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गुडगाँव

स्किल डेवलपमेंट एवं इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग विभाग के एसीएस देवेंद्र सिंह ने गुरुग्राम में ली मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 

गुरुग्राम: हरियाणा के उद्योग विभाग तथा स्किल डेवलपमेंट एवं इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने आज गुरुग्राम पहुंचकर मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक ली जिसमें उन्होंने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के प्राचार्यों के साथ अप्रेंटिसशिप तथा डुएल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग को लागू करने के बारे में हिदायत देने के साथ-साथ उद्यमियों से भी सुझाव मांगे। देवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के सभी आईटीआई संस्थानों में डुएल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग लागू किया जा रहा है जिसमें आईटीआई के विद्यार्थी थ्योरी अपने संस्थान में कक्षाओं में पढेगे और प्रैक्टिकल उद्योगों में जाकर करेंगे। उन्होंने कहा कि श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी में डुएल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग का अच्छा अनुभव रहा इसलिए वही मॉडल प्रदेश की सभी आईटीआई में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद एक ही है कि हम ज्यादा से ज्यादा युवाओं, विशेषकर आईटीआई पास, की प्लेसमेंट उद्योगों में करवाए। उन्होंने कहा कि सभी आईटीआई संस्थानों में जिला प्रशासन के सहयोग से इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा रहा है और सभी रिफॉर्म्स करके इंडस्ट्री को साथ लेते हुए हम चाहते हैं कि आईटीआई पास करने वाले 80% से ज्यादा विद्यार्थी किसी न किसी उद्योग में रोजगार पर लगे या अपना स्वरोजगार शुरू करें। इसमें उद्योग अपना सहयोग दें, जोकि उनके लिए भी फायदेमंद होगा

क्योंकि उन्हें ट्रेंड मैन पावर मिलेगी जो उनकी जरूरतों के मुताबिक होगी। उन्होंने कहा कि आईटीआई मैनेजमेंट कमेटी में इंडस्ट्री शामिल हो, बल्कि उसकी चेयरमैनशिप संभाले और अपनी इंडस्ट्री की जरूरत के अनुसार करिकुलम तैयार करवाएं। जरूरत हो तो डेजिग्नेटिड ट्रेड और ऑप्शनल ट्रेड के अलावा अपना नया ट्रेड भी शुरू करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री इसे बोझ की तरह ना ले बल्कि स्वयं आगे बढ़कर इसमें सहयोग करें। यह उनके लिए फायदेमंद होगा क्योंकि उन्हें प्रशिक्षित मैन पावर मिलेगी।श्री देवेंद्र सिंह ने कहा कि डुअल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग के तहत पहले 15 दिन ट्रेनर्स की ट्रेनिंग करवाई जाएगी, जो 30 सितंबर तक पूरी होगी। उन्होंने बैठक में उपस्थित उद्योगों के प्रतिनिधियों से भी डुएल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग के बारे में सुझाव मांगे। इस पर जेबीएम ऑटो लिमिटेड से आए आरके शर्मा ने कहा कि आईटीआई में यह मॉडल विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी से भी ज्यादा सफल रहेगा क्योंकि यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूत फाउंडेशन है। शर्मा ने कहा कि वे पहले जर्मनी में थे जहां इस प्रकार का सिस्टम पहले से ही लागू है। उन्होंने बताया कि जर्मनी में प्रत्येक इंडस्ट्री में एक ट्रेनिंग सेंटर होता है। अब यहां भारत में भी इंडस्ट्री इस मॉडल को अपना रही है। श्री शर्मा ने कहा कि हरियाणा में आईटीआई संस्थानों में ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग लागू करना सराहनीय कदम है, इंडस्ट्री इसका स्वागत करती है। श्री देवेंद्र सिंह ने जिज्ञासावश पूछा कि पहले यह क्यों नहीं हो पाया, तो श्री शर्मा ने कहा कि पिछली सरकारों के समय इस बारे में कोई पॉलिसी नहीं थी और सरकार ने भी इस इस दिशा में कोई पहल नहीं की। श्री शर्मा तथा अन्य उद्यमियों ने बताया कि प्रत्येक कैंडिडेट को एंप्लॉयबल बनाने के लिए इंडस्ट्री को 20 से ₹30 हज़ार खर्च करने पड़ते हैं। अगर यह प्रशिक्षण आईटीआई में ही उन्हें मिल जाएगा तो इंडस्ट्री को ट्रेंड मैन पावर मिलेगी।



इसी प्रकार के विचार व्यक्त करते हुए मुंजाल शोवा लिमिटेड के आर के खान ने कहा कि पहले आईटीआई स्टूडेंट इंडस्ट्री में ट्रेनिंग को कैजुअल लेते थे, गंभीरता से नहीं लेते थे। अब जब वह  प्रैक्टिकल इंडस्ट्री में करेगा तो वहां के वातावरण से वाकिफ होगा और एंप्लॉयमेंट रेडी हो जाएगा। श्री देवेंद्र सिंह ने उद्योगों से यह विचार सुनकर कहा कि उद्योगों द्वारा इस कदम को खुले हाथों से स्वीकार करने से हमारा मनोबल बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की व्यवस्था आईटीआई में देश में पहली बार हरियाणा में की जा रही है।श्री देवेंद्र सिंह ने आज की बैठक में सरकारी सेक्टर तथा प्राइवेट सेक्टर में अप्रेंटिस रखने की योजना की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर में 15000 तथा सरकारी सेक्टर में 10,000 एक्टिव अप्रेंटिस लगाने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें से इस वर्ष जुलाई के अंत तक एक्टिव अप्रेंटिस की संख्या प्रदेश में 21798 थी। उन्होंने बैठक में उपस्थित उपायुक्तों से कहा है कि वे इस कमी को पूरा करवाने में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि नियम अनुसार कर्मचारियों की कुल संख्या का ढाई प्रतिशत आईटीआई अपरेंटिस रखने अनिवार्य है।

देवेंद्र सिंह ने कहा यह अप्रेंटिसशिप योजना उद्योगों के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योंकि इसमें उद्योगों को सस्ते में मैनपावर मिलती है तथा इन पर लेबर ला ही लागू नहीं होते क्योंकि ये विद्यार्थी हैं। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट अप्रेंटिसशिप कमेटी की बैठक हर महीने होनी चाहिए। साथ ही बताया कि जल्द ही डिविजनल कमिश्नर के स्तर पर भी एक कमेटी गठित की जाएगी, जो हर महीने यह समीक्षा करेगी कि सरकारी तथा प्राइवेट सेक्टर में कितने अप्रेंटिस रखे गए हैं। यही नहीं, राज्य स्तर पर भी स्टेट अप्रेंटिसशिप मैनेजमेंट कमेटी का भी गठन किया जाएगा। बैठक में एसीएस ने बताया कि सभी आईटीआई संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं। हाल ही में आईटीआई संस्थानों में इंस्ट्रक्टर के 2800 पदों को विज्ञापित किया गया है जो जल्द ही मिल जाएंगे। इसके अलावा 150 करोड़ रुपए के टूल तथा उपकरण खरीदे जा रहे हैं। यही नहीं हर आईटीआई में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जाएगी और सोलर लाइटिंग सिस्टम लगाए जाएंगे ताकि वहां पर बिजली की वजह से ट्रेनिंग में कोई बाधा ना आए। उन्होंने यह भी बताया कि आईटीआई में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मासिक एसेसमेंट भी शुरू किया गया है। दसवीं के बाद यदि कोई 2 साल का आईटीआई में किसी ट्रेड में प्रशिक्षण लेता है तो उसे 12वीं के बराबर माना जाएगा।

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