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यदि आप मृत्यु के बाद भी अपने निकट संबंधी और प्रियजन की आंखों को देखना जारी रखना चाहते हैं, तो समाधान उपलब्ध है-मंडलायुक्त

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: यदि आप मृत्यु के बाद भी अपने निकट संबंधी और प्रियजन की आंखों को देखना जारी रखना चाहते हैं, तो समाधान उपलब्ध है- ‘मृत्यु के बाद नेत्रदान’। आपकी दान की हुई आँखें दृष्टि हीनता से पीड़ित कई रोगियों को यह सुंदर संसार देखने में मदद कर सकती हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के लिए गुरुग्राम के मंडलायुक्त राजीव रंजन ने स्वयं नेत्रदान करने का संकल्प लेते हुए आज नेत्रदान अभियान का शुभारंभ किया।

अभियान का शुभारम्भ करते हुए उन्होंने बताया कि कॉर्निया आँख के मध्य भाग की पारदर्शी परत होती है जिसके द्वारा व्यक्ति विभिन्न वस्तुओं को देख पाता है । दूसरे शब्दों में, कॉर्निया आँखों के सामने की बाहरी परत है जिसके माध्यम से प्रकाश किरणें गुजरती हैं और स्पष्ट तश्वीर बनाने के लिए रेटिना पर फोकस करती हैं। कॉर्निया के बिना, कुछ भी देख पाना संभव नहीं है। आंख की 65 से 75 प्रतिशत फोकस शक्ति कॉर्निया पर निर्भर करती है और कई रोगियों को आंखों में कॉर्निया की खराबी या उसके क्षतिग्रस्त होने से उनकी आंखों की दृष्टि नहीं रहती । ऐसे दृष्टिहीन व्यक्तियों, जिनमें कॉर्निया इतना क्षतिग्रस्त हो चुका है कि उसका बदला जाना ही एकमात्र उपाय है,के अंधेपन को अन्य व्यक्ति मृत्यु के बाद अपनी आंखों का दान करके दूर कर सकते हैं। रंजन ने कहा कि कॉर्निया जैसे महत्वपूर्ण अंग को कोई भी नुकसान संबंधित व्यक्ति को अंधा बनाकर एक सार्थक जीवन जीने की उसकी क्षमता को प्रभावित करता है, क्योंकि दुनिया में किसी भी चीज या वस्तु के प्रति हमारी धारणा बनाने में 80 प्रतिशत भूमिका केवल आंखों की होती है। ऐसा रोगी कोई सामान्य काम नहीं कर सकता है और उसे अपने रोजमर्रा के व्यक्तिगत काम करने में भी कठिनाई होती है। कॉर्निया बदलने के लिए की गई सर्जरी ऐसे रोगी के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन लाती है इसलिए सभी जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए नेत्र-दान के साथ-साथ शैल्य चिकित्सा ऑपरेशन पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

मंडल आयुक्त रंजन ने नेत्र दान कर्ताओं की सूचना को कंप्यूटराइज्ड करने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि अधिकत्तर मामलों में पंजीकरण और मृत्य के स्थान अलग-अलग होते हैं। वेब-आधारित मॉनिटरिंग से हर जगह कॉर्निया की मांग और आपूर्ति के मिलान में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कॉर्निया निकालने , उसको ले जाने, संरक्षण और सर्जरी के लॉजिस्टिक को भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर मंडल आयुक्त राजीव रंजन ने उपायुक्त अमित खत्री और डिप्टी सिविल सर्जन डॉ सुनीता राठी सहित नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. नीना गठवाल के साथ अपनी आँखें दान करने का संकल्प लिया। लॉन्च के समय सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र यादव और उनकी टीम भी मौजूद थी।आयुक्त ने आगे अपील की है कि सभी नागरिकों को अपनी मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने के लिए आगे आना चाहिए। चूंकि मृत्यु के बाद आंखें बंद हो जाती हैं, इसलिए मृत शरीर दिखने में भी विकृत नहीं लगेगा । एक मृत व्यक्ति की आंखें दो व्यक्तियों के अंधेपन का इलाज कर सकती हैं। मृत व्यक्ति के परिवार के सदस्य को इस तथ्य से संतुष्टि मिल सकती है कि उसकी आँखें अभी भी प्राप्तकर्ता रोगी की आँखों में जीवित हैं। उन्होंने यह भी अपील की है कि व्यक्ति की मृत्यु उपरांत इसकी सूचना नेत्रदान हेल्पलाइन नंबर 1919 पर तुरंत देना परिवार के सदस्यों का कर्तव्य है क्योंकि मृत्यु के 6 घंटे के भीतर ही कॉर्निया को निकालने से ही उसका पुनः उपयोग हो सकता है। कॉर्निया हटाने की प्रक्रिया के लिए मृत व्यक्ति को अस्पताल लाने की भी जरूरत नहीं होती और डॉक्टर उसके घर या अन्य स्थान पर जाकर यह कार्य कर सकते हैं। यह आशा की गई कि नेत्र दानकर्ता और उनके परिवार के सदस्य कॉर्निया की खराबी की वजह से हुए अंधेपन को दूर करने के लिए आगे आएंगे।

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