण के ऊपर हो, वो सारे में एक लाइक माइंडेड नेचर चरित्र देखा गया है और एक मजबूत कड़ी की तरह कांग्रेस के साथ जुड़े हैं।दोनों के दोनों हमारे लिए, कांग्रेस पार्टी के लिए और देश के लिए एक बहुत बड़ा योगदान करेंगे। यही आशा हमारी है और इन्हीं बातों के साथ मैं दोनों का स्वागत करता हूं कांग्रेस पार्टी में और बिहार की धरती पर कन्हैया जी के लिए बहुत बड़ा संघर्ष इंतजार कर रहा है और जिग्नेश जी के ऊपर भी। पूरे देशभर में हमारे नितिन जी दलित वर्ग के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उसी लड़ाई को पूरे दलितों की लड़ाई को पूरे देशभर में आगे ले जाने के लिए उनमें भी जो हिम्मत है, उस हिम्मत के साथ वो योगदान करेंगे। यही आशा के साथ मैं अपनी बात का समापन करता हूं।

सुरजेवाला ने कहा कि शुक्रिया भक्त चरणदास जी और अब जिसका हमें इंतजार था, मैं सबसे पहले अनुरोध करुंगा श्री केसी वेणुगोपाल जी से, श्री पवन बंसल जी से कि वो कांग्रेस का तिरंगा पटका कन्हैया कुमार जी को पहनाकर उनका औपचारिक स्वागत कांग्रेस पार्टी में करें।

केसी वेणुगोपाल, श्री पवन बंसल द्वारा कन्हैया कुमार जी का स्वागत किया गया।

सुरजेवाला ने कहा कि अब मैं अनुरोध करुंगा हमारे साथी नितिन राउत जी से और उनके साथ-साथ भक्त चरण दास जी से, केसी वेणुगोपाल जी से, बंसल साहब से कि वो जिग्नेश मेवाणी जी का भी औपचारिक तौर से हमारी विचारधारा से जुड़ने के लिए, कांग्रेस की विचारधारा के साथ मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए स्वागत करें।

मैं अब अनुरोध करुंगा हमारे युवा साथी कन्हैया कुमार जी से कि वो अपनी बात आपके समक्ष रखेंगे।

कन्हैया कुमार ने कहा कि सबसे पहले इस संवाददाता सम्मेलन में आए हुए मैं अपने सभी पत्रकार साथियों का और मैं देख रहा हूं कि कुछ ऐसे दोस्त भी हैं, जगह की कमी के चलते कमरे में आ नहीं पाए हैं, लेकिन सुन रहे हैं बाहर खिड़कियों से, मैं आप सबका स्वागत करता हूं और मंच पर उपस्थित एआईसीसी ऑर्गनाइजेशन के जनरल सेक्रेटरी वेणुगोपाल जी, जनरल सेक्रेटरी सुरजेवाला जी, एससी विभाग के चेयरमैन नितिन राउत जी, बिहार के प्रभारी भक्त चरण दास जी, बिहार के अध्यक्ष मदन मोहन झा जी और कांग्रेस पार्टी के ट्रेजरार पवन बंसल जी, हमारे युवा साथी और गुजरात कांग्रेस के वर्किंग प्रेसीडेंट भाई हार्दिक पटेल जी और हमारे आंदोलन में कदम से कदम मिलाकर हर घड़ी हमारा साथ देने वाले हमारे साथी वड़गांव से निर्दलीय विधायक साथी जिग्नेश मेवाणी जी, मैं आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। मैं अपने पत्रकार साथियों से कुछ चीजों को लेकर मुखातिब हूं, उससे पहले आज ये एक ऐतिहासिक दिन है। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी की जयंती है। लोग शहीद होते हैं, भगत सिंह जी शहीद–ए-आजम हैँ। शहीद-ए-आजम इसलिए हैं कि आज हम लोग जहाँ माल्यार्पण करने गए थे शहीद पार्क, वो शहीद पार्क एक ऐतिहासिक पार्क है। वो हिस्सा है फिरोजशाह कोटला फोर्ट का, जहाँ पर चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता में हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी की गुप्त मीटिंग हो रही थी। अंग्रेजों के जमाने में क्रांतिकारी छुपकर मीटिंग किया करते थे। नौजवान, तरुण भगत सिंह जी एक प्रपोजल लेकर आए कि हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी का अब हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी होना चाहिए। वो ऐतिहासिक क्षण, वो ऐतिहासिक भूमि और हमारे युवाओं के आइकन शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी को हम अपना नमन प्रस्तुत करते हैं।आज एक दुखद घटना भी हमारे जिले में हुई है। वज्रपात के चलते दो बच्चियों का निधन हो गया है। मैं इस मंच से उनके प्रति शोक व्यक्त करता हूं और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

दोस्तों, मुझे लगता है कि बहुत कुछ कहने की जरुरत नहीं है। आजकल सूचना क्रांति के इस दौर में हमसे ज्यादा मालूम हमारे पत्रकार साथियों को होता है। तो बेहतर ये होगा कि आप सवाल पूछें, मैं आपका जवाब दूं। लेकिन आप सवाल कहाँ से पूछेंगे और आपके मन में कौन से सवाल चल रहे हैं, इसका थोड़ा सा अंदेशा है मुझे। थोड़ा अंदाजा भी है।सबसे पहले मैं आपको बधाई देना चाहता हूं कि आपने पत्रकारिता की उस मिसाल को जिंदा रखा है कि कम से कम विपक्ष से तो सवाल करते हैं आप, ताकि इस देश को याद रहे कि पत्रकारों का काम है सवाल पूछना। तो मैं आपके हर सवाल का जवाब दूंगा। जितना सवाल आप पूछना चाहते हैं, पूछिएगा, बारी-बारी से पूछिएगा, सारे सवालों का जवाब दूंगा। बस एक सवाल का जवाब जो मुझे लगता है कि आप सबके मन में होगा कि आपने कांग्रेस पार्टी क्यों ज्वाइन की है, उस सवाल का जवाब देकर, मैं हमारे जो अध्यक्ष हैं, उनकी तरफ मुखातिब होऊंगा, माइक उनको समर्पित करुंगा।
कांग्रेस पार्टी इसलिए ज्वाइन कर रहा हूं, कि मुझे ये महसूस होता है कि इस देश में कुछ लोग, वो सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच है, वो इस देश की सत्ता पर ना सिर्फ काबिज हुए हैं, इस देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, इसका मूल्य, इसका इतिहास, इसका वर्तमान और इसका भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। वो जो सोच है, उस सोच के बारे में आप अपने आप समझ जाएंगे, क्योंकि कहीं मैंने पढ़ा था कि आप अपने दुश्मन का चुनाव कीजिए, अपने विपक्ष का चुनाव कीजिए, दोस्त अपने आप बन जाएंगे। तो हमने ये चुनाव किया है। हम इस देश की सबसे पुरानी पार्टी, सबसे लोकतांत्रिक पार्टी, मैं जोर देकर बोल रहा हूं, लोकतांत्रिक पार्टी, ताकि आप लोग परिवारवाद पर सवाल जरुर कीजिएगा। लोकतांत्रिक पार्टी में हम इसलिए शामिल होना चाहते हैं कि हमें लगता है और सिर्फ हमें नहीं लगता है, इस देश के लाखों, करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची, तो देश नहीं बचेगा और ये बात मैं आपको स्पष्ट कर देता हूं, देश में प्रधानमंत्री अब भी हैं, देश में प्रधानमंत्री इससे पहले भी थे, देश में आगे भी प्रधानमंत्री होते रहेंगे, लेकिन आज जब हम लोग श्री राहुल गांधी की उपस्थिति में फॉर्मली कांग्रेस पार्टी का फॉर्म भर रहे थे, जो साथी जिग्नेश ने संविधान की कॉपी दी और हमने उनको भगत सिंह, गांधी और अंबेडकर की तस्वीर प्रस्तुत की, क्योंकि हमारा ये मानना है कि आज इस देश को भगत सिंह जी की वीरता की जरुरत है। भगत सिंह जी के साहस की जरुरत है। आज इस देश को अंबेडकर की समानता की जरुरत है और आज इस देश को गांधी जी की एकता की जरुरत है।
गांधी जब कहते हैं- रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सनमती दे भगवान। ये गांधी की एकता है। जब अंबेडकर जी कहते हैं कि किसी भी समाज का मूल्यांकन वहाँ महिलाओं की स्थिति क्या है, इस बात से होगा, तब वो समानता की वकालत कर रहे होते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर किसी एक समुदाय के नेता थे। कांग्रेस पार्टी ने, संविधान सभा ने डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान बनाने की जिम्मेदार दी और उस संविधान के प्रिएंबल मे यह लिखा है – हम भारत के लोग भारत को एक प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए हैं, जिसमें समानता, न्याय के मूल्य निहित हैं और जब भगत सिंह जी कहते हैं कि आप व्यक्ति को कुचल सकते हैं, विचारों को नहीं। आप बम और पिस्तौल से कभी इंकलाब नहीं ला सकते हैं, उस साहस की जरुरत है हमें। मुझे नहीं लगता है, मेरे बहुत सारे राजनीतिक दोस्तों को ये लगता है। मुझे लगता है कि यह देश 1947 से पहले वाली स्थिति में चला गया है। लेकिन जिनको लगना है, उनके पॉलिटिकल इमेजीनेशन में आज भी हर कोई अपना-अपना शोरुम बचाने के चक्कर में हैं। अरे भाई, मॉल में आग लग गई है, दुकान बचाओगे? बस्ती में जब आग लग जाती है ना, तो बेडरुम की चिंता नहीं करनी चाहिए।
आज हम इस मुहाने पर खड़े हैं कि इस देश के भीतर भारतीय होने की जो पहचान है, जिसमें बुद्ध निहित हैं, जिसमें कबीर निहित हैं, जिसमें नानक निहित हैं, जिसमें हर बार, हर दौर में सत्ता से सवाल पूछने का सबब होता है, उस भारतीय चिंतन परंपरा को बचाने की जरुरत है। इसलिए हम कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं कि कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो गांधी जी की विरासत को लेकर आगे चलेगी। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो सरोजनी नायडू जी के विचारों को आगे लेकर चलेगा। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है जो अंबेडकर, नेहरु, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, शहीद-ए-आजम भगत सिंह और मौलाना अबुल कलाम आजाद के रास्तों पर चलेगा। हम जब भी समानता और बराबरी की बात करते हैं, यह कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं है, ये भारतीय होने का इतिहास है और इस भारतीय होने के इतिहास को अपने आप में यदि कोई समेटे हुए है, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी है और जो लोग कह रहे हैं, विपक्ष कमजोर हो गया है, यह सिर्फ विपक्ष के लिए चिंता की बात नहीं है, यह मैं नहीं कह रहा हूं, कोई शास्त्र, कोई किताब उठाकर देख लीजिए, जब विपक्ष कमजोर हो जाता है, सत्ता तानाशाही रुख अख्तियार कर लेती है।
इसलिए देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, मैं कोई गुणा, गणित नहीं कर रहा हूं, लेकिन मुझे यह बात सीधे तौर पर समझ में आ रही है कि देश के लोकसभा में 545 सीट हैं, 200 लगभग सीट ऐसे हैं, जहाँ भाजपा के सामने कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि मेरी जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टी के लिए है, लेकिन जो पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, उस पार्टी को अगर नहीं बचाया गया, अगर बड़े जहाज को नहीं बचाया गया, तो छोटी-छोटी कश्तियां भी नहीं बचेंगी और जब मैं यहाँ बैठा हुआ हूं, मेरे इतिहास को, मेरे वर्तमान को लोग देख रहे हैं। बहुत सारे सवाल हैं, वो आएंगे, उनका जवाब मैं दूंगा। लेकिन यह जो ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी से मैं अपना मुँह नहीं मोड़ सकता हूं।
मैं जहाँ पैदा हुआ, जिस पार्टी में पला बढ़ा, उसके प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं। उसने मुझे सिखाया, पढाया, लड़ने का जज्बा दिया है। लेकिन उस पार्टी के साथ-साथ मैं उन लाखों-करोड़ों लोगों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जो किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं थे। अपने स्कूल के वॉटस्अप ग्रूप में जब हम लोगों के ऊपर अनावश्यक आरोप मढ़े जाते हैं, तो अपने दोस्तों से लड़ रहे थे। अपने घरों में डिनर टेबल पर लड़ रहे थे। लोगों की दोस्तियां टूट गई, हम लोगों के आंदोलन के समर्थन में और मैं मजाक नहीं कर रहा हूं, लोगों के तलाक तक हो गए। ये जो देश में एक वैचारिक संघर्ष छिड़ा है, उस वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस पार्टी ही नेतृत्व दे सकती है, यह हमारा भरोसा है और मैं ये उम्मीद करता हूं कि हमारे देश के जो लाखों-करोड़ों नौजवान आपके माध्यम से सुन रहे हैं, उनसे भी मैं आग्रह करता हूं कि दीवार पर बैठकर टुकुर-टुकुर मुँह ताकने का वक्त नहीं है। ये अर्जेंसी का टाइम है और इस अर्जेंसी के टाइम पर दीवार पर बैठकर दांये जाएं कि बांए जाएं, ये मत सोचिए, जब आप जंग में होते हैं, तो आपके पास जो अवेलेबल चीजें होती हैं, आप उनसे मुकाबला करने की कोशिश करते हैं।
कांग्रेस पार्टी एक बड़ा जहाज है, अगर कांग्रेस पार्टी बचेगी, तो हमारा मानना है कि इस देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों की आकांक्षाएं बचेंगी। गांधी की मामांसा बचेगी, भगत सिंह के सपनों का भारत बचेगा और डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के समानता का भारत का निर्माण संभव हो पाएगा।

इसी आशा और उम्मीद के साथ मैं इस पार्टी से जुड़ा हूं और मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस पार्टी, जो एक लोकतांत्रिक पार्टी है, आजादी के साथ, अपनी पूरी मुखरता के साथ सत्ता से सवाल पूछना और लोगों के हक के लिए लड़ना- भिड़ना, संघर्ष करने में हमारे साथी रहेंगे, हमारे सहयोगी रहेंगे और ये परिवार संघ परिवार नहीं, वो क्या परिवार जो परिवार छोड़ कर परिवार बनाना पड़े। वो परिवार जो आपको परिवार छोड़ने के लिए नहीं कहता है, कहता है कि अपने परिवार में रहिए। अरे महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी को लेकर अंग्रेजों से लड़ गए, बताइए इनको अपना घर छोड़ना पड़ा? कोई जरुरी है क्या? घर परिवार के साथ रहना है। डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भी अपने परिवार के साथ रहते थे। आप जितने बड़े लोग हैं, उनका इतिहास उठा कर देख लीजिए, सब लोग अपने परिवार के साथ रहते थे। वो परिवार छोड़कर बनने वाला परिवार नहीं है। न्याय, बराबरी और संघर्ष के लिए इस परिवार में मैं शामिल हुआ हूं। सभी सदस्यों के प्रति, देश के अंदर फैले हुए लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं को अपना आभार व्यक्त करता हूं।

बहुत-बहुत शुक्रिया, बहुत-बहुत धन्यवाद।

जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि सबसे पहले तो केसी वेणुगोपाल साहब, सुरजेवाला जी, नितिन राउत साहब, पवन बंसल जी, भक्त चरण दास जी, साथी हार्दिक, कन्हैया और दूसरे पार्टी के मंच पर विराजमान सभी सीनियर लीडर्स, आप तमाम पत्रकार साथी और वो तमाम साथी जो हमको आज मिलने के लिए हमारे समर्थन में आए हैं, गुजरात के विभिन्न कोनों से और पूरे देशभर में से, उन सभी का मैं स्वागत करता हूँ।

साथियों, जो कहानी, गुजरात से शुरु हुई उस कहानी ने पिछले 6 -7 साल में इस मुल्क में क्या उत्पात मचाया है, वो अब आपके-हमारे, सबके सामने है। एक राष्ट्र के तौर पर हम एक अनप्रेसीडेंटेड अभूतपूर्व क्राइसिस से गुजर रहे हैं। ऐसा संकट इस मुल्क ने पहले कभी नहीं देखा, हमारे संविधान पर हमला है। दिल्ली की सड़कों पर संविधान की कॉपी को जलाया जाता है। हमारे Idea of India पर हमला है, हमारे देश के लोकतंत्र के ऊपर हमला है। आज भाई-भाई एक दूसरे का दुश्मन बन जाए, उतना ज़हर, नफ़रत, एक सोची-समझी साज़िश के तहत दिल्ली और नागरिक साथ मिलकर फैला रहे हैं। इस परिस्थिति में एक पॉलिटिशियन के तौर पर नहीं, बतौर एक भारतीय नागरिक मैं अपने आप को जब ये सवाल पूछता हूँ कि मेरा फंडामेंटल, फॉरमोस्ट रेस्पॉन्सिबिलिटी ड्यूटी क्या होनी चाहिए तो अंदर से जवाब यही आता है कुछ भी करके इस मुल्क के संविधान, लोकतंत्र और Idea of India को बचाना चाहिए और यदि उसको बचाना है, तो मुझे उनके साथ खड़े रहना है, जिसने स्वतंत्रता के आंदोलन में न केवल सहयोग दिया है, उसको लीड किया है, अंग्रेजों को यहाँ से खदेड़ कर दिखाया है और इसलिए आज मैं इंडियन नेशनल कांग्रेस के इस मंच पर आपके साथ खड़ा हूँ।

एक टैक्निकल कारण के चलते मैं फॉर्मली पार्टी इसलिए ज्वाइन नहीं कर सकता, क्योंकि मैं एक निर्दलीय विधायक हूँ। If I join a party and continue as an MLA मेरी पार्टी के सीनियर लीडर्स से बात हुई, मेरी मतक्षेत्र के साथियों से बात हुई, अपने आप से बात हुई, राहुल जी से बात हुई तो मुझे लगा कि मेरा इस विचार के साथ होना सबसे प्रमुख बात है। मैं इस मुहिम और संघर्ष के साथ हूँ ये सबसे महत्वपूर्ण बात है, बाकी की फॉर्मेलिटी तो आने वाले महीनों में भी हो जाएगी और राहुल जी ने भी कहा कि जो पर्चा भरकर सदस्य बनने की बात है, वो कल भी कर लेना, अभी अपने मतक्षेत्र के लोगों के साथ खड़े रहो। तो मैं फॉर्मली नहीं, लेकिन इस विचार के साथ आज जुड़ चुका हूँ और 22 के चुनाव में कांग्रेस के सिंबल से ही लडूँगा, उसका सारा कैंपेन, उसका हिस्सा रहूँगा और गुजरात के संदर्भ में आज साथी हार्दिक कुमार जी हमारे बीच में मौजूद हैं, मैं कहना चाहता हूँ कि आज जो राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है, वो हम लोग गुजरात में देख चुके हैं, झेल चुके हैं।

आप सभी पत्रकार साथियों के बीच में बड़ी चिंता के साथ ये कहना चाहता हूँ, हमारी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है कि 3 हजार किलो का ड्रग्स 15-20 लाख बेरोजगार युवाओं को नशे के चंगुल में फंसाने के लिए अडानी के पोर्ट पर उतर रहा है। आज जब महंगाई और बेरोजगारी उसकी चरम सीमा पर है, तब गुजरात और देश के युवाओं को रोजगार देने के बजाय, ये फासीवादी ताकतें चाहती हैं कि रोजगार तो न मिले, उनको नशे के हवाले में झोंक दिया जाए। तो इन सारी परिस्थितियों में यदि बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को बचाना है, हमारे Idea of India को बचाना है। भगत सिंह को जब मुकदमे की कार्यवाही के दौरान पूछा गया कि क्रांति क्या है, तब शहीद-ए-आजम ने कहा था कि क्रांति से हमारा मतलब है, किसानों और मजदूरों के हाथ में सत्ता।

प्रधानमंत्री, जब अमेरिका से वापस आते हैं, तो भई, विस्टा का काम ठीक-ठाक चल रहा है न, नई पार्लियामेंट का, वो देखने के लिए जाते हैं, किसान को मिलने के लिए नहीं जाते। तो किसान हो, मजदूर हो, दलित हो, आदिवासी हो, महिलाएं हो, सबके ऊपर एक जो अनप्रेसिडेंटेड हमला है, इसको रोकने के लिए मैं भारत की जनता को, भारत के 21 करोड़ दलितों को और सारे लाखों-करोड़ों युवाओं को अपील करता हूँ सेंस ऑफ अर्जेंसी के साथ अभी वक्त नहीं है, कूद पड़िए, एक नया आंदोलन छिड़ने वाला है, स्वतंत्रता के आंदोलन की जो रौनक थी, वो जो चार्म था, वो जो माहौल था, हमको वो क्रिएट करना पड़ेगा। यहाँ पर तमाम वो लोग, जो सचमुच मानते हैं कि देश को बचाना है, उन सभी को हम अपील करते हैं कि इस प्लेटफॉर्म के साथ जुड़िए, ये एक मिशन है और इसको मिशन की तरह लीजिए औऱ मुझे पूरी उम्मीद है, जैसे कि साथी कन्हैया ने बताया कि डेमोक्रेसी के हमारे इस मुल्क में बहुत डीप रूट्स हैं। पार्टी के भी डीप रूट्स हैं, तो साथ में मिलकर हम लोग लड़ेंगे, संघर्ष करेंगे औऱ इस मुल्क को बचा पाएंगे।

आप तमाम साथियों का मैं दोबारा स्वागत करता हूँ औऱ दोबारा इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से पूरे देश की जनता से भी अपील करता हूँ कि सेंस ऑफ अर्जेंसी के साथ तुरंत जुड़िए, एक बहुत जबरदस्त माहौल हम लोगों को खड़ा करना चाहिए। मैं साथी हार्दिक कन्हैया और दूसरे यंगस्टर्स के साथ पूरे देश में हम लोग जाएंगे और हजारों, लाखों युवा इस प्लेटफॉर्म में जुड़ें, आईएनसी के साथ जुड़ें, कांग्रेस पक्ष के साथ जुड़ें इसके लिए लग जाएंगे। आप तमाम साथियों का शुक्रिया।

एक प्रश्न के उत्तर में श्री कन्हैया कुमार ने कहा कि मैंने ये नहीं कहा था कि कांग्रेस खतरे में हैं, हमने कहा देश खतरे में है, लोकतंत्र खतरे में हैं, Idea of India खतरे में हैं। आपने वो वीडियो देखा क्या, लाश के ऊपर डांस? देखा है न- दिल पसीज गया होगा। आपको नहीं लगा कि मैं इसके लिए कुछ कर पाऊँ, कुछ भी कर जाऊँ, जो मैं कर सकती हूँ। आप जब सुनती होंगी कि बलात्कार हो गया है, किसी महिला के साथ, आपका गुस्से से पूरा शरीर कांप जाता होगा। देश खतरे में है।

पार्टियाँ तो बनती रहेंगी, पार्टियों की कोई कमी है क्या। हर शाम पार्टी होती है इस देश में। पार्टी नहीं बचाना है, देश बचाना है और देश बचाने की मुहिम में जो पार्टी रहेगी वो पार्टी भी बची रहेगी और मुझे इस बात को कहने में कोई दो राय नहीं है। मैंने जितना इतिहास पढ़ा है, अभी तक का एनसीआरटी में जो लिखा हुआ है, अब अगली बार 2024 में क्या लिखा जाएगा, नहीं पता, उसमें तो यही है कि देश को आजादी महात्मा गाँधी ने, सुभाष चंद्र बोस ने, सरदार वल्लभभाई पटेल ने, क्या भाई हार्दिक, इन लोगों ने ही दिलाई है न, यही लोग लड़े थे, जो माफी मांगे, वो वीर हो गए, आप सोचिएगा इसको।

जो गोडसे को भगवान मानते हैं, वो भाषण दे रहे हैं, अमेरिका में जाकर गांधी के ऊपर। हमारे गांव में एक गाना आता था, गांधी जी के भजन करे, गांधी का हत्यारा, कितना अजीब लगता होगा आपको, देखिएगा वो फोटो, जब हमारे देश के प्रधानमंत्री गांधी पर माल्यार्पण करते हैं, जीवनभर शाखाओं में कसम लिए होंगे कि गोडसे के सपनों का देश बनाएंगे और गांधी पर माला चढ़ा रहे हैं।

See, I am not here to save the party, देश खतरे में हैं और ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूँ, ये मुझे लगता है कि आप भी सोचते होंगे, समझ रहे हैं। अंग्रेजी का वो फ्रेज है Dancing on dead, डेड बॉडी पर कोई नाच रहा है उस दिन खाना तो नहीं खाया गया। आप सोचकर देखिए, आप इस पर विचार करके देखिए। मेरे गांव में अगर किसी की मौत हो जाए, तो पूरे गांव में खाना नहीं बनेगा। हजारों लोग मर गए। देखिए, 71 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री के लिए सोहर गाया गया, नया बच्चा जब पैदा होता है न तो पूर्वांचल में सोहर गाते हैं लोग। प्रधानमंत्री बूढ़े हो गए हैं, उनके लिए सोहर गाया जा रहा है, जब अभी तुरंत लाखों लोगों की जान चली गए, ऑक्सीजन नहीं मिल रहा था, अस्पताल में बैड नहीं मिल रहे थे, आपमें से कोई ऐसा इंसान है, जिसके कोई जानने वाले नहीं मरे हों, इसमें, इस क्राइसिस में। इतना बड़ा क्राइसिस जिसके देश में हुआ हो अभी तुरंत, वो अपने जन्मदिन का जश्न मनाएगा, ये भोंडापन है। इस संस्कृति को बचाने की जरुरत है और इस संस्कृति को बचाने के लिए मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी में वो क्षमता मौजूद है। लोगों को ये बात पसंद हो या न हो, हकीकत ये है कि पार्लियामेंट में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पार्टी है, इसलिए इस पार्टी को ये जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी और उस जिम्मेदारी को संभालने के लिए मैं यहाँ आया हूँ।

एक अन्य प्रश्न पर कि भाजपा ने आप पर एक बड़ा आरोप लगाया है,कन्हैया कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के आरोप को कौन पूछता है। आपका कोई आरोप है मेरे ऊपर? भाजपा को मैं सीरियसली नहीं लेता हूँ। आपका कोई आरोप है?

एक अन्य प्रश्न पर श्री कन्हैया कुमार ने कहा कि मैं यही कह रहा हूँ, हमारे देश के लोगों के पॉलीटिकल इमेजीनेशन को कुछ हो गया है। अभी क्या हो गया है, मुझे समझ में नहीं आ रहा है। आपके सवाल को अपने आप लेते हुए, हमने अपने पूरे वक्तव्य को रखा है। हमने कहीं भी कहा कि हम कोई टीम बना रहे हैं, बीसीसीआई थोड़े ही है, मतलब टीम बना रहे हैं।

मैं कह रहा हूँ कि भारत की परंपरा, चिंतन परंपरा, सोच, जिस पर आपको गर्व होता है, भारतीय होने के चलते, उस परंपरा को समेटने का, उसको आगे बढ़ाने का काम देश की सबसे पुरानी पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने किया है। उस पार्टी के पास एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी है और इस देश का नागरिक होने के चलते, साथी जिग्नेश ने कहा कि ये हमारी भी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि कल को जब इतिहास लिखा जाएगा, तो हमसे भी पूछा जाएगा, आपसे भी पूछा जाएगा, कि जब ये तमाशा हो रहा था, तो हम क्या कर रहे थे? हमने वो कहानी सुनी है, बचपन में, आपने भी सूना होगा, जंगल में आग लगी, एक कोयल अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की आग बुझाने की कोशिश कर रही थी, जंगल की आग नहीं बुझी, जब बुझनी होगी, बुझ जाएगी, कम से कम कोयल का वह ऐतिहासिक प्रयास, वो इतिहास याद रखेगा। ये जो आप कह रहे हैं न कि डूबती हुई नाव, देखिए, कभी-कभी न इंसान को भ्रम होता है, जैसे टिड्डे को भ्रम होता है कि उसने अपने पांव से आसमान टिका रखा है, हमको ऐसा भ्रम नहीं है।

मेरे अकेले से कुछ नहीं होगा, जब आप जुड़ेंगे, हम जुड़ेंगे, इस देश के संविधान में, आइडिया ऑफ इंडिया में भरोसा करने वाले लोग जो हैं, जिसको हम कहते हैं, गांधी के सपनों का भारत, जिसको हम कहते हैं, भगत सिंह के सपनों का भारत, जिसको हम कहते हैं, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों का भारत, जिसको हम कहते हैं, बिरसा मुंडा के सपनों का भारत, सावित्री बाई फुले के सपनों का भारत, कृष्ण सिंह के सपनों का भारत, जगजीवन राम के सपनों का भारत, मौलाना अबुल कलाम आजाद के सपनों का भारत, उस भारत को बचाने की मैं बात कर रहा हूँ और सियासत, तो मैं बार-बार कहता हूँ, अगर सियासत सही होगी, तो गलत लोग, जो सत्ता पर काबिज़ हैं न, मुझे भारत के लोगों पर बहुत भरोसा है। अरे हैं, हम थोड़ा सा आलसी, लेकिन आ गए न अपने पर, 200 साल अंग्रेजों ने राज्य किया था, जबसे भारत के लोग अपने पर आ गए न, तो 1942 में भारत छोड़ो का नारा जब महात्मा गांधी ने दिया था न, तो अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा था और उस वक्त जो लोग अंग्रेजों से पेंशन ले रहे थे, माफी मांग रहे थे, वो आज एनसीआरटी की किताब बदल रहे हैं कि अपना नाम भी हम वीरों में लिखवा लें, इसलिए मैं कह रहा हूँ कि उस इतिहास को, उस चिंतन परंपरा को बचाने की जरुरत है। पार्टी अगर उस सिद्धांत पर चलेगी, संविधान के प्रिएंबल को रक्षा करने की कोशिश करेगी, पार्टी भी बचेगी और पार्टी सत्ता में भी आएगी, ऐसी मुझे उम्मीद है, ऐसी मेरी आशा है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कन्हैया कुमार ने कहा कि आप तो बड़ा वैचारिक सवाल पूछे हैं, बहुत-बहुत शुक्रिया। एक तो देखिए, हमारी जो ये नई पार्टी है, इस पार्टी के जो संगठन के महासचिव हैं, वो केरल से ही हैं, इनसे आप चाहें तो अकेले में भी पूछ लीजिएगा, कांग्रेस पार्टी के खिलाफ हम एक शब्द नहीं बोला था। हम कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भी बोले हैं, लेकिन केरल के विधानसभा चुनाव में नहीं, जेएनयू के प्रेसिडेंशियल स्पीच में बोला था। देखिए, हमको हमारा इतिहास पता है, इतिहास को तोड़ा और मरोड़ा नहीं जा सकता है। इतिहास, इतिहास होता है। इतिहास कोई कागज पर लिखे हुए शब्द होते हैं कि आप उसको, जो है, इरेजर से मिटा दीजिएगा। केरल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ नहीं बोले थे।

आपने पूछा कि कब आपको ऐसा महसूस हुआ, देखिए, महसूस तो मुझे राजनीति में आए हुए, 18 साल हो गए हैं और मैंने हमेशा ही ये महसूस किया कि कहीं न कहीं इस देश की जो राजनीतिक विरासत है, वो भटक गई है। भूलभूलैया नहीं होता है, राइट-लैफ्ट-सेंटर घूमने लगा है और पता ही नहीं चल रहा है कि एक्चुअल आइडियोलॉजिकल पोजीशनिंग कहाँ है, उसके थ्रेड्स कहाँ पर हैं। तो आपने वैचारिक सवाल पूछा है, एक ऐतिहासिक तथ्य आपसे साझा करता हूँ, मैं ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन का मेम्बर था, कल तक, वो ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन 1936 में बना, इतिहास जाकर देख लीजिएगा, उसका जो इनॉगरल सेशन था, पंडित जवाहर लाल नेहरू का उसमें भाषण हुआ था और उस वक्त देश के जितने भी नौजवान था, सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, हमारे कुछ साथियों को, लेकिन अपने विद्यार्थी होने के जमाने में अटल बिहारी वाजपेयी जी भी शामिल हुए थे, बाद में निकाल दिए गए थे, मतलब, अंग्रेजों के खिलाफ जो छात्रों का संघर्ष हो रहा था, सभी विचारधारा के लोग उसके सदस्य थे और आपने जो वैचारिक सवाल पूछा कि आपको लैफ्ट के भविष्य के रुप में देखा जा रहा है, कौन कह रहा है कि लैफ्ट का भविष्य खराब हो गया है। व्यक्ति आते हैं और जाते हैं, संगठन हमेशा व्यक्ति से बड़ा होता है। व्यक्ति की अपनी एक भूमिका होती है, उस भूमिका को वो अपनी क्षमता से निभाने की कोशिश करता है। मैं आपको बता दूँ, जहाँ जिस पार्टी से आप मेरा संबंध जोड़ रहे हैं, मैं वहाँ पैदा हुआ हूँ। मेरे भीतर सोचने-समझने-लड़ने की जो क्षमता है, ये उसकी ट्रेनिंग का हिस्सा है और मुझे इस बात पर गर्व है, लेकिन वहाँ जो लड़ने का तरीका है, और जिस तरीके से वो लड़ रहे हैं, मुझे लगता है आज जो देश की स्थिति है, उसमें उसकी स्पीड को बढ़ाने की जरुरत है, और जो वैचारिक संकीर्णता है, उसको तोड़ने की जरुरत है।

मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ, मैंने अपने कई साथियों से पूछा कि क्या भगत सिंह की जयंती, देश के सभी संगठनों को नहीं मनानी चाहिए और क्या गांधी की तस्वीर सभी संगठनों के कार्यालयों में नहीं होनी चाहिए? ये हमारा इतिहास है, ये हमारी विरासत है। कुछ लोग बहुत चालाकी से विचारधारा के खोल में यह जो हमारी ऐतिहासिक विरासत और परंपरा है, इसको आपस में उलझाने की कोशिश करते हैं। एक बड़ी पॉप्यूलर डिबेट है, साध और साधन का, हिंसा और अहिंसा का तो मैं आपके सामने, इस सदन के समक्ष यह बात कहता हूँ, जब भगत सिंह कहते हैं कि बम और पिस्तौल इंकलाब नहीं ला सकता है, मतलब, भगत सिंह हिंसा का निषेध कर रहे हैं, वायलेंस को निगेट कर रहे हैं और जब बापू कहते हैं, महात्मा गांधी कहते हैं, करो या मरो, मतलब वो व्यक्ति के ऊपर होने वाली हिंसा को स्वीकार कर रहे हैं और अहिंसा को निगेट कर रहे हैं।देश की एजेंसी क्या है इस बात को समझिए और देश की अर्जेंसी ये है कि आप पैदा कहीं भी हुए हों, अगर गांव में आग लगी है, आप अपने दरवाजे के बाहर डंडा लेकर गेट कीपर बनकर खड़े हो जाएंगे कि घुसने नहीं देंगे, निकलने नहीं देंगे, तो आपका घर भी नहीं बचेगा, बैडरुम भी नहीं बचेगा, इसलिए समझदारी इस बात में है कि आपसी जो नाराजगी है, आपसी जो वैचारिक मतभेद है, उसको किनारा कीजिए और बस्ती बचाने के लिए इकट्ठा होइए क्योंकि ये देश हम सबका है, इसलिए लैफ्ट-राइट का जो सवाल है न, वो अप्रासांगिक इसलिए हो गया है कि आज आपको वैसे आदमी के साथ सामना करना पड़ रहा है, जो हमारे जमाने का गोविंदा है, ड्रेस बदलते रहता है, इसलिए इस वैचारिक भ्रम में मत पड़िए,देश बचाइए, संविधान बचाइए, यही हमारा लक्ष्य है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जिग्नेश ने कहा कि विपक्ष का चेहरा तो मीडिया भी होना चाहिए। विपक्ष का चेहरा वो तमाम लोग होने चाहिए जो आइडिया ऑफ इंडिया औऱ इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन में विश्वास करता है, उसको प्रोटैक्ट करना चाहता है।

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